
- बिहार में मतदाता सूची के ड्राफ्ट रोल से चुनाव आयोग ने लगभग तीन लाख छियासठ हजार मतदाताओं के नाम हटाए हैं
- हटाए गए नामों में से लगभग नब्बे प्रतिशत फॉर्म-7 के आधार पर स्वयं या अन्य द्वारा नाम हटाने के अनुरोध थे
- करीब 35000 मतदाता दस्तावेजों की कमी या आवश्यक दस्तावेज समय पर न देने के कारण सूची से हटाए गए हैं
बिहार में मतदाता सूची के ड्राफ्ट रोल प्रकाशित होने के बाद चुनाव आयोग ने करीब 3.66 लाख मतदाताओं के नाम काट दिए हैं. आयोग को इस संबंध में कल सुप्रीम कोर्ट के समक्ष विस्तृत जानकारी प्रस्तुत करनी है. सूत्रों के अनुसार, कटे हुए नामों में से लगभग 90 प्रतिशत यानी करीब 3.3 लाख नाम फॉर्म-7 के आधार हटाए गए हैं. फॉर्म-7 वह आवेदन है जिसके जरिए मतदाता स्वयं या कोई अन्य व्यक्ति नाम हटाने का अनुरोध करता है.
वहीं, करीब 35 हजार नाम दस्तावेजों की कमी या आवश्यक दस्तावेज समय पर प्रस्तुत न कर पाने के कारण सूची से हटाए गए हैं. चुनाव आयोग का कहना है कि सभी नाम हटाने की प्रक्रिया निर्धारित नियमों और दिशा-निर्देशों के तहत की गई है. अब इस पूरी कार्यवाही पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई अहम होगी.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मौखिक रूप से कहा कि यह साफ नहीं है कि अंतिम वोटर लिस्ट में जो नाम जोड़े गए हैं, वह पहले ड्राफ्ट सूची से हटाए गए लोगों में से हैं या बिल्कुल नए नाम हैं. इस पर चुनाव आयोग ने कोर्ट को बताया कि जोड़े गए ज्यादातर नाम नए मतदाताओं के हैं. साथ ही कहा कि अब तक लिस्ट से बाहर किए गए किसी भी वोटर ने कोई शिकायत या अपील दायर नहीं की है.
याचिकाकर्ता ADR की ओर से प्रशांत भूषण ने कहा कि आयोग ने मतदाताओं को हटाने के कारण नहीं बताए हैं और न ही उन 3.66 लाख अतिरिक्त हटाए गए नामों की लिस्ट प्रकाशित की है. बेंच ने पूछा कि क्या हटाए गए मतदाता अपील नहीं कर सकते, तो सीनियर वकील डॉ. ए. एम. सिंघवी ने कहा कि जब कारण ही नहीं बताए गए, तो लोग अपील कैसे करेंगे.
इस पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा, 'अगर आप हमें उन 3.66 लाख मतदाताओं की सूची दें, जिन्हें हटाए जाने के बारे में सूचना नहीं दी गई है, तो हम उन्हें सूचित करने का निर्देश देंगे. हर व्यक्ति को अपील का अधिकार मिलना चाहिए.
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