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This Article is From Jan 19, 2022

मुंबई के केईएम अस्पताल के अनुसूचित जाति के मेडिकल छात्र ने लगाया रैगिंग का आरोप

छात्र ने अपने साथ पढ़ने वाले छात्रों, डॉक्टरों पर लगाए आरोप, पुलिस ने FIR दर्ज करके मामले की जांच शुरू की

प्रतीकात्मक फोटो.

मुंबई:

मुंबई के केईएम अस्पताल के अनुसूचित जाति के एक छात्र ने अपने साथ पढ़ने वाले कुछ छात्रों और डॉक्टरों पर रैगिंग का आरोप लगाया है. पीड़ित का आरोप है कि उस पर जातिगत टिप्पणी की गईं और उसे तीन साल से सताया जा रहा है. मुंबई पुलिस ने अब FIR दर्ज करके मामले की जांच शुरू कर दी है. केईएम अस्पताल के बाहर हाथों में रोहित वेमुला, पायल तड़वी की तस्वीरों के साथ ही अलग-अलग बैनर लेकर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन किया गया. यह प्रदर्शन केईएम स्टाफ और उन छात्रों के खिलाफ किया गया जिन पर इसी अस्पताल के अनुसूचित जाति के छात्र ने रैगिंग और जातिगत टिप्पणी का आरोप लगाया है.

पीड़ित छात्र ने कहा कि, ''मुझे हमेशा ऊपर से नीचे फेंकने की धमकी देते थे, आवाज़ नीची रखने को कहते थे. बात करो तो मुझे धमकाते थे. मारने की धमकी देते थे. मुझे गालियां देकर जातिगत टिप्पियां भी करते थे.''

पिछले दो साल से कुछ छात्र उसके खिलाफ जातिसूचक शब्दों का इस्तेमाल कर उसकी रैगिंग कर रहे थे. शुरुआत में पीड़ित को पलंग पर सोने नहीं दिया गया और उसे जूते-चप्पलों के पास सोने को मजबूर किया गया. बार-बार सताए जाने पर बीच में हताश होकर पीड़ित अपने गांव हिंगोली चला गया.

साल 2019 में कॉलेज प्रशासन से शिकायत करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई, ऊपर से अस्पताल प्रशासन ने छात्र को ही डराने की कोशिश की. पीड़ित के पिता ने कहा कि,'' वे बोले कि ऐसा हुआ ही नहीं, यह झूठ है. उसको हम स्कूल से निकाल देंगे अगर वो ऐसा ही करता रहा तो.''

सामाजिक कार्यकर्ता सुबोध मोरे ने कहा कि,''इस मामले में कॉलेज की ज़िम्मेदारी है कि कॉलेज को FIR करना था, लेकिन कॉलेज ने आज तक FIR फ़ाइल नहीं कराई है. कॉलेज का यह नेगलीजेंस नहीं है, यह जानबूझकर किया गया है ऐसा लगता है.''

इस मामले में जब NDTV ने KEM की डीन संगीता रावत से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कैमरे पर बात करने से मना किया और यह कहा कि उन्होंने मुंबई पुलिस को इससे संबंधित जानकारी दी है. मुंबई पुलिस की ओर से मामले की जांच जारी है. लेकिन यह हैरानी की बात है कि रोहित वेमुला और पायल तड़वी जैसे मामले सामने आने के बाद भी समाज में इस तरह के हालात अब भी बने हुए हैं. 

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