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This Article is From Sep 09, 2020

उमर अब्दुल्ला ने J&K प्रशासन को लिखी चिट्ठी, कहा- सरकारी आवास अपनी मर्जी से छोड़ रहा हूं

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने मंगवार को कहा कि वो श्रीनगर का अपना सरकारी आवास अक्टूबर से पहले छोड़ देंगे. उन्होंने ट्विटर पर जम्मू-कश्मीर प्रशासन को लिखी अपनी चिट्ठी साझा की है, जो उन्होंने जुलाई में भेजी थी.  

उमर अब्दुल्ला ने J&K प्रशासन को लिखी चिट्ठी, कहा- सरकारी आवास अपनी मर्जी से छोड़ रहा हूं
श्रीनगर का अपना सरकारी आवास खाली करेंगे पूर्व सीएम उमर अब्दुल्ला. (फाइल फोटो)
श्रीनगर:

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला (Omar Abdullah) ने मंगलवार को कहा कि वो श्रीनगर का अपना सरकारी आवास अक्टूबर से पहले छोड़ देंगे. उन्होंने ट्विटर पर जम्मू-कश्मीर प्रशासन को लिखी अपनी चिट्ठी साझा की है, जो उन्होंने जुलाई में भेजी थी. उमर अब्दुल्ला ने अपने ट्वीट में कहा कि इसके लिए उन्हें कोई नोटिस नहीं दिया गया है और अपनी मर्जी से सरकारी आवास खाली कर रहे हैं. 

उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, 'मैं श्रीनगर में अपना सरकारी आवास अक्टूबर खत्म होने तक छोड़ दूंगा. यहां इस बात पर ध्यान दिया जाना चाहिए कि पिछले साल मीडिया में जैसी खबरें चलाई गई थीं कि मुझे इसके लिए नोटिस मिला है, उसके उलट मैं अपनी मर्जी से आवास खाली कर रहा हूं.' इसके साथ ही उन्होंने जम्मू कश्मीर के हॉस्पिटैलिटी एंड प्रोटोकॉल के इंचार्ज ऑफ एस्टेट्स को भेजी गई चिट्ठी भी शेयर की है.

उमर अब्दुल्ला ने इस चिट्ठी में कहा है कि उन्हें श्रीनगर के गुपकर रोड के वीवीआईपी इलाके में 2002 में श्रीनगर का सांसद बनने के बाद यह आवास अलॉट किया गया था. उन्होंने कहा है कि उन्होंने परिसर और इससे जुड़े घरों को अक्टूबरस 2010 से जनवरी, 2015 तक अपने मुख्यमंत्री काल के दौरान मुख्यमंत्री के आधिकारिक आवास की तरह इस्तेमाल किया था. जब वो कार्यकाल मुक्त हुए तो 'नियमों के मुताबिक मैं श्रीनगर या फिर जम्मू में सरकारी आवास में रह सकता था और मैंने श्रीनगर में रहने को चुना.'

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उन्होंने लिखा कि कुछ महीनों पहले पूर्व मुख्यमंत्रियों के अधिकारों को लेकर किए गए बदलाव के बाद अब मेरा यहां रहना अनाधिकृत हो गया है, क्योंकि सुरक्षा या फिर किसी और आधार पर मेरे अलॉटमेंट को रेगुलराइज़ करने की कोई कोशिश नहीं की गई है. यह मुझे अस्वीकार है. मेरे पास कभी ऐसी कोई सरकारी संपत्ति नहीं रही है, जो मुझे पद के हिसाब से न मिली हो और मेरा आगे भी ऐसा करने का कोई इरादा नहीं है.

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