COVID-19 मरीजों को दी जाने वाली दवा रेमडेसिवीर की खुराक बदली, अब 6 के बजाये 5 दिन लेनी होगी
आईएमए महाराष्ट्र के अध्यक्ष डॉ. अविनाश भोंडवे कहते हैं, 'ना केवल मुंबई, ठाणे, पुणे जैसे शहर बल्कि महाराष्ट्र के कई ग्रामीण इलाक़े जैसे कि बुलढाना, गढ़चिरौली, जालना, चंद्रपूर, बीड, उस्मानाबाद, ऐसी जगहों पर भारी कमी है. 22 सितम्बर को 15,779 इंजेक्शन थे, वो अभी ख़त्म होने को हैं. सरकार ने बोला था कि 30 सितम्बर तक डेढ़ लाख उपलब्ध करेंगे. लेकिन अभी तक नहीं हुए हैं. गड़बड़ ये है की महाराष्ट्र सरकार की ओर से इसका नियोजन ठीक से नहीं हो रहा है. इंजेक्शन की काला बाज़ारी भी चालू है, कुछ दिन पहले 4,000 में जो इंजेक्शन मिल रहा था, सरकार ने उसकी क़ीमत 2,626 की है लेकिन असल में 10-15 हज़ार में भी बिक रहा है.'
जानिए क्या है Remdesivir, कैसे काम करती है और कितनी असरदार है
कोरोना से सबसे ज़्यादा ग्रसित राज्य में जहां कमी के बीच मध्यम तौर से बीमार मरीज़ों को भी रेमडेसिवीर दिए जाने की बात हो रही है वहीं केंद्र सरकार ने साफ़ किया है कि प्लाज्मा थेरेपी और रेमडेसिवीर दवाइयां चूंकि अभी भी ट्रायल के दायरे में हैं इसलिए इसका इस्तेमाल कम से कम हो.
राज्य और केंद्र सरकार के बीच जीवन रक्षक दवा और प्लाज्मा थेरेपी को लेकर भले ही उनके सुझावों और निर्देशों में ज़रा उलझन दिख रही हो लेकिन मुंबई के लीलावती के वरिष्ठ डॉक्टर बताते हैं कि रेमडेसिवीर और प्लाज्मा थेरेपी से कईयों की जान बची है.
लीलावती अस्पताल के डॉक्टर जलील पारकर कहते हैं, 'जिसको जो मन में आता है कह देता है, इस दवा से फ़ायदा नहीं उससे फ़ायदा नहीं, अरे दवायी बची कहां है? कौन सी दवायी बची है. जो लोग सिरियस हैं, जिनपर दवाइयां काम नहीं कर रहीं, जिनमें ऑक्सिजन कम होता है, जिनको वेंटिलेटर लगता है उनको रेमडेसिवीर देना पड़ता है. टोसिलिज़ूमाब देना पड़ता है. कहां से लाएं वो, प्लाज्मा देना पड़ता है, लोग कहते हैं प्लाज्मा का फ़ायदा नहीं लेकिन हमने दिया है. कुछ लोगों को फ़ायदा हुआ है कुछ को नहीं हुआ है.'
महाराष्ट्र में कोविड के मामले 13 लाख के पार पहुंच चुके हैं, 300 के ऊपर मौतें हो रही हैं, वैक्सीन पर तस्वीर साफ़ नहीं, बीमारी की कोई तय दवा नहीं, ऐसे में कुछ जिंदगियां बचा चुकी दवाइयां या थेरेपी में कोई रुकावट ना हो, हेल्थ एक्सपर्ट्स यही मांग कर रहे हैं.
रेमडेसिवीर की काला बाजारी पर लगेगी ब्रेक