पिछले साल अगस्त के बाद भारतीय प्रतिनिधिमंडल और तालिबान आज पहली बार काबुल में मिले. विदेशी मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने आज संवाददाताओं से कहा कि पिछले साल 15 अगस्त के बाद अफगानिस्तान में सुरक्षा की बिगड़ती स्थिति के मद्देनजर यहां पर काम कर रहे सभी भारतीय अधिकारियों को वापस लाने का निर्णय लिया गया था. हालांकि, लोकल स्टॉफ काम करते रहे और वहां हमारे परिसर का उचित रखरखाव सुनिश्चित करते रहे.
उन्होंने कहा कि तालिबान के साथ भारत के जुड़ाव के पीछे का खाका अफगानिस्तान के साथ भारत के ऐतिहासिक संबंधों पर आधारित है. बागची ने कहा कि भारत के अफगान लोगों के साथ ऐतिहासिक और सामाजिक संबंध हैं.
उन्होंने कहा कि भारतीय टीम तालिबान के वरिष्ठ सदस्यों से मुलाकात करेगी और अफगानिस्तान के लोगों को भारत की मानवीय सहायता पर चर्चा करेगी. तालिबान के अमीर खान मोत्ताकी (Amir Khan Mottaki) ने सिंह से मुलाकात की और कहा कि वे चाहते हैं कि भारत अपनी रुकी हुई परियोजनाओं को फिर से शुरू करे. डिप्लोमैटिक प्रजेंस को फिर से एक्टिव करे.
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारतीय टीम अफगानिस्तान में कई जगहों का दौरा करने की कोशिश करेगी जहां भारत समर्थित परियोजनाओं और कार्यक्रमों को लागू किया जा रहा है. वहीं तालिबान ने भारत से अनुरोध किया कि वह अफगानिस्तान के साथ व्यापार में भी काम करने पर विचार करे. बता दें कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना के निकलने के बाद यह देश पूरी तरह तालिबान के नियंत्रण में है.
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