इलाहाबाद हाई कोर्ट (Allahabad High Court) आज (गुरुवार) वाराणसी के ज्ञानवापी मस्जिद (Gyanvapi Masjid) विवाद में बड़ा दिशा-निर्देश दे सकता है. 8 अप्रैल को वाराणसी की सिविल अदालत की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने इसकी पुरातत्व विभाग से जांच कराने का आदेश दिया था. दरअसल, निचली अदालत में इस बाबत दयार एक प्रार्थना पत्र जिसमें गुजारिश की गई थी कि ज्ञानवापी मस्जिद स्वयंभू विश्वेश्वर मंदिर को तोड़ कर उसके ऊपर तामील की गई है और वहाँ आज भी मंदिर के अवशेष हैं, जिसकी पुरातत्व विभाग से जांच कराई जायए. इस प्रार्थना पत्र को स्वीकार करते हुए अदालत ने पुरातत्व विभाग से जांच कराने का आदेश दिया था.
इसी आदेश के खिलाफ सुन्नी वक़्फ़ बोर्ड ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल की है, जिस पर आज दोपहर बाद कोई फैसला आने की उम्मीद है.
गौरतलब है कि विश्वनाथ मंदिर परिसर में तामील ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर साल 1991 में एक मुकदमा दायर हुआ था, जिसमे मांग की गई थी कि मस्जिद स्वयंभू विश्वेश्वर मंदिर का एक अंश है. जहां हिंदू आस्थावानों को पूजा-पाठ, दर्शन और मरमम्त का अधिकार है. इसी मुकदमे में सर्वेक्षण का एक प्रार्थना पत्र विजय शंकर रस्तोगी ने दिया था और कहा था कि कथित विवादित परिसर में स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ का शिवलिंग आज भी स्थापित है. इसलिए, कोर्ट से भौतिक और पुरातात्विक दृष्टि से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा रडार तकनीक से सर्वेक्षण तथा परिसर की खुदाई कराकर रिपोर्ट मंगाने की अपील की गई थी. जिसपर कोर्ट ने आदेश जारी किया है.
इधर, अंजुमन इंतजामिया मस्ज़िद कमेटी और उनके वकील इस फैसले से इत्तेफाक नहीं रखते. उनका कहना है कि इस मामले में 1937 में ही फैसला आ गया था, जिसे बाद में 1942 में हाई कोर्ट ने भी तस्दीक किया था. फिर ये मामला चलना ही नहीं चाहिए. लिहाजा, मस्जिद पक्ष ने कानूनी लड़ाई लड़ने के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. आज इस मामले में कुछ डायरेक्शन आने की उम्मीद है.
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