अरावली पहाड़ी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और संबंधित राज्यों को नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में कुछ स्पष्टीकरण की जरूरत है. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर के अपने ही फैसले और कमेटी की सिफारिशों पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में अरावली पहाड़ियों और पर्वत श्रृंखलाओं की परिभाषा में हुए बदलाव को लेकर उठे विवाद को लेकर स्वतः संज्ञान लिया है. इस मामले में तीन न्यायाधीशों मुख्य न्यायाधीश सूर्य कांत, न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी और ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ अरावली पहाड़ियां और पर्वत श्रृंखलाओं की परिभाषा और संबंधित मुद्दे शीर्षक वाले मामले की सुनवाई करेगी. 20 नवंबर 2025 को एक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की खनन विनियमन समिति द्वारा सुझाई गई एक परिभाषा को स्वीकार किया था. सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई 21 जनवरी को करेगा.
Aravalli Hills Case Highlights:
अरावली पर सुप्रीम कोर्ट के 5 सवाल
अरावली पर सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि रिपोर्ट लागू होने से पहले या इस कोर्ट के फैसले को लागू करने से पहले मार्गदर्शन देने के लिए एक निष्पक्ष स्वतंत्र प्रक्रिया की ज़रूरत है, जिसमें इन बातों पर विचार किया जाए.
1. क्या अरावली की परिभाषा को 500 मीटर एरिया तक सीमित करने से एक स्ट्रक्चरल विरोधाभास पैदा होता है, जहां संरक्षण क्षेत्र छोटा हो जाता है?
2. क्या इससे गैर-अरावली क्षेत्र का दायरा बढ़ा है जहाँ रेगुलेटेड माइनिंग की जा सकती है?
3. क्या 100 मीटर और उससे ज़्यादा के दो एरिया के बीच के गैप में रेगुलेटेड माइनिंग की अनुमति दी जाएगी और उनके बीच 700 मीटर के गैप का क्या होगा?
4. यह कैसे सुनिश्चित किया जाए कि इकोलॉजिकल निरंतरता बनी रहे?
5. अगर कोई महत्वपूर्ण रेगुलेटरी कमी पाई जाती है, तो क्या रेंज की स्ट्रक्चरल अखंडता बनाए रखने के लिए एक महत्वपूर्ण मूल्यांकन की आवश्यकता होगी?
सीजेआई ने कहा -हमने कहा है, हम प्रस्ताव देते हैं कि विशेषज्ञ समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट का विश्लेषण करने के लिए डोमेन विशेषज्ञों की एक उच्च-शक्ति वाली विशेषज्ञ समिति का गठन किया जाए.
अरावली पर सुप्रीम कोर्ट में क्या-क्या हुआ?
- विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों और SC के फैसले पर रोक लगाई गई.
- सुप्रीम कोर्ट डोमेन विशेषज्ञों का नया पैनल बनाएगा.
- विशेषज्ञ समिति के निष्कर्षों पर स्पष्टीकरण मांगते हुए, सुप्रीम ने केंद्र और 4 अरावली राज्यों- दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात को नोटिस जारी किया.
- सीजेआई ने कहा- हम निर्देश देते हैं कि समिति की सिफारिशें और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट के निष्कर्ष तब तक स्थगित रहेंगे. मामले की सुनवाई 21 जनवरी, 2026 को होगी.
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अरावली पहाड़ियों और पर्वत श्रृंखलाओं की संरचनात्मक और पारिस्थितिक अखंडता की रक्षा के लिए डोमेन विशेषज्ञों वाली एक उच्च-शक्ति समिति द्वारा बहु-कालिक जांच की जाएगी.
सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई 21 जनवरी को करेगा
सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर के अपने ही फैसले और कमेटी की सिफारिशों पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी की सिफारिशें और नवंबर के अपने ही निष्कर्षों को स्थगित किया. सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई 21 जनवरी को करेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- मामले की जांच एक हाई-पावर्ड कमेटी
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अरावली पहाड़ियों और पर्वत श्रृंखलाओं की मल्टी-टेम्पोरल जांच एक हाई-पावर्ड कमेटी करे, जिसमें डोमेन एक्सपर्ट शामिल होंगे. यह कमेटी पहाड़ी श्रृंखला की संरचनात्मक और पारिस्थितिक अखंडता की रक्षा करेगी, जो थार रेगिस्तान को गंगा के मैदानों की ओर बढ़ने से रोकने वाली एकमात्र बाधा है.
अरावली पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा दखल, अपने ही आदेश को किया स्थगित
- सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी की सिफारिशें और नवंबर के अपने ही निष्कर्षों को स्थगित किया
- फिलहाल उन्हें लागू नहीं किया जाएगा
- सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई 21 जनवरी को करेगा
सुप्रीम कोर्ट ने कहा - कुछ स्पष्टीकरण ज़रूरी हैं
सुप्रीम कोर्ट ने कहा - कुछ स्पष्टीकरण ज़रूरी हैं
सीजेआई ने सुनवाई के दौरान कहा, हमें लगता है कि कमेटी की रिपोर्ट और इस कोर्ट की टिप्पणियों को गलत समझा जा रहा है
- कुछ स्पष्टीकरण ज़रूरी हैं
- रिपोर्ट या इस कोर्ट के निर्देश को लागू करने से पहले, एक निष्पक्ष, स्वतंत्र विशेषज्ञ की राय पर विचार किया जाना चाहिए
- निश्चित मार्गदर्शन देने के लिए ऐसा कदम ज़रूरी है
- क्या अरावली पहाड़ियों और श्रृंखलाओं की परिभाषा से कोई संरचनात्मक विरोधाभास पैदा होता है?
- यह तय किया जाना चाहिए कि क्या इससे गैर-अरावली क्षेत्रों का दायरा उल्टा बढ़ गया है
- जिससे अनियमित खनन जारी रखने में आसानी हो रही है.
केंद्र और संबंधित राज्यों को नोटिस जारी
अरावली मामले में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और संबंधित राज्यों को नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में कुछ स्पष्टीकरण की जरूरत है.
हम इस मामले में कोर्ट की सहायता के लिए तैयार: सॉलिसिटर जनरल
अरावली हिल्स केस में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू हो गई है. केंद्र की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत में सुनवाई के दौरान कहा कि अदालत ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया है. हम अदालत की सहायता करने को तैयार हैं.
अरावली को और नुकसान पहुंचा रही है राजस्थान की 'डबल इंजन' सरकार : कांग्रेस
कांग्रेस ने सोमवार को आरोप लगाया कि राजस्थान में ‘डबल इंजन’ सरकार द्वारा न सिर्फ खनन, बल्कि रियल एस्टेट विकास के दरवाजे खोले जा हैं, जिससे अरावली के “पहले से ही तबाह” पारिस्थितिकी तंत्र को और अधिक नुकसान पहुंचेगा. कांग्रेस महासचिव और पूर्व पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश ने यह भी कहा कि यह सब भारतीय वन सर्वेक्षण (एफएसआई) की सिफारिशों के खिलाफ किया जा रहा है. उन्होंने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, 'इस समय देश अरावली को लेकर सुप्रीम कोर्ट के ताज़ा निर्देशों का इंतज़ार कर रहा है. यहां इस बात के और सबूत हैं कि अरावली की नई परिभाषा पहले से ही बर्बाद हो चुके इस पारिस्थितिकी तंत्र में और ज्यादा तबाही मचाएगी.'

सुप्रीम कोर्ट ने अरावली मामले में लिया स्वतः संज्ञान
अरावली पर्वतमाला को लेकर जारी विवाद एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट की दहलीज पर पहुंच गया है. दरअसल, पूरे देश विशेषकर राजस्थान में 100 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाली पहाड़ियों को ही ‘अरावली’ मानने की नई परिभाषा का विरोध किया जा रहा है. अब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए सुनवाई तय की है. मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत की अध्यक्षता वाली वैकेशन बेंच आज इस पर सुनवाई करेगी, जिसमें जस्टिस जे.के. माहेश्वरी और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह भी शामिल होंगे. यह मामला सीजेआई के वैकेशन कोर्ट में पांचवें नंबर पर लिस्टेड है. माना जा रहा है कि सुनवाई के दौरान केंद्र और राज्य सरकारों के लिए नए निर्देश जारी हो सकते हैं.
अरावली क्षेत्र में नए खनन पट्टों पर रोक लगाने के आदेश
हरियाणा के वन विभाग के पूर्व अधिकारी आर.पी. बलवान ने भी इस नई परिभाषा को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. उन्होंने गोदावर्मन मामले में याचिका दायर कर केंद्र, राजस्थान, हरियाणा और पर्यावरण मंत्रालय को पक्षकार बनाया. कोर्ट ने सभी पक्षों को नोटिस जारी कर दिया है और शीतकालीन अवकाश के बाद सुनवाई होगी. विवाद बढ़ने पर केंद्र सरकार ने 24 दिसंबर को अरावली क्षेत्र में नए खनन पट्टों पर रोक लगाने के आदेश जारी कर दिए. पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने कहा कि अरावली श्रृंखला में किसी भी नई खनन लीज को मंजूरी नहीं दी जाएगी और सभी राज्य सरकारों को इस पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना होगा. मंत्रालय के अनुसार, इस आदेश का उद्देश्य राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र तक फैली इस सतत पर्वत श्रृंखला की रक्षा कर अनियमित खनन को रोकना है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का क्या होगा अरावली पर असर?
सुप्रीम कोर्ट के नए आदेश के बाद राजस्थान, हरियाणा और दिल्ली-एनसीआर में विरोध तेज हो गया है. पर्यावरणविदों और विपक्षी दलों का कहना है कि छोटी पहाड़ियों को अरावली की श्रेणी से बाहर करने से खनन को बढ़ावा मिलेगा और यह पारिस्थितिकी के लिए बड़ा खतरा है. वहीं, केंद्र सरकार का कहना है कि यह गलतफहमी है और अरावली का संरक्षण जारी रहेगा.

कैसे उठा अरावली का मुद्दा
सुप्रीम कोर्ट ने 20 नवंबर 2025 को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की समिति सिफारिश को स्वीकार किया था. इस नए सुझाव के मुताबिक केवल 100 मीटर या उससे अधिक ऊंचाई वाली पहाड़ियों को ही अरावली रेंज का हिस्सा माना जाएगा. यह मामला 1985 से चल रहा है. सुप्रीम कोर्ट से गोदावर्मन और एम.सी. मेहता मामले में अरावली को व्यापक संरक्षण प्राप्त है.