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This Article is From Feb 07, 2013

आम जनता की कीमत पर VIP सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट के तीखे सवाल

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने आज राज्य सरकारों से दो दिनों के भीतर इस बात का हलफनामा देने को कहा है कि वीआईपी सुरक्षा पर कितने सुरक्षाकर्मी तैनात किए गए हैं। ऐसा नहीं करने पर राज्यों के गृह सचिव को कोर्ट में पेश होना पड़ेगा।

इससे पहले, वीवीआईपी और गाड़ियों की लालबत्ती के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों से इस बारे में हलफनामा देने को कहा था, लेकिन बहुत कम राज्यों से जवाब मिलने के बाद कोर्ट ने यह चेतावनी जारी की है।

इस मामले में कोर्ट के सलाहकार की भूमिका निभा रहे वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने कहा कि वीवीआईपी सुरक्षा के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किए जा रहे हैं और अगर इसका इस्तेमाल महिलाओं की सुरक्षा के लिए होता और पुलिस सरप्राइज चेकिंग जैसे कदम उठाती, तो दिल्ली गैंगरेप जैसी भयानक घटना टाली जा सकती थी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिल्ली की मुख्यमंत्री भी मानती है कि राजधानी में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। कोर्ट ने कहा कि देश के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, लोकसभा अध्यक्ष और ऐसे दूसरे पदों के लिए सुरक्षा देने की वजह हम समझते हैं, लेकिन जजों को सुरक्षा देने का क्या मतलब है। जो लोग सत्ता में नहीं हैं या फिर जिनके खिलाफ मामले लंबित हों, उन्हें सुरक्षा क्यों दी गई है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को कई मुद्दों पर हलफनामा देने को कहा है। कोर्ट ने पूछा है कि संवैधानिक पदों पर बैठे कितने लोगों की सुरक्षा खतरा है। मामले की सुनवाई अब 14 फरवरी को होगी।

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