नई दिल्ली:
1993 मुंबई धमाकों में सजायाफ्ता यूसुफ नलवाला की क्यूरेटिव पेटिशन पर सुप्रीम कोर्ट बुधवार को फैसला सुनाएगा। नलवाला केस में फैसले का असर फिल्म स्टार संजय दत्त पर भी पड़ सकता है, क्योंकि दोनों को एक ही केस में पांच साल की सजा हुई थी। हालांकि बताया जा रहा है कि संजय दत्त 25 फरवरी को रिहा हो सकते हैं।
अगर सुप्रीम कोर्ट नलवाला की दलील मान लेता है कि AK- 56 ऑटोमैटिक और प्रतिबंधित नहीं थी और आर्म्स एक्ट के तहत इसके लिए तीन साल से ज्यादा सजा नहीं दी जा सकती, तो संजय दत्त का मामला भी इसके दायरे में आ जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल यूसुफ मोहसिन नलवाला की अर्जी में कहा गया है कि उसे टाडा कोर्ट ने प्रतिबंधित AK-56 रखने के मामले में पांच साल की सजा सुनाई थी जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगाई। लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक ये राइफल सेमीआटोमैटिक थी और प्रतिबंधित नहीं है। ऐसे में उसे तीन साल की सजा से ज्यादा नहीं दी जा सकती।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इस नए तथ्य पर हैरानी जताते हुए नलवाला को क्यूरेटिव पेटिशन दाखिल करने को कहा था। कोर्ट ने कहा था कि हैरानी की बात है कि ये तथ्य ना तो टाडा कोर्ट के संज्ञान में आया और ना ही सुप्रीम कोर्ट की अपील की सुनवाई के दौरान।
दरअसल टाडा कोर्ट द्वारा संजय दत्त और नलवाला की पांच साल की सजा पर पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट ने मई 2013 में खारिज कर दी थी और जुलाई 2013 में संजय दत्त की क्यूरेटिव पेटिशन भी खारिज कर दी गई, जबकि उस वक्त नलवाला ने क्यूरेटिव दाखिल नहीं की थी। सुप्रीम कोर्ट के सुझाव के बाद उसने क्यूरेटिव पेटिशन दाखिल की थी। हालांकि ये फैसला जज अपने चैंबर में करेंगे, लेकिन कोर्ट इस मामले की सुनवाई खुली अदालत में करने का फैसला भी सुना सकता है।
अगर सुप्रीम कोर्ट नलवाला की दलील मान लेता है कि AK- 56 ऑटोमैटिक और प्रतिबंधित नहीं थी और आर्म्स एक्ट के तहत इसके लिए तीन साल से ज्यादा सजा नहीं दी जा सकती, तो संजय दत्त का मामला भी इसके दायरे में आ जाएगा।
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल यूसुफ मोहसिन नलवाला की अर्जी में कहा गया है कि उसे टाडा कोर्ट ने प्रतिबंधित AK-56 रखने के मामले में पांच साल की सजा सुनाई थी जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने भी मुहर लगाई। लेकिन विशेषज्ञों के मुताबिक ये राइफल सेमीआटोमैटिक थी और प्रतिबंधित नहीं है। ऐसे में उसे तीन साल की सजा से ज्यादा नहीं दी जा सकती।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इस नए तथ्य पर हैरानी जताते हुए नलवाला को क्यूरेटिव पेटिशन दाखिल करने को कहा था। कोर्ट ने कहा था कि हैरानी की बात है कि ये तथ्य ना तो टाडा कोर्ट के संज्ञान में आया और ना ही सुप्रीम कोर्ट की अपील की सुनवाई के दौरान।
दरअसल टाडा कोर्ट द्वारा संजय दत्त और नलवाला की पांच साल की सजा पर पुनर्विचार याचिका सुप्रीम कोर्ट ने मई 2013 में खारिज कर दी थी और जुलाई 2013 में संजय दत्त की क्यूरेटिव पेटिशन भी खारिज कर दी गई, जबकि उस वक्त नलवाला ने क्यूरेटिव दाखिल नहीं की थी। सुप्रीम कोर्ट के सुझाव के बाद उसने क्यूरेटिव पेटिशन दाखिल की थी। हालांकि ये फैसला जज अपने चैंबर में करेंगे, लेकिन कोर्ट इस मामले की सुनवाई खुली अदालत में करने का फैसला भी सुना सकता है।
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