महाराष्ट्र (Maharashtra) और मुंबई में सैकड़ों मरीज रेमडेसिविर इंजेक्शन (Remdesivir) के लिए दर - दर भटक रहे हैं. लेकिन राज्य सरकार और विपक्ष में क्रेडिट की लड़ाई में 60 हजार इंजेक्शन की आपूर्ति फंस गई है. एक दूसरे पर दोषारोपण जारी है लेकिन उस इंजेक्शन का क्या हुआ, कहां है, इसका किसी के पास जवाब नहीं है. शनिवार 17 अप्रैल की रात जिस 60 हजार रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर बीकेसी डीसीपी दफ़्तर में राजनीतिक घमासान मचा था वो रेमडेसिविर इंजेक्शन है कहां? इसका जवाब कोई नहीं दे पा रहा है. पुलिस कह रही है वही जानने के लिए ब्रुक फार्मा के एक डायरेक्टर को बुलाया गया था लेकिन बीजेपी नेताओं ने बीच मे अड़ंगा डाल दिया. गृहमंत्री ने विपक्ष पर सरकारी काम में बाधा पंहुचाने का आरोप लगाया है. जिस FDA ने ब्रुक फार्मा को महाराष्ट्र में इंजेक्शन वितरित करने की अनुमति दी उसे भी पता नहीं कि इंजेक्शन कहां है. महाराष्ट्र FDA को सबसे पहले BDR फार्मा ने रेमडेसिविर इंजेक्शन आपूर्ति की इजाजत के लिए लिखा. उसके बाद FDA ने 12 फार्मा कंपनियों को लिखा और कहा कि महाराष्ट्र में रेमडेसिविर की जरूरत देखते हुए आपूर्ति कर सकते हैं. उसके बाद ब्रुक फार्मा ने महाराष्ट्र FDA को पत्र लिखकर इजाजत मांगी जिसपर FDA ने ब्रुक को पत्र लिखकर इजाजत दी. उसी के बाद शनिवार को हंगामा हो गया.
महाराष्ट्र में कोरोना से मृत्यु दर में गिरावट, Remdesivir से मरीज़ों को बचाने में मिल रही है मदद
उधर बीजेपी का दावा है कि उन्होंने 15 अप्रैल को ही FDA मंत्री को पत्र लिखकर मांग की थी कि निर्यात बंद होने की वजह से बहुत सी फार्मा कंपनियों के पास रेमडेसिविर इंजेक्शन मौजूद है, उन्हें महाराष्ट्र में बेचने की इजाजत दी जाए. 17 अप्रैल को FDA ने इजाजत भी दे दी. लेकिन फिर सरकार को लगा कि इसका क्रेडिट बीजेपी को जाएगा तो उन्होंने पुलिस के जरिये ब्रुक फार्मा के एक डायरेक्टर को परेशान करना शुरू कर दिया.
मुंबई में Remdesivir और Tocilizumab की हो रही कालाबाजारी
लेकिन जिस ब्रुक फार्मा के डायरेक्टर को बचाने के लिये बीजेपी ने मुंबई के बीकेसी पुलिस थाने में हंगामा किया उसी ब्रुक फार्मा के मैनेजर को गुजरात में वलसाड पुलिस ने रेमडेसिविर इंजेक्शन ब्लैक करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है. कोरोना के संकट काल में जब जरूरत है राजनीति से ऊपर उठकर काम करने की लेकिन यहां तो क्रेडिट लेने की होड़ में आने वाली दवाई हवा हो गई. नतीजा मरीजों का हाल बेहाल है.
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