Punjab Election 2022: दोआब में कांग्रेस की 'अग्निपरीक्षा', अकाली दल और AAP से तगड़ी चुनौती

राज्य में 2017 में पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने दोआब में 15 सीटें जीती थीं, अकाली दल ने बीजेपी के साथ गठबंधन में पांच सीटों पर जीत हासिल की थी.

Punjab Election 2022: दोआब में कांग्रेस की 'अग्निपरीक्षा', अकाली दल और AAP से तगड़ी चुनौती

दोआब क्षेत्र में 23 विधानसभा सीटें (फाइल फोटो)

जालंधर/होशियारपुर/फगवाड़ा:

पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Assembly Election 2022) में दोआब इलाका नई सरकार के गठन में बेहद अहम साबित हो सकता है. पंजाब के दलितों की बड़ी आबादी वाले दोआब क्षेत्र में कांग्रेस के सामने एक तगड़ी चुनौती है, जहां वो शिरोमणि अकाली दल की मजबूत पकड़ और युवाओं में आम आदमी पार्टी (AAP) की बढ़ती लोकप्रियता की वजह से दोहरी चुनौतियों का सामना कर रही है. इस क्षेत्र में कई लोग मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (Charanjit Singh Channi) को अपनी पसंद मानते हुए ‘अपना बंदा' कहते हैं. हालांकि उनकी पार्टी के लिए इस इलाके में बहुत अधिक जनाधार नहीं लगता है. 

चन्नी पंजाब में दलित वर्ग से पहले मुख्यमंत्री हैं. अकाली दल और कुछ शहरी इलाकों में पकड़ रखने वाली बीजेपी 20 फरवरी को होने वाले चुनाव में दोआब क्षेत्र में बढ़त बनाने के लिए हरसंभव प्रयास कर रही हैं. कांग्रेस और अकाली दल के बीच पंजाब की राजनीति की एकरसता को तोड़ने वाली आप को क्षेत्र के युवाओं द्वारा बदलाव के अगुवा के रूप में देखा जा रहा है. 

पंजाब की 117 सीटों वाली विधानसभा में चार जिलों जालंधर, होशियारपुर, नवांशहर और कपूरथला में फैले दोआब क्षेत्र में 23 विधानसभा सीटें हैं. बाकी सीटें मालवा (69 सीटें) और माझा (25) में हैं. राज्य में 2017 में पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने दोआब में 15 सीटें जीती थीं, अकाली दल ने बीजेपी के साथ गठबंधन में पांच सीटों पर जीत हासिल की थी और आप को सिर्फ दो सीटें मिली थीं.

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पंजाब के 31 प्रतिशत से अधिक मतदाताओं वाले दलित समुदाय के बीच स्थिति को और मजबूत करने के उद्देश्य से कांग्रेस नेतृत्व ने प्रदेश अध्यक्ष और लोकप्रिय नेता नवजोत सिंह सिद्धू के मजबूत दावों के बावजूद चन्नी को मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित किया. हालांकि, इस क्षेत्र के लोग इस बात को लेकर बंटे हुए हैं कि क्या कांग्रेस को इस कदम से वांछित सफलता मिलेगी.

आदमपुर सीट में सामाजिक-धार्मिक संगठन डेरा सचखंड बल्लान में बड़ी संख्या में बुजुर्ग लोगों और सेवकों को मोबाइल फोन पर चन्नी के भाषणों और साक्षात्कारों को सुनते हुए देखा जा सकता है, लेकिन पास के गांवों की यात्रा करने पर लोग संकेत देते हैं कि वे ‘हाथी' (बीएसपी) को पसंद करते हैं. रविदास जयंती के मद्देनजर पंजाब के चुनाव कार्यक्रम को 14 फरवरी से बदल दिया गया, जो समुदाय के प्रभाव को दर्शाता है. 

बल्लान गांव के एक बुजुर्ग अवतार सिंह ने कहा, ‘हमारे परिवार ने पारंपरिक रूप से अकालियों को वोट दिया है और इस बार वे बसपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रहे हैं इसलिए हम हाथी के चिह्न पर वोट करेंगे.' हालांकि  दर्शन पाल ने चन्नी को लेकर कहा, ‘‘देखिए, इस बार हमारा अपना आदमी भी मैदान में है और हमें इस तथ्य को ध्यान में रखना होगा.'' इस क्षेत्र में डेरा का बड़ा प्रभाव है, जिसमें दलितों की आबादी 33 प्रतिशत से अधिक है और ज्यादातर रविदासिया हैं. 

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‘नवी सरकार' और ‘‘ऐतकी बदलाव' (इस बार बदलाव) जैसे नारे अब खासकर युवाओं की बातचीत में सामने आते हैं. अपने दादा अवतार सिंह के साथ कॉलेज के द्वितीय वर्ष के छात्र गोल्डी ने कहा, ‘ऐतकी नवी सरकार (इस बार, नयी सरकार) बनेगी.' लोगों ने कहा, इस बार गांवों में नई पार्टी को चुनने का मूड है. उनके बीच बैठे अकाली कार्यकर्ता हरप्रीत सिंह कहते हैं, ‘‘झाड़ू (आप का चुनाव चिह्न) हवा में उड़ रही है, लेकिन जमीन पर सरपंच और कार्यकर्ता नहीं हैं जो वोट लाएंगे.'

जालंधर और होशियारपुर जिलों के गांवों में अकाली दल-बसपा गठबंधन के समर्पित कार्यकर्ता और समर्थक देखे जा सकते हैं. उनमें से कई पूर्व सरपंच और ब्लॉक अध्यक्ष हैं. यह एक महत्वपूर्ण पहलू है जो किसी पार्टी के लिए वोट लाने में मदद करता है. रविदासिया होने के नाते चन्नी का नाम गांवों में बातचीत में प्रमुखता से सामने आता है, वहीं युवा आप के समर्थन में काफी मुखर हैं. पंजाब के इस क्षेत्र में रोजगार का मुद्दा भी है. 

होशियारपुर के रुरका कलां गांव के सरबजीत सिंह संधू का बड़ा बेटा विदेश में रहता है. सरबजीत ने कहा, ‘‘लोग जन्म प्रमाण पत्र और आधार कार्ड से अधिक पासपोर्ट पसंद करते हैं ताकि वे विदेश जा सकें क्योंकि यहां कोई नौकरी नहीं है.' 

बीजेपी की मौजूदगी होर्डिंग और लोगों की बातचीत में  जालंधर शहर के विधानसभा क्षेत्रों में दिखने लगती है, जहां आरएसएस का बड़ा प्रभाव है. स्थानीय भाजपा नेताओं को पार्टी के उम्मीदवारों खासकर जालंधर उत्तर में, के डी भंडारी, जालंधर पश्चिम में मोहिंदर भगत, जालंधर मध्य में मनोरंजन कालिया और फगवाड़ा में पूर्व केंद्रीय मंत्री विजय सांपला पर भरोसा है.

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