आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर मेनका गांधी.
- सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को शेल्टर होम भेजने और सड़कों से हटाने का आदेश दिया है.
- मेनका गांधी ने इस आदेश को आर्थिक रूप से अव्यावहारिक और पारिस्थितिक संतुलन के लिए नुकसानदायक बताया है.
- मेनका ने कहा कि दिल्ली में 3 लाख आवारा कुत्तों को शेल्टर होम भेजने के लिए हजारों करोड़ रुपये खर्च होंगे.
दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों पर सुप्रीम कोर्ट सख्त है. अदालत ने आदेश दिया है कि कुत्तों को शेल्टर होम भेजा जाए. सड़क पर कुत्ते नजर नहीं आने चाहिए. वहीं अगर कोई पशु प्रेमी इस फैसले के बीच में आया तो उस पर भी कार्रवाई की जाएगी. अदालत के फैसले के बाद आवारा कुत्तों पर मेनका गांधी का दर्द (Maneka Gandhi On Stray Dogs) छलक उठा है. पशु अधिकार कार्यकर्ता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी को अदालत का ये फैसला बिल्कुल भी पसंद नहीं आ रहा है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश की कड़ी आलोचना करते हुए इसे आर्थिक रूप से अव्यावहारिक और क्षेत्र के पारिस्थितिक संतुलन के लिए संभावित रूप से हानिकारक करार दिया है.
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#WATCH | Delhi | On SC order to send all stray dogs in Delhi-NCR to shelters within 8 weeks, Animal Rights Activist and BJP leader Maneka Gandhi says, "It is not a doable order... This is a very strange judgment given by someone who is in anger. Angry judgments are never… pic.twitter.com/z2Wog3XItY
— ANI (@ANI) August 11, 2025
3 लाख कुत्तों को कहां डालेंगे, पहले 3000 पाउंड बनाने पड़ेंगे
मेनका गांधी ने पीटीआई-भाषा' से कहा, “दिल्ली में तीन लाख आवारा कुत्ते हैं. उन सभी को पकड़कर शेल्टर होम भिजवाया जाएगा. उनको सड़कों से हटाने के लिए दिल्ली सरकार को 1 हजार या 2 हजार शेल्टर होम बनाने होंगे.क्यों कि ज्यादा कुत्तों को एक साथ नहीं रखा जा सकता. सबसे पहले तो उसके लिए जमीन तलाशनी होगी. इस पर 4-5 करोड़ के करीब का खर्च आएगा. क्यों कि हर सेंटर में केयरटेकर, खाना बनाने वाले और खिलाने वाले, और चौकीदार की व्यवस्था करनी होगी."
दिल्ली को 10 हजार करोड़ देने पड़ेंगे
सरकार को ऐसी 2-3 हजार जगहें देखनी होंगी, यहां लोग नहीं रहते हों. मान लीजिए अगर 100 कुत्तों को डिफेंस कॉलोनी में लोगों के बीच छोड़ दिया जाए तो सोचिए क्या होगा. इसीलिए 3 हजार ऐसी जगहें देखनी होंगी, जहां कोई रहता न हो. मेनका ने कहा कि कुत्तों के रख-रखाव और उनकी देखभाल पर लगभग 10,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे. क्या दिल्ली के पास इसके लिए 10,000 करोड़ रुपये हैं?”
कुत्तों को खिलाने के लिए हर हफ्ते 5 करोड़ रुपये लगेंगे
मेनका ने आगे कहा कि पकड़े गए कुत्तों को खिलाने के लिए हर हफ्ते कम से कम 5 करोड़ रुपये का और खर्च आएगा, इसके बाद ऐसे लोग चाहिए होंगे जो उनको जाकर खाना खिला सकें. ऐसा लगता है कि सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश "गुस्से में" और व्यवहार्यता पर विचार किए बिना पारित किया गया हो. उन्होंने कहा कि यह मामला "बिल्कुल बिना किसी कारण के" उठाया गया था, जो एक फर्जी अखबार की रिपोर्ट पर आधारित था, जिसमें कुत्तों द्वारा एक लड़की पर हमला करने की बात कही गई थी, उनके माता-पिता के मुताबिक, बाद में "दुर्भाग्य से उसकी मेनिन्जाइटिस से मौत हो गई".
मेनका ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उठाए सवाल
मेनका गांधी का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश गुस्से में और व्यवहार्यता पर विचार किए बिना पारित किया गया हो सकता है. उन्होंने इस फैसले की वैधता पर भी सवाल उठाया और कहा कि एक महीने पहले ही सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य बेंच ने इसी मुद्दे पर एक "संतुलित फैसला" सुनाया था. अब, एक महीने बाद, दो सदस्यीय बेंच ने एक और फैसला सुनाया है जिसमें कहा गया है कि 'सबको पकड़ो'. कौन सा फैसला सही है? ज़ाहिर है, पहला वाला, क्योंकि वह एक स्थापित फैसला है.
कुत्ते हटाए तो बंदर जमीन पर आ जाएंगे
पूर्व केंद्रीय मंत्री ने अनपेक्षित परिणामों की चेतावनी देते हुए कहा कि आवारा कुत्तों को हटाने से अन्य पर्यावरणीय समस्याएं पैदा हो सकती हैं. उन्होंने कहा कि 48 घंटों के भीतर, गाजियाबाद और फरीदाबाद से 3 लाख कुत्ते आ जाएंगे क्योंकि दिल्ली में भोजन उपलब्ध है. और जैसे ही आप कुत्तों को हटाएंगे, बंदर ज़मीन पर आतंक मचा देंगे. मैंने अपने घर में भी ऐसा होते देखा है. 1880 के दशक में पेरिस में, जब कुत्तों और बिल्लियों को हटाया गया, तो शहर चूहों से भर गया था," उन्होंने कुत्तों को "कृंतक नियंत्रण जानवर" कहा.
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