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This Article is From Apr 30, 2020

हैशटैग संग भड़काऊ ट्वीट पर रोक वाली याचिका खारिज, SC ने कहा - अगर MTNL के फोन पर लोग अश्लील बातचीत कर रहे हों, तो...

हैशटैग के साथ भड़काऊ ट्वीट पर रोक की मांग वाली जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) शरद अरविंद बोबड़े (Sharad Arvind Bobde) ने टिप्पणी करते हुए उसे खारिज कर दिया.

हैशटैग संग भड़काऊ ट्वीट पर रोक वाली याचिका खारिज, SC ने कहा - अगर MTNL के फोन पर लोग अश्लील बातचीत कर रहे हों, तो...
सुप्रीम कोर्ट ने हैशटैग के साथ भड़काऊ ट्वीट पर रोक की मांग वाली याचिका खारिज की. (फाइल फोटो)
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की याचिका
चीफ जस्टिस ने खारिज की PIL
CJI ने याचिका पर की टिप्पणी
नई दिल्ली:

हैशटैग के साथ भड़काऊ ट्वीट पर रोक की मांग वाली जनहित याचिका पर चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) शरद अरविंद बोबड़े (Sharad Arvind Bobde) ने टिप्पणी करते हुए उसे खारिज कर दिया. उन्होंने कहा कि कोर्ट ऐसा आदेश कैसे दे सकता है. यह तो ठीक उसी तरह हुआ कि MTNL की फोनलाइन पर लोग आपत्तिजनक बातचीत कर रहे हैं, तो हम MTNL को बंद करने को कह दें. हम कोई आदेश नहीं दे सकते. जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को खारिज कर दिया.

बताते चलें कि सुप्रीम कोर्ट ने आज (गुरुवार) कई याचिकाओं पर सुनवाई की. शीर्ष अदालत ने आज केंद्र की प्रस्तावित सेंट्रल विस्टा योजना को चुनौती देने वाली याचिका पर भी सुनवाई की. सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल योजना पर रोक लगाने से इनकार किया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कोरोना कोई काम नहीं होने दे रहा है. इस मामले में कोई जल्दबाजी की जरूरत नहीं है. कोर्ट ने कहा कि ऐसी ही याचिका पहले से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है, इसलिए याचिकाकर्ता याचिका में संशोधन करें. वहीं सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अगर नई संसद बन रही है तो विरोध क्यों. वहीं याचिकाकर्ता ने कहा कि सरकार इस मामले में आगे बढ़ रही है.

अदालत ने एक अन्य याचिका के तहत कोरोना लॉकडाउन के दौरान काम बंद होने के कारण किराए में छूट देने से इंकार कर दिया. वकीलों को कोई राहत नहीं मिली. सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की वकीलों को चैंबर, ऑफिस के किराए में छूट की मांग सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वकीलों को कोई विशेष छूट कोर्ट नहीं दे सकता. अदालत ने कहा कि कल आर्किटेक्ट भी ऐसी मांग लेकर सुप्रीम कोर्ट में आ जाएंगे, इंजीनियर भी सुप्रीम कोर्ट आ जाएंगे, कई मामलों में मकान मालिक भी किराए पर निर्भर करता है. कोर्ट वकीलों को विशेष या अलग कैटेगरी में नहीं रख सकता.

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