विज्ञापन
This Article is From Jul 20, 2020

AGR मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "संबंधित बकाये के पुन:आकलन के बारे में कोई बहस नहीं सुनी जायेगी"

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, हमें लंबित बकाए पर बेईमानी से व्यवहार करने वाले टेलीकॉम को राहत क्यों देनी चाहिए?

AGR मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "संबंधित बकाये के पुन:आकलन के बारे में कोई बहस नहीं सुनी जायेगी"
नई दिल्ली:

टेलीकॉम कंपनियों को समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) जमा करने को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा. सोमवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह टेलीकॉम कंपनियों को बकाया राशि की फिर से गणना करने की अनुमति नहीं देगा. कोर्ट ने दूरसंचार विभाग (DoT) को आरकॉम, सिस्तेमा श्याम टेलीसर्विसेज, वीडियोकॉन से संबंधित दिवालापन प्रक्रिया पर 7 दिनों के भीतर ब्योरा देने को कहा है. अब 10 अगस्त को मामले की सुनवाई होगी. दूरसंचार विभाग ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट 20 साल में बकाया राशि वसूलने की अनुमति दे. दूरसंचार कंपनियों द्वारा बकाया के बारे में विभाग ने शीर्ष अदालत को सूचित किया है. एयरटेल ने 18004 करोड़ का भुगतान किया है, बकाया राशि लगभग 25976 करोड़ है. वहीं वोडाफोन-आइडिया ने 7854 करोड़ का भुगतान किया, शेष राशि लगभग 50399 करोड़ है. टाटा टेलीकॉम ने  4197 करोड भुगतान किया, उसपर शेष 12601 करोड़ है.  

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा, हमें लंबित बकाए पर बेईमानी से व्यवहार करने वाले टेलीकॉम को राहत क्यों देनी चाहिए? वोडाफोन की तरफ से कोर्ट में पेश हुए मुकुल रोहतगी ने कहा, " पिछले 10 वर्षों में भारत के व्यवसायों में पूरे निवेश में घाटा हुआ है. वार्षिक राजस्व, आईटी रिटर्न का विवरण दाखिल किया गया है. 1 लाख करोड़ इक्विटी का सफाया हो चुका है."

इस पर कोर्ट ने कहा, "क्या आपने आकस्मिक देयताओं के लिए वार्षिक खातों की व्यवस्था की है? रोहतगी ने जवाब दिया,  "हम TDSAT में सफल रहे इसलिए हमारे पास कोई प्रावधान नहीं था." सुप्रीम कोर्ट ने कहा, दूरसंचार विभाग की मांग के बावजूद आपने AGR बकाया के लिए प्रावधान क्यों नहीं किया? वोडाफोन आइडिया के वकील ने कहा, "दंड और ब्याज राशि 50 हजार करोड़ को पार कर गई जबकि दूरसंचार विभाग की गणना के अनुसार 14 हजार करोड़ रुपये AGR बकाया था. हमने जो कुछ भी कमाया वह खर्चों में बह गया."इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "प्रश्न यह नहीं है कि यदि आप कुछ छिपा रहे हैं, सवाल तो यह है कि आप AGR बकाया का भुगतान कैसे करेंगे?"

बता दें कि पिछली सुनवाई में कोर्ट ने बकाया ना चुकाने वाली टेलीकॉम कंपनियों से 10 साल का बहीखाता मांगा था, साथ ही कंपनियों से यह भी कहा कि 10 साल में दिए गए टैक्स का ब्यौरा भी कोर्ट में दाखिल करें.

देश की सबसे बड़ी अदालत ने केंद्र से कहा कि वो कंपनियों की भुगतान योजना पर विचार करे और कोर्ट को इस संबंध में जानकारी दे.सुनवाई के दौरान जस्टिस एमआर शाह ने कहा कि कोरोना महामारी के दौरान दूरसंचार एकमात्र ऐसा क्षेत्र है जो पैसा कमा रहा है, इसलिए उसे कुछ धनराशि जमा करनी होगी. क्योंकि सरकार को महामारी के इस दौर में पैसे की जरूरत है.सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में हलफनामा दायर करते हुए बताया कि पीएसयू के खिलाफ एजीआर बकाया को वापस ले लिया गया है. यह भी कहा गया कि 4 लाख करोड़ रुपये का 96% बिल वापस ले लिया गया है.

उन्होंने आगे कहा कि टेलीकॉम कंपनियों ने हलफनामा दाखिल कर दिया है. दूरसंचार विभाग को जवाब देना है और इसके लिए कुछ समय मिलना चाहिए. सुनवाई के दौरान भारती एयरटेल ने कोर्ट से कहा कि सरकार और कंपनियों को समाधान के लिए साथ बैठना चाहिए जिससे बकाया भुगतान को लेकर फैसला किया जा सके.इससे पहले एजीआर जमा करने को लेकर दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए टेलीकॉम कंपनियों को हलफनामा दाखिल कर बताने को कहा था कि वे बकाया का भुगतान कैसे करेंगे. कोर्ट ने टाइमफ्रेम के बारे में भी बताने को कहा था.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2019 के फैसले को सार्वजनिक उपक्रमों से बकाया मांगने का आधार नहीं बनाया जा सकता था. 
कोर्ट ने टेलीकॉम विभाग को कहा कि वो सार्वजनिक उपक्रम (पीएसयू) से बकाया मांगने के मुद्दे पर फिर से विचार करे. 

क्या होता है एजीआर
एजीआर यानी एडजस्ट ग्रॉस रेवेन्यू दूरसंचार विभाग (DoT) की ओर से टेलीकॉम कंपनियों से लिया जाने वाला यूसेज और लाइसेंसिंग फीस है. आंकड़ों के मुताबिक, इन कंपनियों पर एजीआर के तहत 1.47 लाख करोड़ रुपया बकाया है. भारती एयरटेल पर करीब 35 हजार करोड़ और वोडाफोन-आइडिया पर 53 हजार करोड़ बाकी है. इसके अलावा कुछ कंपनियों पर बकाया है.

सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अक्टूबर में टेलीकॉम कंपनियों के मामले में केंद्र की एजीआर की परिभाषा को स्वीकार करते हुए इन टेलीकॉम कंपनियों को कुल 1.47 लाख करोड़ रुपये का सांविधिक बकाये का भुगतान करने का आदेश दिया था. सरकार ने इन दूरसंचार कंपनियों के लिए एजीआर बकाए के भुगतान को 20 साल में सालाना किस्तों में चुकाने का प्रस्ताव रखा था.

सुप्रीम कोर्ट की कड़ी नाराज़गी के बाद टेलीकॉम कंपनियां चुका रही हैं रकम

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com