केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी, संचार, इलेक्ट्रॉनिक्स तथा शिक्षामंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मंगलवार को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, मद्रास (IIT) द्वारा विकसित स्वदेशी ऑपरेटिंग सिस्टम 'भारOS' (BharOS) का परीक्षण किया.
उन्होंने कहा, "इस सिस्टम को डेवलप करने में शामिल सभी को बधाई... आठ साल पहले जब हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 'डिजिटल इंडिया' के बारे में पहली बार बात की थी, तो हमारे कुछ मित्रों ने उनका मज़ाक उड़ाया था, लेकिन आज, टेक्नोक्रेट, इनोवेटर, उद्योगजगत व नीति निर्माता, और देश के शैक्षणिक संस्थानों ने भी आठ साल बाद उनके दृष्टिकोण को स्वीकार किया है..."
Tested Indian ‘Operating System' - BharOS developed at @iitmadras with @dpradhanbjp Ji; A leap forward in PM @narendramodi Ji's #AatmanirbharBharat journey. pic.twitter.com/eOt3un5okm
— Ashwini Vaishnaw (@AshwiniVaishnaw) January 24, 2023
इस अवसर पर केंद्रीय टेलीकॉम मंत्री अश्विनी वैष्णव भी मौजूद थे. उन्होंने कहा, "इस सफर में दिक्कतें आएंगी और दुनियाभर में ऐसे कई लोग हैं, जो दिक्कतें पैदा करेंगे और नहीं चाहेंगे कि ऐसा कोई सिस्टम कामयाब हो..."
नया मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम भारOS, गोपनीयता और सुरक्षा पर फोकस करता है. यह मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम ऐसा सॉफ्टवेयर है, जो किसी भी स्मार्टफोन का उसी तरह मुख्य इंटरफेस होगा, जैसे गूगल का बनाया Android या Apple का बनाया iOS हैं.
सरकारी और सार्वजनिक सिस्टमों में इस्तेमाल के लिए मुफ्त ओपन-सोर्स ऑपरेटिंग सिस्टम विकसित करने की खातिर भारOS को विकसित करने के प्रोजेक्ट को भारत सरकार ने वित्तपोषित किया है. परियोजना का लक्ष्य स्मार्टफोनों में विदेशी ऑपरेटिंग सिस्टमों पर निर्भरता को घटाना और देश में विकसित प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देना है. स्वदेशी पारिस्थितिकी तंत्र और आत्मनिर्भर भविष्य बनाने की दिशा में यह ऑपरेटिंग सिस्टम एक बड़ी छलांग है.
भारOS सेवाएं फिलहाल उन्हीं संगठनों को दी जा रही हैं, जिन्होंने कड़े गोपनीयता और सुरक्षा नियम लागू कर रखे हैं, और जिनके उपयोगकर्ताओं को मोबाइल फोन पर प्रतिबंधित ऐप्स के ज़रिये गोपनीय कम्युनिकेशन करते हुए संवेदनशील जानकारी संभालने का तजुर्बा है. ऐसे उपयोगकर्ताओं के लिए निजी 5G नेटवर्कों के माध्यम से निजी क्लाउड सेवाओं तक पहुंच की ज़रूरत होती है.
भारOS को जैन्डके ऑपरेशन्स प्राइवेट लिमिटेड (JandKops) द्वारा बनाया गया था, जिसे आईआईटी मद्रास द्वारा धारा 8 (लाभ के लिए नहीं) के तहत स्थापित की गई कंपनी आईआईटी मद्रास प्रवर्तक टेक्नोलॉजीज़ फाउंडेशन द्वारा विकसित किया गया. फाउंडेशन को भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) द्वारा अंतरविषयी साइबर-भौतिक प्रणालियों (NMICPS) पर राष्ट्रीय मिशन के तहत वित्तपोषित किया जाता है. यह भारत को उन कुछ देशों के समकक्ष लाने की कोशिश है, जिनके पास वर्तमान में ऐसी क्षमता है.
इस भारतीय मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम की घोषणा करने के लिए 19 जनवरी को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, IIT मद्रास के निदेशक प्रोफेसर वी. कामकोटि ने कहा था, "भारOS ऐसा मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम है, जो भरोसे की नींव पर बनाया गया है, जिसमें उपयोगकर्ता को अधिक आज़ादी देने पर फोकस किया गया है, ताकि वे केवल उन्हीं ऐप्स को चुनकर इस्तेमाल कर सकें, जो उनके लिए ज़रूरी हों... यह नया सिस्टम किसी भी यूज़र को उसके मोबाइल फोन पर सुरक्षा और गोपनीयता के बारे में सोचने का तरीका बदल देने का माद्दा रखता है..."
उन्होंने यह भी कहा, "IIT मद्रास हमारे देश में भारOS के उपयोग को बढ़ाने के लिए कई अन्य निजी उद्योगों, सरकारी एजेंसियों, रणनीतिक एजेंसियों और दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के साथ मिलकर काम करने की उम्मीद करता है..."
भारOS नो डीफॉल्ट ऐप्स (NDA) के साथ आता है, जिसका अर्थ है कि यूज़रों को ऐसे ऐप्स को इस्तेमाल करने के लिए मजबूर नहीं किया जाता, जिनसे वे परिचित नहीं या जिन पर वे भरोसा नहीं कर सकते. इसके अतिरिक्त, यह तरीका यूज़रों को उन परमिशनों पर भी अधिक नियंत्रण देता है, जो उनके डिवाइस पर ऐप्स के पास हैं, क्योंकि इसमें वे केवल उन ऐप्स को परमिशन देना चुन सकते हैं, जिन पर वे भरोसा करते हैं.
इस मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम को विकसित करने वाले स्टार्टअप जैन्डके ऑपरेशन्स प्राइवेट लिमिटेड (JandKops) के निदेशक कार्तिक अय्यर के अनुसार, "इसके अलावा, भारOS 'नेटिव ओवर द एयर' (NOTA) अपडेट प्रदान करता है, जो उपकरणों को सुरक्षित रखने में मदद कर सकता है... NOTA अपडेट उपकरण पर ऑटोमैटिक तरीके से डाउनलोड और इंस्टॉल हो जाते हैं, और यूज़र को मैन्युअली ऐसा नहीं करना पड़ता... इससे सुनिश्चित होता है कि डिवाइस हमेशा ऑपरेटिंग सिस्टम का नवीनतम संस्करण चला रहा है, जिसमें नवीनतम सुरक्षा पैच और बग फिक्स शामिल हैं... NDA, PASS, और NOTA के साथ, भारOS यह सुनिश्चित करता है कि भारतीय मोबाइल फोन भरोसेमंद रहें..."
भारOS के ज़रिये ऑर्गेनाइज़ेशन-स्पेसिफिक निजी ऐप स्टोर सेवाओं (PASS) पर विश्वसनीय ऐप्स तक पहुंच बन जाती है. PASS उन ऐप्स की क्यूरेटेड लिस्ट तक पहुंच प्रदान करता है, जिन्हें पूरी तरह से जांचा गया है और वे ऑर्गेनाइज़ेशनों के सुरक्षा और गोपनीयता मानकों पर खरा उतरती हैं. इसका अर्था हुआ कि यूज़र आश्वस्त हो सकते हैं कि जो ऐप वे इन्स्टॉल कर रहे हैं, वे इस्तेमाल के लिए सुरक्षित हैं.
--- ये भी पढ़ें ---
* राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद छोड़कर शानदार नज़ीर पेश की थी : पायलट)
* PM नरेंद्र मोदी और गुजरात दंगों से जुड़ी BBC डॉक्यूमेंटरी पर यह बोला अमेरिका
* "ट्रैन तो चुपचाप रहने वाला...", कैलिफोर्निया शूटिंग के बाद बोले भौंचक्के पड़ोसी
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं