वाराणसी के विश्वनाथ मंदिर, ज्ञानवापी केस में अदालत ने बड़ा फैसला आया है. वाराणसी की निचली अदालत ने काशी विश्वनाथ मंदिर महा परिसर में स्थित ज्ञानवापी के पुरातात्विक सर्वेक्षण के दिए आदेश दिए हैं. वाराणसी के सीनियर डिवीजन फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट के जज आशुतोष तिवारी ने सर्वेक्षण कराने का फैसला दिया है. फैसले में केंद्र के पुरातत्व विभाग के 5 विशेषज्ञों की टीम बना कर पूरे परिसर का अध्यन कराने के निर्देश दिए गए हैं.काशी विश्वनाथ मंदिर और उसी परिक्षेत्र में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद मामले में लंबी सुनवाई के बाद सिविल जज सीनियर डिविजन फास्टट्रैक की अदालत ने फैसला सुरक्षित रखा था.
काशी यानी वाराणसी के स्थानीय वकील विजय शंकर रस्तोगी ने दिसंबर 1991 में सिविल जज की अदालत में स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर की ओर से एक आवेदन दायर किया था, जिसमें भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के विशेषज्ञों से संपूर्ण ज्ञानवापी परिसर का सर्वेक्षण करने का अनुरोध किया गया था. उन्होंने स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर के ‘वाद मित्र' के रूप में याचिका दायर की थी.बाद में इसी याचिका पर जनवरी 2020 में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति ने ज्ञानवापी मस्जिद और परिसर का एएसआई द्वारा सर्वेक्षण कराए जाने की मांग पर अपना विरोध दर्ज किया था. द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक काशी विश्वनाथ और उसी परिक्षेत्र में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद मामले में एक नया मोड़ आ गया. पुरातात्विक सर्वेक्षण मामले पर वादी मंदिर पक्ष के प्रार्थना पत्र पर सभी पक्षकारों की दलीलें और तर्कों सबूतों पर लंबी सुनवाई हुई. दोनों पक्षों की बहस के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था.
गौरतलब है कि काशी विश्वनाथ मंदिर पक्ष की ओर से 1991 से दायर मुकदमे में मांग की गई थी कि मस्जिद, ज्योतिर्लिंग विश्वेश्वर मंदिर का एक अंश है जहां हिंदू आस्थावानों को पूजा-पाठ, दर्शन और मरमम्त का अधिकार है. कोर्ट से ये केस प्राचीन मूर्ति स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वर के पक्षकार पंडित सोमनाथ व्यास और अन्य ने दायर किया था. मुकदमे में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद तथा अन्य विपक्षी हैं. मुकदमा दाखिल करने वाले दो वादियों डॉ. रामरंग शर्मा और पंडित सोमनाथ व्यास की मौत हो चुकी है, जिसके बाद वादी पंडित सोमनाथ व्यास की जगह पर प्रतिनिधित्व कर रहे वादमित्र पूर्व जिला शासकीय अधिवक्ता (सिविल) विजय शंकर रस्तोगी ने प्रार्थनापत्र में कहा था कि कथित विवादित परिसर में स्वयंभू विश्वेश्वरनाथ का शिवलिंग आज भी स्थापित है. यह देश के बारह ज्योतिर्लिंग में से है और मंदिर परिसर पर कब्जा करके मुसलमानों ने मस्जिद बना ली है. प्रार्थनापत्र में कहा गया कि 15 अगस्त 1947 में विवादित परिसर का स्वरूप मंदिर का ही था.
खास बात यह है कि पिछले दो वर्षों से भी ज्यादा वक्त से पूरे ज्ञानवापी मस्जिद क्षेत्र के पुरातात्विक सर्वे की मांग करने वाले प्रार्थना पर फैसला अचानक तेजी से सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक कोर्ट ने अपने ट्रांसफर होने के ठीक पहले सुनवाई करके सुरक्षित रखा था. सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रेक कोर्ट आशुतोष तिवारी वाराणसी कोर्ट में अपना अंतिम फैसला सुनाकर शाहजहांपुर जा रहे हैं, शुक्रवार को उन्हें यहां नए जज को चार्ज हैंडओवर करना है.
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