देश में यूनानी डॉक्टरों का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन ऑल इंडिया यूनानी तिब्बी कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर केंद्रीय आयुष मंत्रालय द्वारा आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति के मुकाबले यूनानी पद्धति को महत्व नहीं दिए जाने का मामला उठाया है. संगठन ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि आयुर्वेद के साथ-साथ यूनानी को भी भारतीय चिकित्सा पद्धति को बढ़ावा देने के लिए आयुष मंत्रालय के तहत रखा गया है, लेकिन मंत्रालय के ज़रिये जितना बढ़ावा आयुर्वेद को दिया जाता है, उतना यूनानी को नहीं दिया जाता है. पत्र में यहां तक कहा गया है कि आयुष मंत्रालय द्वारा यूनानी के साथ भेदभाव रवैया अपनाया जा रहा है, जो अफसोसनाक है. ऑल इंडिया यूनानी तिब्बी कांग्रेस ने आयुर्वेद की ही तरह यूनानी के डॉक्टरों को भी सर्जरी की अनुमति देने के साथ यूनानी पद्धति का स्वतंत्र बोर्ड बनाने की मांग भी की गई है.
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ऑल इंडिया यूनानी तिब्बी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रोफेसर मुश्ताक अहमद ने NDTV से बातचीत में बताया कि खत में प्रधानमंत्री का ध्यान केंद्र सरकार के उस फैसले की ओर आकृष्ट किया गया है, जिसमें पोस्ट ग्रेजुएट आयुर्वेद चिकित्सकों को सर्जरी करने की अनुमति दी गई है. उन्होंने कहा कि सरकार का यह फैसला सराहनीय है, और इससे देश के गरीब और कमज़ोर तबके के लोगों को चिकित्सा सुविधा पाने में आसानी होगी. सरकार का यह कदम चिकित्सा के क्षेत्र में नई क्रांति लाएगा. लेकिन प्रोफेसर मुश्ताक अहमद ने यह भी कहा कि सरकार ने पोस्ट ग्रेजुएट यूनानी डॉक्टरों को फैसले से अलग रखा है, जो मुनासिब नहीं. उन्होंने कहा, आयुर्वेद और यूनानी का पाठ्यक्रम लगभग एक जैसा है, और यूजी और पीजी में दोनों पद्धति के छात्रों को सर्जरी पढ़ाई जाती है तथा ट्रेनिंग दी जाती है.
प्रोफेसर मुश्ताक अहमद के मुताबिक, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी, बेंगलुरू स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ यूनानी मेडिसिन तथा पुणे के यूनानी मेडिकल कॉलेज में एमएस सर्जरी का तीन साल का कोर्स करने के बाद बने डॉक्टर भी सर्जरी करते हैं. अब सरकार ने आयुर्वेद चिकित्सकों को सर्जरी करने की अनुमति दे दी है, लेकिन उस फैसले में यूनानी चिकित्सकों का ज़िक्र नहीं है, जबकि दोनों पद्धतियों की ट्रेनिंग एक जैसी है. उन्होंने कहा कि यूनानी चिकित्सा पद्धति में पुराने समय से ही सर्जरी होती रही है, और यूनानी चिकित्सकों व हकीमों को सर्जरी के बारे में बाकायदा शिक्षा दी जाती है.
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ऑल इंडिया यूनानी तिब्बी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष का कहना है कि सरकार ने आयुर्वेद सलाहकार को आयुष मंत्रालय में बने आयुष कमीशन में मेंबर बनाया गया है, लेकिन यूनानी सलाहकार नियुक्त तो किया गया है, लेकिन उन्हें कमीशन में जगह नहीं दी गई है, जो भेदभाव है. इसके अलावा आयुर्वेद की ही तरह यूनानी के तमाम विभागों में भी नियुक्तियां की जानी चाहिए. स्वास्थ्य स्कीम के तहत आयुर्वेद और होम्योपैथी की तरह यूनानी डिस्पेंसरी भी खोली जानी चाहिए.
इस संबंध में जब NDTV ने नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वीके पॉल से संपर्क किया, तो उन्होंने इस मुद्दे पर बात करने से इंकार कर दिया.
Video: सर्जरी पर आयुर्वेद बनाम एलोपैथी ?
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