CBI ने बुधवार को कथित जमीन-रेलवे नौकरियों के मामले में बिहार में छापेमारी की. ये छापेमारी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के सांसद अशफाक करीम, फ़ैयाज़ अहमद और MLC सुनील सिंह के घर आज सुबह से की जा रही है. इस छापेमारी पर राजद एमएलसी और बिस्कोमान पटना के अध्यक्ष सिंह का बयान भी आया है. जिसमें उन्होंने कहा, "यह जानबूझकर किया जा रहा है. इसका कोई मतलब नहीं है. वे यह सोचकर ऐसा कर रहे हैं कि डर के मारे विधायक उनके पक्ष में आएंगे." बता दें कि सुनील सिंह के घर सुबह 7.30 बजे से CBI की टीम मौजूद है. इस मामले में करीब 24 लोकेशंस पर सीबीआई की रेड हो रही है. इसमें दिल्ली, गुरुग्राम, पटना, कटिहार, मधुबनी शामिल है. गुरुग्राम में अर्बन क्यूब 71 मॉल है, ये तेजस्वी यादव और उनके करीबियों का बताया जा रहा है, यहां भी रेड हो रही है.
बौखलाई हुई भाजपा के सहयोगी CBI, ED, IT बिहार में अतिशीघ्र ही रेड की तैयारी कर रहे है।
— Shakti Singh Yadav (@sshaktisinghydv) August 23, 2022
पटना में जमावड़ा शुरू हो चुका है। कल का दिन महत्वपूर्ण है। #बिहार
राजद के प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने कल रात को ही ट्वीट किया था कि सीबीआई और अन्य केंद्रीय एजेंसियां छापेमारी की तैयारी कर रही हैं क्योंकि बीजेपी बिहार में सत्ता गंवाने को लेकर ''उग्र'' है. शक्ति सिंह यादव ने ट्वीट कर कहा था, बौखलाई हुई भाजपा के सहयोगी CBI, ED, IT बिहार में अतिशीघ्र ही रेड की तैयारी कर रहे है. पटना में जमावड़ा शुरू हो चुका है. कल का दिन महत्वपूर्ण है.
दरअसल यह घोटाला यूपीए-1 सरकार में लालू यादव के रेल मंत्री रहने के दौरान का है. CBI ने 18 मई 2022 को FIR दर्ज की थी. इसमें लालू प्रसाद यादव, राबड़ी देवी, मीसा भारती, हेमा यादव समेत अन्य लोगों के नाम है. ये भर्ती घोटाला साल 2004 से 2009 के बीच के समय का है. आरोपों है कि जब लालू यादव रेल मंत्री थे तो जॉब लगवाने के बदले जमीन और प्लॉट लिए गए थे. इस मामले में सीबीआई ने लालू यादव के करीबी भोला यादव को गिरफ्तार किया था. साल 2004 से 2009 में जब लालू यादव रेल मंत्री थे तब भोला यादव उनके OSD थे.
भोला यादव को जमीन के बदले नौकरी वाले केस में गिरफ्तार किया गया था. CBI ने इसी साल 17 ठिकानों पर छापेमारी की थी. आरोप यह है कि रेलवे में ग्रुप डी में नौकरी के बदले पटना में प्रमुख संपत्तियों को लालू के परिवार के सदस्यों को बेची या गिफ्ट में दी गई थी. आरोप है कि लालू यादव रेल मंत्री थे तो रेलवे में पहले अस्थायी तौर पर नियुक्ति कराते थे और फिर जैसे ही जमीन की डील पूरी जाती थी नौकरी को स्थायी कर दिया जाता था. इस तरह से सैकड़ों लोगों और अपने सगे-संबंधियों को नौकरी देने का आरोप लालू यादव पर है
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