
- नागपुर ग्रामीण पुलिस और फोरेंसिक जांच ने पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख पर हुए कथित हमले को मनगढ़ंत बताया है.
- 19 नवंबर, 2024 को देशमुख पर कथित हमले में उनकी कार पर पथराव का दावा किया गया था जिससे उन्हें चोटें आई थीं.
- पुलिस ने अदालत में रिपोर्ट दी कि फोरेंसिक जांच में हमले के कोई ठोस सबूत नहीं मिले हैं और घटना संदिग्ध है.
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के प्रचार के अंतिम चरण में पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख पर हुए कथित हमले के मामले में एक बड़ा मोड़ आ गया है. नागपुर ग्रामीण पुलिस और फोरेंसिक जांच ने इस पूरी घटना को मनगढ़ंत बताया है.
अनिल देशमुख पर यह कथित हमला 19 नवंबर, 2024 को हुआ था, जब वह अपने बेटे के लिए प्रचार कर रहे थे. दावा किया गया था कि नरखेड़ से काटोल लौटते समय, बैलफाटा के पास अंधेरे में छिपे चार लोगों ने उनकी कार पर पथराव किया, जिससे उनके सिर में गंभीर चोटें आईं और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था. इस घटना के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद चंद्र पवार) के कार्यकर्ताओं ने देर रात विरोध प्रदर्शन भी किया था, जिससे राजनीतिक माहौल गरमा गया था.
हालांकि, नागपुर ग्रामीण पुलिस ने अब नागपुर सेशन कोर्ट में एक "बी फाइनल" रिपोर्ट पेश की है, जिसमें दावा किया गया है कि हमला फर्जी था. पुलिस ने अदालत को बताया कि फोरेंसिक रिपोर्ट में हमले का कोई सबूत नहीं मिला. पुलिस के अनुसार, "अगर किसी ने पत्थर फेंका होता, तो वह कार की बीच वाली या पिछली सीट पर होता, लेकिन घटना के समय पत्थर आगे वाली सीट पर था."
पुलिस ने निष्कर्ष निकाला है कि मामले में कोई तथ्य नहीं मिला, इसलिए इसकी आगे कोई जांच नहीं की जा सकती. पुलिस की इस रिपोर्ट के बाद यह गंभीर सवाल उठ रहा है कि क्या यह घटना वास्तव में हुई थी, या इसे चुनावी सहानुभूति हासिल करने के लिए रचा गया था.
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