वायुसेना के दो लड़ाकू विमान सुखोई 30 और मिराज 2000 के हादसे को लेकर स्थिति अभी तक साफ नहीं है. दोनों विमान मध्य प्रदेश के ग्वालियर एयरबेस से उड़े. इसी प्रदेश के मुरैना जिले में दुघर्टनाग्रस्त हो गए. एक विमान का मलबा करीब 90 किलोमीटर दूर राजस्थान के भरतपुर में मिला. हादसे की वजहों के लिए वायुसेना ने कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के आदेश दिए हैं. यह इस बात की भी जांच करेगी क्या दोनों विमान आपस में टकरा गए? क्या विमान में तकनीकी खराबी आ गई थी? जिस वजह से हादसा हुआ? या फिर यह हादसा मानवीय भूल का नतीजा है या बर्ड्स से टकरा गए?
कलाबाजी के दौरान होता है रिस्क
वायुसेना के मुताबिक, किसी भी आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता. दोनों विमान ट्रेनिंग मिशन पर फ्लाई कर रहे थे. इस अभ्यास में कलाबाजी ( maneuvers )के दौरान रिस्क होता है. हादसे होने की आशंका ज़्यादा होती है. वायुसेना के मुताबिक, जांच टीम को जो भी सबूत मिलेंगे, उसके आधार पर ही मूल्याकंन कर वह किसी नतीजे पर पहुंचेगी. इस हादसे में मिराज के पायलट की मौत हो गई है. वहीं सुखोई के दोनों पायलट को इजेक्शन के बाद चोट तो आई है, पर वह ज़्यादा गंभीर नहीं है. दोनों लड़ाकू विमान वायुसेना के अग्रिम पंक्ति के लड़ाकू विमान हैं.
मिराज और सुखोई की जान लें ताकत
मिराज ने 1999 ने करगिल जंग में बिना एलओसी पार किए पाक घुसपैठियों के बंकर तबाह किए थे. वहीं 2019 में बालाकोट में जैश के आतंकी ठिकाने को बर्बाद किया था. सुखोई का भी कोई जवाब नहीं. अपने कटेगरी में इसका कोई सानी नहीं है. हमला भी कर सकता है और बचाव भी. खासकर जब से इस लड़ाकू विमान में ब्रह्मोस लग गया है, तो यह और भी घातक हो गया है. ऐसे में जबकि वायुसेना पहले से ही लड़ाकू विमानों की कमी से जूझ रही है, इन दोनों विमानों का दुर्घटनाग्रस्त हो जाना और एक पायलट की जान चली जाना, बहुत बड़ा नुकसान है.<
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