पीएम मोदी ने स्वीकार किया, 'वन रैंक वन पेंशन' के मुद्दे पर अभी कोई समाधान नहीं निकला है

पीएम मोदी ने स्वीकार किया, 'वन रैंक वन पेंशन' के मुद्दे पर अभी कोई समाधान नहीं निकला है

नई दिल्ली:

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को स्वीकार किया कि वह पूर्व सैनिकों के लिए 'वन रैंक वन पेंशन' के मुद्दे पर अभी किसी समाधान पर नहीं पहुंचे हैं, लेकिन उन्होंने वादा किया कि उनकी सरकार ने सिद्धांतत: इसे स्वीकार कर लिया है।

स्वतंत्रता दिवस पर पीएम के संबोधन में 'वन रैंक वन पेंशन' को लागू किए जाने के बारे में घोषणा का इंतजार किया जा रहा था। लेकिन सरकार और पूर्व सैनिकों के बीच वार्ता आखिरी पलों में अटक गई, जिसे पीएम ने आज 'बारीक छोटे-मोटे' पहलू बताया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से दिए गए करीब 90 मिनट के भाषण के अंत में कहा, यह 20 साल से अटका हुआ है। देश का फौजी राष्‍ट्र की संपत्ति है। 'वन रैंक वन पेंशन' प्रस्‍ताव हर सरकार के सामने आया। अभी तक मैं इसे नहीं कर पाया, लेकिन मैं विश्‍वास दिलाता हूं, सिद्धांतत: 'वन रैंक-वन पेंशन' हमने स्‍वीकार किया हुआ है और इसके संगठनों से बात चल रही है।

पीएम ने कहा, हर किसी को न्‍याय मिले इसे ध्‍यान में रखते हुए हमने रास्‍ता खोजा है। जिस प्रकार से बातचीत चल रही है, सुखद परिणाम मिलने की आशा है।

लाल किले से थोड़ी ही दूर जंतर मंतर पर धरने पर बैठे पूर्व सैनिकों ने एक बड़े टीवी स्क्रीन पर पीएम का भाषण देखा। पूर्व सैनिकों ने कहा कि 'वन रैंक वन पेंशन' पर कोई घोषणा न किए जाने से वे काफी निराश हैं। एक नाराज पूर्व सैनिक ने कहा, पीएम 'टीम इंडिया, टीम इंडिया' की बात कर रहे हैं, क्या हम टीम इंडिया नहीं हैं?

इंडियन एक्स-सर्विसमैन मूवमेंट के अध्यक्ष मेजर जनरल सतबीर सिंह (सेवानिवृत्त) ने कहा, 'हम पूरी तरह से निराश हैं। हमें उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री कम से कम एक समय सीमा या किसी तिथि की घोषणा करेंगे, लेकिन ओआरओपी के केवल सैद्धांतिक रूप से स्वीकार किए जाने की बात दोहराई गई जो सरकार ने सत्ता में आने पर कहा था।' उन्होंने कहा कि पूर्व सैन्यकर्मियों ने अपने विरोध को कल से शांतिपूर्ण तरीके से और तेज करने का निर्णय किया है।

मेजर जनरल सतबीर ने कहा, 'मुझे खेद के साथ कहना पड़ रहा है कि सैद्धांतिक रूप से इसे 17 महीने पहले स्वीकार कर लिया गया था और उन्होंने भी इसे स्वीकार किया था। मैं प्रधानमंत्री से पूछना चाहता हूं कि कौन सी बात ओआरओपी का क्रियान्वयन रोक रही है।'

एक सेवानिवृत्त सैन्यकर्मी की बेटी एवं एक सेवानिवृत्त सैन्यकर्मी की पत्नी दीपा नेब ने कहा, 'हमें प्रधानमंत्री ने निराश किया है। हम बिना किसी बदलाव के ओआरओपी चाहते हैं। कौन सी वार्ता और कितनी लंबी वार्ता? कहां हैं जनरल वी.के. सिंह, कहां हैं कर्नर राठौड़? उन्होंने इस्तीफा क्यों नहीं दिया?'

कर्नल ठकराल (सेवानिवृत्त) ने कहा, 'हम केवल प्रधानमंत्री के आदेश पर युद्ध में जाते हैं। मैं सेवानिवृत्त हूं, लेकिन यदि मोदी एक प्रधानमंत्री के तौर पर मुझे खड़ा होने और युद्ध पर जाने का आदेश देते हैं तो मैं हिचकिचाउंगा नहीं। वह जानते हैं कि मुझे पर भरोसा किया जा सकता है लेकिन मुझे अब उन पर भरोसा नहीं है।'

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एक सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर ने कहा, 'मोदी ने बार बार टीम इंडिया कहा है, वास्तव में टीम इंडिया ने आज असली टीम इंडिया को हरा दिया। क्या हम टीम इंडिया का हिस्सा नहीं हैं?' सेवानिवृत्त विंग कमांडर के एस परिहार ने कहा, 'यदि यह तीन या चार साल की बात होती.. तो यह समझ आता है कि इसमें समय लगता है। लेकिन क्या इसमें 43 वर्ष लगते हैं? वादे खोखले हैं।'