एफआईआर पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश
नई दिल्ली:
देश में पुलिस सुधारों की मांग हमेशा से महसूस की जाती रही है. ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एक अहम आदेश दिया है. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि देशभर के थानों में दर्ज एफआईआर (FIR) को 24 घंटे के भीतर पुलिस या राज्य सरकार की वेबसाइट पर अपलोड किया जाए.
कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि किसी तकनीकी कारण से दिक्कत आती है तो एफआईआर को 48 घंटे में अपलोड किया जाना अनिवार्य है.
कोर्ट ने इस मामले से महिलाओं के साथ यौन शौषण, बच्चों के यौन शोषण यानी पोक्सो, आतंकवाद और विद्रोह जैसे संवेदनशील मामलों में छूट दी है. कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में एफआईआर अपलोड करने की जरूरत नहीं है.
सिक्किम, मिजोरम, मेघालय और कश्मीर जैसे राज्यों की भौगोलिक हालात अलग हैं वहां 72 घंटे में अपलोड करने का समय कोर्ट ने तय कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि कौन सा अपराध संवदेनशील है और FIR अपलोड नहीं होनी चाहिए, ये DSP या DM तय करेगा.
कोर्ट ने कहा कि CrPC के मुताबिक सभी FIR इलाके के न्यायिक मजिस्ट्रेट को भेजी जाएं. सभी राज्यों को 15 नवंबर से आठ हफ्ते के भीतर आदेशों का पालन करना होगा.
कोर्ट के आदेशों को सारे गृह सचिव और DGP को भेजा जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया, अगर FIR अपलोड नहीं हुई तो इसके आधार पर कोई आरोपी अग्रिम जमानत नहीं ले सकता है.
कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि किसी तकनीकी कारण से दिक्कत आती है तो एफआईआर को 48 घंटे में अपलोड किया जाना अनिवार्य है.
कोर्ट ने इस मामले से महिलाओं के साथ यौन शौषण, बच्चों के यौन शोषण यानी पोक्सो, आतंकवाद और विद्रोह जैसे संवेदनशील मामलों में छूट दी है. कोर्ट ने कहा कि ऐसे मामलों में एफआईआर अपलोड करने की जरूरत नहीं है.
सिक्किम, मिजोरम, मेघालय और कश्मीर जैसे राज्यों की भौगोलिक हालात अलग हैं वहां 72 घंटे में अपलोड करने का समय कोर्ट ने तय कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि कौन सा अपराध संवदेनशील है और FIR अपलोड नहीं होनी चाहिए, ये DSP या DM तय करेगा.
कोर्ट ने कहा कि CrPC के मुताबिक सभी FIR इलाके के न्यायिक मजिस्ट्रेट को भेजी जाएं. सभी राज्यों को 15 नवंबर से आठ हफ्ते के भीतर आदेशों का पालन करना होगा.
कोर्ट के आदेशों को सारे गृह सचिव और DGP को भेजा जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया, अगर FIR अपलोड नहीं हुई तो इसके आधार पर कोई आरोपी अग्रिम जमानत नहीं ले सकता है.
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