यह ख़बर 18 मार्च, 2013 को प्रकाशित हुई थी

डीएमके ने कहा, यूएन में श्रीलंका के खिलाफ वोट दे भारत

खास बातें

  • डीएमके ने केंद्र सरकार से मांग की है कि भारत यूएन में श्रीलंका के खिलाफ वोट दे। अपनी इस मांग के न माने जाने पर डीएमके के मंत्री इस्तीफा दे सकते हैं।
नई दिल्ली:

डीएमके ने केंद्र सरकार से मांग की है कि भारत यूएन में श्रीलंका के खिलाफ वोट दे। अपनी इस मांग के न माने जाने पर डीएमके के मंत्री इस्तीफा दे सकते हैं।

इससे पहले, श्रीलंकाई तमिलों के मुद्दे पर नाराज संप्रग के करीबी सहयोगी डीएमके अध्यक्ष एम. करुणानिधि को मनाने के लिए कांग्रेस के तीन मंत्रियों एके एंटनी, पी. चिदंबरम और गुलाम नबी आजाद ने उनसे भेंट की।

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में श्रीलंकाई तमिलों के मामले में अमेरिका समर्थित प्रस्ताव में संशोधन कराने में असफल रहने पर केन्द्रीय मंत्रिमंडल से अपने मंत्रियों को बाहर निकालने और संप्रग सरकार से अपना समर्थन वापस लेने की धमकी देने वाले करूणानिधि को मनाने के लिए केन्द्र सरकार के तीनों मंत्री हवाई अड्डे से सीधे सीआईटी कालोनी स्थित डीएमके अध्यक्ष के निवास पर पहुंचे।

कांग्रेस सूत्रों ने दिल्ली में कहा था कि तीनों मंत्रियों से कहा गया है कि वे करुणानिधि को समझाएं कि सरकार किसी भी कीमत पर श्रीलंकाई तमिलों के हितों के मामले में समझौता नहीं करेगी।

कहा जाता है कि चिदंबरम और एंटनी के रिश्ते करुणानिधि के साथ अच्छे हैं जबकि आजाद कांग्रेस पार्टी के तमिलनाडु मामलों के प्रभारी हैं।

करुणानिधि ने शुक्रवार को सरकार से डीएमके के मंत्रियों को हटाने की चेतावनी देने के साथ ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर कहा था कि वह सरकार की ‘उदासीन’ प्रतिक्रिया से ‘निराशा’ महसूस कर रहे हैं।

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जिनिवा में 21 मार्च को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद् में श्रीलंका के खिलाफ अमेरिका समर्थित प्रस्ताव पर मतदान होने की आशा है।