पणजी:
स्वामी अग्निवेश ने बुधवार को कहा कि ब्रिटिश सरकार द्वारा अपना उपनिवेश राज बचाए रखने के लिए बनाया गया राष्ट्रद्रोह का कानून खत्म किया जाना चाहिए, क्योंकि असहमति को कुचलने के लिए इसका दुरुपयोग किया जा रहा है।
सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश ने यह भी कहा है कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय जैसे संस्थान पर हमला कर और इसके छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को गिरफ्तार कर केंद्र सरकार ने गलत संदेश दिया है।
पणजी में पॉपुलर फ्रंट द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में अग्निवेश ने कहा, 'राष्ट्रद्रोह से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धारा 124-ए को ब्रिटिश सरकार ने अपनी सत्ता बचाने के लिए बनाया था। अंग्रेजों ने इसी धारा के तहत महात्मा गांधी और बाल गंगाधर तिलक को गिरफ्तार किया था। क्या वे राष्ट्रद्रोही थे?'
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय परिसर में नौ फरवरी को आयोजित समारोह में जिन लोगों ने संसद हमले के दोषी अफजल गुरु के समर्थन में नारे लगाए थे, उन्हें चिह्नित किया जाना चाहिए और उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए।
हालांकि पुलिस ने अपनी मनमर्जी से उन्हें गिरफ्तार नहीं किया। अग्निवेश ने कहा, 'गरीब विद्यार्थियों को शिक्षा का अवसर प्रदान करने की जेएनयू की एक समृद्ध परंपरा रही है। कन्हैया कुमार की मां साधारण सी नौकरी करती हैं और उनके पिता लकवाग्रस्त हैं। उनके परिवार की कुल आय तीन हजार रुपये महीना है। इसके बावजूद वे अपने बेटे को पढ़ा सके, क्योंकि वह जेएनयू चला गया... उसकी गिरफ्तारी से देश में गलत संदेश जाएगा।'
अफजल गुरु के लिए 'शहीद' दिवस का आयोजन सही नहीं
स्वामी अग्निवेश ने कहा कि संसद हमला मामले के दोषी अफजल गुरु की बरसी को 'शहीद दिवस' के रूप में मनाना सही नहीं है, लेकिन इस प्रकार की गतिविधि को 'राष्ट्र विरोधी' करार नहीं दिया जा सकता।
संसद पर 2001 में हुए हमले में भूमिका को लेकर साल 2013 में अफजल गुरु को फांसी पर चढ़ाया गया था। अफजल की बरसी के मौके पर जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में आयोजित एक समारोह को लेकर पैदा विवाद पर पूछे जाने पर अग्निवेश ने पणजी में संवाददाताओं से कहा, 'अफजल गुरु के लिए 'शहीद दिवस' का आयोजन सही नहीं है, लेकिन आप इसे राष्ट्र विरोधी कार्रवाई करार नहीं दे सकते।'
76 वर्षीय नेता और सामाजिक कार्यकर्ता ने आरोप लगाया कि संघ और बीजेपी की छात्र ईकाई एबीवीपी 'संविधानेत्तर प्राधिकार' के रूप में काम कर रही है और लोगों के ध्रुवीकरण का प्रयास करने में लगी है। उन्होंने कहा, 'केंद्र सरकार जेएनयू में होने वाली हर बात का संबंध पाकिस्तान से जोड़ने का प्रयास कर रही है। यह गलत है।'
सामाजिक कार्यकर्ता स्वामी अग्निवेश ने यह भी कहा है कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय जैसे संस्थान पर हमला कर और इसके छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को गिरफ्तार कर केंद्र सरकार ने गलत संदेश दिया है।
पणजी में पॉपुलर फ्रंट द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में अग्निवेश ने कहा, 'राष्ट्रद्रोह से संबंधित भारतीय दंड संहिता की धारा 124-ए को ब्रिटिश सरकार ने अपनी सत्ता बचाने के लिए बनाया था। अंग्रेजों ने इसी धारा के तहत महात्मा गांधी और बाल गंगाधर तिलक को गिरफ्तार किया था। क्या वे राष्ट्रद्रोही थे?'
उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय परिसर में नौ फरवरी को आयोजित समारोह में जिन लोगों ने संसद हमले के दोषी अफजल गुरु के समर्थन में नारे लगाए थे, उन्हें चिह्नित किया जाना चाहिए और उनके खिलाफ कानूनी कार्यवाही की जानी चाहिए।
हालांकि पुलिस ने अपनी मनमर्जी से उन्हें गिरफ्तार नहीं किया। अग्निवेश ने कहा, 'गरीब विद्यार्थियों को शिक्षा का अवसर प्रदान करने की जेएनयू की एक समृद्ध परंपरा रही है। कन्हैया कुमार की मां साधारण सी नौकरी करती हैं और उनके पिता लकवाग्रस्त हैं। उनके परिवार की कुल आय तीन हजार रुपये महीना है। इसके बावजूद वे अपने बेटे को पढ़ा सके, क्योंकि वह जेएनयू चला गया... उसकी गिरफ्तारी से देश में गलत संदेश जाएगा।'
अफजल गुरु के लिए 'शहीद' दिवस का आयोजन सही नहीं
स्वामी अग्निवेश ने कहा कि संसद हमला मामले के दोषी अफजल गुरु की बरसी को 'शहीद दिवस' के रूप में मनाना सही नहीं है, लेकिन इस प्रकार की गतिविधि को 'राष्ट्र विरोधी' करार नहीं दिया जा सकता।
संसद पर 2001 में हुए हमले में भूमिका को लेकर साल 2013 में अफजल गुरु को फांसी पर चढ़ाया गया था। अफजल की बरसी के मौके पर जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में आयोजित एक समारोह को लेकर पैदा विवाद पर पूछे जाने पर अग्निवेश ने पणजी में संवाददाताओं से कहा, 'अफजल गुरु के लिए 'शहीद दिवस' का आयोजन सही नहीं है, लेकिन आप इसे राष्ट्र विरोधी कार्रवाई करार नहीं दे सकते।'
76 वर्षीय नेता और सामाजिक कार्यकर्ता ने आरोप लगाया कि संघ और बीजेपी की छात्र ईकाई एबीवीपी 'संविधानेत्तर प्राधिकार' के रूप में काम कर रही है और लोगों के ध्रुवीकरण का प्रयास करने में लगी है। उन्होंने कहा, 'केंद्र सरकार जेएनयू में होने वाली हर बात का संबंध पाकिस्तान से जोड़ने का प्रयास कर रही है। यह गलत है।'
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