
दिल्ली हाईकोर्ट ने आम आदमी पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सरकारी आवास आवंटित न करने के मामले में गुरुवार को केंद्र सरकार को फटकार लगाई. अदालत ने कहा कि केंद्र का रवैया सबके लिए एक जैसा होना चाहिए. जस्टिस सचिन दत्ता ने सुनवाई के दौरान कहा कि आवास का आवंटन एक पारदर्शी प्रणाली के तहत होना चाहिए.
आवंटन नीति, वेटिंग लिस्ट तलब की
दिल्ली हाईकोर्ट ने आवास मंत्रालय (MoHUA) को निर्देश दिया कि वह सरकारी आवास आवंटन से जुड़ी मौजूदा नीति, वर्तमान प्रतीक्षा सूची को लेकर हलफनामा दाखिल करे. साथ ही, मंत्रालय के संयुक्त सचिव और संपदा निदेशालय के निदेशक को अगली सुनवाई पर हाजिर रहने का आदेश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 25 सितंबर को होगी.
केजरीवाल ने मांगा था मायावती वाला बंगला
दरअसल अरविंद केजरीवाल ने अपने लिए घर के तौर पर 35, लोधी एस्टेट स्थित बंगले का सुझाव दिया था. इस बंगले में पहले बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती रहती थीं. आप के वकील राहुल मेहरा ने अदालत को बताया कि पार्टी ने यह आवास केजरीवाल को देने का प्रस्ताव रखा था.
केंद्र पर टालमटोल का आरोप लगाया
एडवोकेट मेहरा ने आगे कहा कि केंद्र सरकार ने शुरुआत में केजरीवाल के इस सुझाव पर निर्देश लेने के लिए समय मांगा, लेकिन बाद में बार-बार उनकी अनुपलब्धता का हवाला देकर सुनवाई टालने की कोशिश की. 4 और 12 सितंबर को हुई सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने लगातार देरी की और आखिरकार वह बंगला केंद्रीय मंत्री पंकज चौधरी को आवंटित कर दिया गया.
हाईकोर्ट ने कहा, पारदर्शिता जरूरी
इस पर हाईकोर्ट ने टिप्पणी की कि लंबी प्रतीक्षा सूची का बहाना बनाकर पारदर्शिता से नहीं बचा जा सकता. अदालत ने साफ कहा कि केंद्र सरकार को स्पष्ट नीति और आवंटन की प्रक्रिया अदालत के सामने रखे.
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद अरविंद केजरीवाल ने पिछले साल अक्टूबर में अपना आधिकारिक आवास 6, फ्लैगस्टाफ रोड खाली कर दिया था. इसके बाद से वह मंडी हाउस के पास आम आदमी पार्टी के एक सांसद के सरकारी आवास में रह रहे हैं.
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