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This Article is From Aug 08, 2022

बिहार : नीलगाय और जंगली सुअरों को मारने के लिए निशानेबाज होंगे तैनात, जानिए सरकार ने क्यों लिया ये फैसला

वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम 1972 (Wildlife Protection Act 1972) के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए वन विभाग ने राज्य द्वारा नियुक्त निशानेबाजों द्वारा संरक्षित क्षेत्र के बाहर इन जानवरों की पहचान करने और उन्हें मारने की अनुमति देने के लिए मुखिया को नोडल प्राधिकरण (Nodal Authority Head) के रूप में नियुक्त किया है.

बिहार : नीलगाय और जंगली सुअरों को मारने के लिए निशानेबाज होंगे तैनात, जानिए सरकार ने क्यों लिया ये फैसला
नीलगाय और जंगली सुअरों को मारने के लिए शूटर तैनात किये जाएंगे. (प्रतीकात्मक फोटो)
पटना:

पटना. बिहार (Bihar) के कुछ जिलों में नीलगाय और जंगली सुअरों द्वारा बड़े पैमाने पर फसल को नुकसान पहुंचाने से चिंतित प्रदेश सरकार ने संरक्षित वन क्षेत्र के बाहर उन्हें मारने के लिए लाइसेंसधारी पेशेवर निशानेबाजों (shooters) को नियुक्त करने का फैसला किया है. पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रधान सचिव अरविंद कुमार चौधरी ने कहा कि किसानों द्वारा दर्ज की गई फसल क्षति की शिकायतों का आकलन करने के लिये मुखिया को कहा गया है. उन्होंने बताया कि राज्य द्वारा नियुक्त किए जाने वाले निशानेबाजों को खेतों में भकटते हुए पाएं जाने वाले इन जानवरों को मार देने के लिये कहा जायेगा. उन्होंने बताया कि नीलगाय और जंगली सुअर मुजफ्फरपुर, वैशाली, सीतामढ़ी, भोजपुर और शिवहर जिलों में बड़े पैमाने पर कृषि फसलों को नष्ट कर रहे हैं.

वन्य जीवन संरक्षण अधिनियम 1972 के प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए वन विभाग ने राज्य द्वारा नियुक्त निशानेबाजों द्वारा संरक्षित क्षेत्र के बाहर इन जानवरों की पहचान करने और उन्हें मारने की अनुमति देने के लिए मुखिया को नोडल प्राधिकरण के रूप में नियुक्त किया है. चौधरी ने बताया कि यह काम वन विभाग के अधिकारियों के समन्वय से किया जाएगा.

उन्होंने यह भी कहा कि लाइसेंसी बंदूक रखने वाले पेशेवर निशानेबाजों का चयन करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है. चौधरी ने कहा कि समिति को अब तक 14 निशानेबाजों के आवेदन मिले हैं और उन्हें इस महीने के अंत तक नियुक्त करने की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी. उन्होंने कहा कि इस अभियान के लिए तय की गई प्रक्रियाओं का सख्ती से पालन करना होगा. अधिकारी ने बताया कि मुखिया पूरे अभ्यास में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेंगे. उन्होंने बताया कि निशानेबाजों को कारतूस और मृत जानवारों दफनाने का खर्चा सरकार उठाएगी.

संपर्क किए जाने पर बिहार के पंचायती राज मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि अभियान को अंजाम देते समय अत्यधिक सावधानी बरती जानी चाहिए. उन्होंने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि ये दो जानवर राज्य के कुछ जिलों में फसलों को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं, लेकिन संबंधित क्षेत्र के मुखिया को बहुत सावधानी से काम लेना होगा और किसानों की शिकायतों के उचित सत्यापन के बाद ही निशानेबाजों को शिकार के लिए परमिट जारी करना चाहिए. 

उन्होंने बताया कि मुखिया को सक्षम प्राधिकारी को मासिक रिपोर्ट देनी होगी. इस बीच ह्यूमेन सोसाइटी इंटरनेशनल के इंडिया विंग के प्रबंध निदेशक आलोकपर्णा सेनगुप्ता ने कहा कि जानवरों को मारना इस समस्या का समाधान नहीं हो सकता है.उन्होंने कहा कि इस तरह के उपाय अन्य राज्य सरकारों द्वारा भी अतीत में किए गए हैं, इससे कभी कोई स्थायी समाधान नहीं निकला और समस्या अब भी जस की तस बनी हुई है. सेनगुप्ता ने कहा कि निर्दोष जानवरों की हत्या की निंदा की जानी चाहिए.


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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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