
अमेरिका से डिपोर्ट किए गए भारतीय नागरिकों से जुड़े 'डंकी रूट केस' में प्रवर्तन निदेशालय ने बड़ी कार्रवाई की है. ईडी जालंधर ने बुधवार 9 जुलाई को पंजाब और हरियाणा के 11 ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की गई. यह छापे अमृतसर, संगरूर, पटियाला, मोगा, अंबाला, कुरुक्षेत्र और करनाल जिलों में मारे गए. ईडी की इस कार्रवाई में 30 पासपोर्ट जब्त किए गए हैं. साथ ही जांच एजेंसी ने करोड़ों रुपये के हवाला लेनदेन का भी खुलासा करने में कामयाबी हासिल की है.
मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत यह कार्रवाई पंजाब और हरियाणा पुलिस की एफआईआरों के आधार पर शुरू की थी, जो कि BNS 2023 (पूर्व में IPC 1860) और इमिग्रेशन एक्ट, 1983 की धाराओं के तहत दर्ज की गई थीं.
क्या है ‘डंकी रूट' केस
जांच में सामने आया कि अमेरिका जाने की चाहत रखने वाले लोगों को कुछ ट्रैवल एजेंट्स और बिचौलियों ने कानूनी वीजा का झांसा देकर धोखा दिया, लेकिन उन्हें गैरकानूनी तरीके से 'डंकी रूट' यानी खतरनाक रास्तों और कई देशों की सरहदें पार करवा कर अमेरिका भेजा गया. इस काम में डोंकर (ह्यूमन ट्रैफिकिंग गिरोह के सदस्य) और अंतरराष्ट्रीय माफिया शामिल थे.
इतना ही नहीं रास्ते में इन यात्रियों को डराकर और धमकाकर उनके परिवारों से अतिरिक्त पैसे भी वसूले जाते थे.
छापेमारी में क्या-क्या मिला
- एक एजेंट के घर से 30 असली पासपोर्ट बरामद किए गए हैं.
- कई डिजिटल डिवाइसेज, दस्तावेज और आपत्तिजनक रिकॉर्ड्स जब्त किए गए हैं.
- एजेंट्स द्वारा कई करोड़ रुपये की नकद और हवाला ट्रांजेक्शन करने के पक्के सबूत मिले हैं.
- जांच में कई अन्य एजेंट्स और इमिग्रेशन कंपनियों के नाम भी सामने आए हैं, जो बड़े पैमाने पर यह अवैध धंधा चला रहे हैं.
ईडी ने तेज की अपनी जांच
ईडी ने इस पूरे नेटवर्क की तह तक पहुंचने के लिए अपनी जांच तेज कर दी है. एजेंट्स, डोंकर्स और हवाला ऑपरेटर्स की मिलीभगत की परतें खुल रही हैं. फिलहाल आगे की कार्रवाई जारी है.
'डंकी रूट' एक अवैध तरीका है, जिसमें लोगों को गैरकानूनी और जानलेवा रास्तों से विदेश पहुंचाया जाता है. यह अक्सर बिना वीजा या दस्तावेजों के होता है.
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