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This Article is From Mar 01, 2022

'आप 18,000 लोगों को नहीं निकाल पा रहे, गुजराल ने तो 1.7 लाख को निकाला था': PM मोदी पर बरसे यशवंत सिन्हा

सिन्हा ने कहा, "यूपी में अभी भी चुनाव हो रहे हैं और इस अवसर का उपयोग यह प्रचार करने के लिए करना कि भारत सरकार ने शानदार काम किया है...किसी बड़ी त्रासदी से कम नहीं है" उन्होंने कहा, "यूपी में चुनावी रैलियों में पीएम का इस बारे में बात करना बहुत अच्छी बात नहीं है. यह तो सरकार का कर्तव्य है."

पिछले कुछ दिनों में भारतीय छात्रों को रोमानिया और पोलैंड की सीमाओं पर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

नई दिल्ली:

रूसी हमले झेल रहे यूक्रेन (Russian Invasion of Ukraine) में फंसे भारतीयों को ससमय नहीं निकालने और अभी भी हो रही देरी पर विपक्षी कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस ने सरकार पर हमला बोला है. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने सरकार पर "प्रभावी कदम नहीं उठाने" और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी पर इस "कार्रवाई में लापता" रहने का आरोप लगाया है. वहीं, तृणमूल कांग्रेस के यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) ने कहा कि ये सरकार 18,000 लोगों को नहीं निकाल पा रही है जबकि 1990 में खाड़ी युद्ध के दौरान भारत ने सफलतापूर्वक बड़ा निकासी अभियान चलाया था.

अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में विदेश मंत्री रह चुके यशवंत सिन्हा ने कहा कि यूक्रेन में फंसे लोगों की अनुमानित संख्या केवल 18,000 ही है, जबकि अतीत में भारत द्वारा किए गए एयरलिफ्ट्स की तुलना में यह बहुत बड़ी संख्या नहीं है.

उन्होंने बताया कि भारत ने 1990 में अगस्त से अक्टूबर के बीच कुवैत से 1,70,000 लोगों को निकाला था. उन्होंने बताया कि उस वक्त निकासी अभियान की निगरानी पूर्व प्रधान मंत्री इन्दर कुमार गुजराल ने की थी, जो उस समय विदेश मंत्री थे.

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उन्होंने कहा, "यूपी में अभी भी चुनाव हो रहे हैं और इस अवसर का उपयोग यह प्रचार करने के लिए करना कि भारत सरकार ने शानदार काम किया है...किसी बड़ी त्रासदी से कम नहीं है" उन्होंने कहा, "यूपी में चुनावी रैलियों में पीएम का इस बारे में बात करना बहुत अच्छी बात नहीं है. यह तो सरकार का कर्तव्य है."

सिन्हा ने कहा, "सरकार यह भली भांति जानती थी कि  संकट आ रहा है. उसे वतन वापस आने के इच्छुक लोगों को लाने के लिए समय पर कदम उठाना चाहिए था, जब यूक्रेन का हवाई क्षेत्र खुला था."

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, "हवाई क्षेत्र बंद होने के बाद भी यूक्रेन में हमारे दूतावास को छात्रों को बस या जो भी परिवहन उपलब्ध हो, उससे जल्द से जल्द पड़ोसी देशों तक छोड़ने की व्यवस्था करनी चाहिए थी."

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सिन्हा ने कहा, "सरकार को एक आकस्मिक योजना के साथ तैयार रहना चाहिए था. अब चार मंत्रियों को यूक्रेन की सीमा से लगे देशों में भेजने की बात हो रही है, यह बहुत पहले हो जाना चाहिए था."

पिछले कुछ दिनों से ऐसी खबरें आई हैं कि भारतीय छात्रों को रोमानिया और पोलैंड की सीमाओं पर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. छात्रों ने भी दावा किया कि उनमें से कई को पीटा गया और जब वे मीलों पैदल चलकर सीमा पर पहुंचे, तो कड़ाके की ठंड में सीमा पार करने नहीं दिया गया.

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