प्रतीकात्मक फोटो.
मुंबई:
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा अपने हालिया संबोधन में जिला बैंकों से किसानों को अधिक कर्जे देने की अपील की गई है. लेकिन, जिला बैंक इस चुनौती का सामना करने के लिए फिलहाल तैयार नहीं दिख रहें. उनके 9 हजार करोड़ रुपये अब तक बेसहारा पड़े हुए हैं. जिनका फैसला लेने में समय लग रहा है.
जिला बैंकों से कर्ज लेने के लिए किसानों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आह्वान तो कर दिया. लेकिन नगदी की किल्लत से जूझ रहे बैंकों के सामने अलग चुनौती बनी हुई है. बैंक सवाल कर रहे हैं कि नए क़र्ज के लिए नगदी कहां से लाएं? वजह है सुप्रीम कोर्ट का आदेश. सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के जिला बैंकों में जमा 9 हजार करोड़ रुपये तब तक स्वीकारने पर रोक लगाई है जब तक इस पैसे का पूरा ऑडिट नाबार्ड से नहीं हो जाता. इस 9 हजार करोड़ में केवल महाराष्ट्र का हिस्सा 5 हजार करोड़ रुपये का है.
जिला बैंकों में जारी राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते यह पैसा संदेह के घेरे में आ चुका है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी बात रखते हुए दावा किया था कि, जिला बैंकों में नोटबंदी के शुरुआती 4 दिनों में जमा हुआ पैसा कहीं कालेधन को सफेद करने के खेल का हिस्सा तो नहीं? इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पाई-पाई के ऑडिट के आदेश दिए हैं. जिस वजह से जिला बैंकों में पुराने नोट के रूप में जमा हुआ यह धन अर्थव्यवस्था से फिलहाल दूर रखा गया है.
जिला बैंकों का सबसे बड़ा नेटवर्क महाराष्ट्र में है. नोटबंदी के बाद भले ही दूसरे बैंक नगदी से लबालब हो, जिला बैंक नगदी की किल्लत से जूझ रहे हैं. इसी नगदी की किल्लत ने रबी की बुआई के लिए लिए जाने वाले किसान कर्ज पर परिणाम किया है.
एमएससी बैंक के सीएमडी प्रमोद कर्नाड ने एनडीटीवी इंडिया से बातचीत में कहा कि, 2016 के दिसम्बर में रबी की बुआई के लिए पिछले साल के मुकाबले 100 करोड़ रुपये कम किसान कर्ज वितरित हुआ है. इस सीजन के लिए 4400 करोड़ रुपये कर्ज बांटने का लक्ष्य रखा गया है. जबकि अब तक लगभग 10 फीसदी रकम ही वितरित हुई है.
इस बीच महाराष्ट्र की जिला बैंकों को नाबार्ड से आने वाली राहत का अब भी इंतजार है. केन्द्र ने नाबार्ड को 21 हजार करोड़ रुपये की राशि जिला बैंकों की परेशानियां मिटाने के लिए देने का ऐलान किया था. नए साल की पूर्वसंध्या पर दिए अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने इस राशि को लगभग दुगना करने का ऐलान करते हुए 20 हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त मदद देने का वायदा किया है.
जिला बैंकों से कर्ज लेने के लिए किसानों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आह्वान तो कर दिया. लेकिन नगदी की किल्लत से जूझ रहे बैंकों के सामने अलग चुनौती बनी हुई है. बैंक सवाल कर रहे हैं कि नए क़र्ज के लिए नगदी कहां से लाएं? वजह है सुप्रीम कोर्ट का आदेश. सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के जिला बैंकों में जमा 9 हजार करोड़ रुपये तब तक स्वीकारने पर रोक लगाई है जब तक इस पैसे का पूरा ऑडिट नाबार्ड से नहीं हो जाता. इस 9 हजार करोड़ में केवल महाराष्ट्र का हिस्सा 5 हजार करोड़ रुपये का है.
जिला बैंकों में जारी राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते यह पैसा संदेह के घेरे में आ चुका है. केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष अपनी बात रखते हुए दावा किया था कि, जिला बैंकों में नोटबंदी के शुरुआती 4 दिनों में जमा हुआ पैसा कहीं कालेधन को सफेद करने के खेल का हिस्सा तो नहीं? इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने पाई-पाई के ऑडिट के आदेश दिए हैं. जिस वजह से जिला बैंकों में पुराने नोट के रूप में जमा हुआ यह धन अर्थव्यवस्था से फिलहाल दूर रखा गया है.
जिला बैंकों का सबसे बड़ा नेटवर्क महाराष्ट्र में है. नोटबंदी के बाद भले ही दूसरे बैंक नगदी से लबालब हो, जिला बैंक नगदी की किल्लत से जूझ रहे हैं. इसी नगदी की किल्लत ने रबी की बुआई के लिए लिए जाने वाले किसान कर्ज पर परिणाम किया है.
एमएससी बैंक के सीएमडी प्रमोद कर्नाड ने एनडीटीवी इंडिया से बातचीत में कहा कि, 2016 के दिसम्बर में रबी की बुआई के लिए पिछले साल के मुकाबले 100 करोड़ रुपये कम किसान कर्ज वितरित हुआ है. इस सीजन के लिए 4400 करोड़ रुपये कर्ज बांटने का लक्ष्य रखा गया है. जबकि अब तक लगभग 10 फीसदी रकम ही वितरित हुई है.
इस बीच महाराष्ट्र की जिला बैंकों को नाबार्ड से आने वाली राहत का अब भी इंतजार है. केन्द्र ने नाबार्ड को 21 हजार करोड़ रुपये की राशि जिला बैंकों की परेशानियां मिटाने के लिए देने का ऐलान किया था. नए साल की पूर्वसंध्या पर दिए अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने इस राशि को लगभग दुगना करने का ऐलान करते हुए 20 हजार करोड़ रुपये की अतिरिक्त मदद देने का वायदा किया है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, जिला बैंक, किसानों को लोन, पीएम का संबोधन, PM Narendra Modi, District Bank, Loan, Formers