कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज की नजरबंदी मामले पर SC ने केंद्र को जारी किया नोटिस, जुलाई में होगी अगली सुनवाई

सुप्रीम कोर्ट में आज कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज़ की जम्मू- कश्मीर में हिरासत के मामले पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने केंद्र सरकार और जम्मू कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी किया है.

कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज की नजरबंदी मामले पर SC ने केंद्र को जारी किया नोटिस, जुलाई में होगी अगली सुनवाई

सैफुद्दीन सोज की पत्नी ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की थी याचिका

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट में आज कांग्रेस नेता सैफुद्दीन सोज़ की जम्मू- कश्मीर में हिरासत के मामले पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने केंद्र सरकार और जम्मू कश्मीर प्रशासन को नोटिस जारी किया है. साथ ही अगले हफ्ते सुनवाई की मांग भी ठुकराते हुए जुलाई के दूसरे हफ्ते में सुनवाई के आदेश दिए हैं. गौरतलब है कि पूर्व केन्दीय मंत्री एवं जम्मू कश्मीर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सैफुद्दीन सोज की पांच अगस्त 2019 से घर में ही नजरबंदी को चुनौती देते हुये उनकी पत्नी ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी. याचिका में सोज की नजरबंदी का आदेश निरस्त करने और उन्हें अदालत में पेश करने का आदेश देने का अनुरोध किया गया है. 

कांग्रेस के इस वरिष्ठ नेता की पत्नी मुमताजुन्निसा सोज ने याचिका में आरोप लगाया है कि उनके पति को जम्मू कश्मीर लोक सुरक्षा कानून, 1978 के तहत घर में ही नजरबंद करने की वजहें आज तक नहीं बताई गयी हैं जिसकी वजह से वह इस गिरफ्तारी को चुनौती देने में असमर्थ हैं.  याचिका के अनुसार यह नजरबंदी गैरकानूनी, दुर्भावनापूर्ण और असंवैधानिक ही नहीं बल्कि बेहद डरावनी भी है. याचिका में कहा गया है कि प्रो सैफुद्दीन सोज की नजरबंदी संविधान के अनुच्छेद 21 (जीने के अधिकार) और 22 (गिरफ्तारी की वजह जानने के अधिकार) में प्रदत्त मौलिक अधिकारों और एहतियाती नजरबंदी के कानून का हनन करती है. 

याचिका में सुप्रीम कोर्ट से मांग की गई है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री को तुरंत रिहा करने के आदेश जारी किए जाएं. याचिका में कहा गया है कि यह बताने की आवश्यकता नहीं है कि सोज़ एक कानून को मानने वाले व्यक्ति हैं जो कि शांतिपूर्ण भारतीय नागरिक हैं. उन्होंने शांति का कोई उल्लंघन नहीं किया है, न ही सार्वजनिक शांति भंग की है. हालांकि फिर भी प्रो सोज़ को हिरासत में लिया गया है और 2019 के अगस्त से घर में नज़रबंद कर दिया गया है.और नज़रबंदी और गिरफ़्तारी के कारणों की आज तक जानकारी नहीं दी गई है. जिससे उनकी नज़रबंदी न केवल गैरकानूनी, दुर्भावनापूर्ण और असंवैधानिक है, बल्कि बेहद निराशाजनक भी हैं. 

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बता दें कि जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा प्रदान करने संबंधी संविधान के अनुच्छेद 370 के अनेक प्रावधान खत्म करने के सरकार के निर्णय के साथ ही जम्मू कश्मीर में पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला, उनके पुत्र पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती सहित अनेक नेताओं को घरों में ही नजरबंद कर दिया गया था.