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This Article is From Jun 03, 2017

वह तीन महीने पहले अचानक गायब हुआ...आतंकी नहीं कैशियर बन गया था

होटल मालिक लक्ष्मण जाधव के मुताबिक 3 मार्च को शिर्डी के बस स्टॉप पर एक लड़का बुरी हालत में सोता दिखा था. जाधव को उस बच्चे पर दया आ गई और उससे बात की.

वह तीन महीने पहले अचानक गायब हुआ...आतंकी नहीं कैशियर बन गया था
अपनी मां के साथ सैयद अशरफ.
मुंबई: घर वाले इस आशंका से डरे हुए थे कि उनका बेटा कहीं इस्लामिक स्‍टेट (आईएस) के बहकावे में आकर आतंकी ना बन गया हो. जबकि वो सब कुछ भूल नासिक के एक होटल साई प्रसाद में काम कर रहा था. होटल मालिक लक्ष्मण जाधव के मुताबिक 3 मार्च को शिर्डी के बस स्टॉप पर एक लड़का बुरी हालत में सोता दिखा था. जाधव को उस बच्चे पर दया आ गई और उससे बात की. लेकिन उसे कुछ याद नहीं था कि वो वहां कैसे पहुंचा? वह बस इतना ही बोल सका कि भूख लगी है. पहचान के नाम पर उसके पास एक पैन कार्ड था जिस पर सैयद अशरफ लिखा था. जाधव ने उसे तुरंत खाना खिलाया और अपने साथ होटल ले आये. उसे काम सिखाया, लड़का पढ़ा-लिखा था. अंग्रेजी भी आती थी इसलिए उन्होने होटल के काउंटर पर बैठने का काम दे दिया.
 
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इधर मुंबई के माहिम में अशरफ के घर वाले परेशान थे. माहिम पुलिस के साथ महाराष्ट्र एटीएस भी उसकी तलाश में यहां-वहां पैर मार रही थी. मीडिया में भी खबरें छपीं क्योंकि शक आतंकी संगठन आईएसआईएस(ISIS)में जाने का था. लापता होने के से पहले वो पड़ोस के साइबर कैफ़े में अक्सर जाता था इसलिए शक और भी बढ़ गया था. खुद अशरफ के डॉक्टर भाई सैयद मोहम्मद आदिल को भी यही डर लगा हुआ था क्योंकि हाल फिलहाल में ही मुंबई और आसपास के इलाके से कई लड़के आतंकी संगठन इस्लामिक स्‍टेट से जुड़ने इराक और सीरिया भाग गए हैं.

होटल मालिक लक्ष्मण जाधव ने NDTV को बताया कि होटल में भी वो अक्सर अशरफ से उसके घर-परिवार के बारे में पूछते लेकिन वो टाल जाता. इस बीच तीन महीने बीत गए. जाधव के मुताबिक 1 जून की रात वो फेसबुक पर अपने एक दोस्त का प्रोफाइल सर्च कर रहे थे तभी उसने अशरफ के बड़े भाई सैयद मोहम्मद आदिल का पोस्ट दिखा जिसमें उसकी फोटो और मोबाइल नंबर भी लिखा था. जाधव ने तुरंत अशरफ के भाई को फोन लगाया और सारी जानकारी दी लेकिन अशरफ को कुछ नही बताया.
 
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होटल मालिक लक्ष्मण जाधव

इधर घर वालों की खुशी का ठिकाना नहीं था. वो लोग तुरंत नासिक के लिये रवाना हो गये और कुछ घंटों के बाद अशरफ उनके सामने था. अशरफ भी अपने घरवालों को अचानक से सामने देख हैरान हो गया. अशरफ और घरवालों के आंखों में खुशी के आंसू छलकना तो स्वाभाविक था लेकिन जिसका उन लोगों से कोई खून या धर्म का भी रिश्ता नहीं था उस लक्ष्मण जाधव की आंखें भी खुशी से भर आई थी.

अशरफ की 58 साल की मां रेहाना सैयद तो लक्ष्मण जाधव को फरिश्ता बता रही हैं. उनका कहना है कि आज के युग में जब धर्म के नाम पर नफ़रत ही ज्यादा फैलाई जा रही है तब लक्ष्मण ने उनके भूखे बेटे को आश्रय देकर मिसाल पेश की है. अशरफ के मिल जाने से माहिम पुलिस और महाराष्ट्र एटीएस ने भी राहत की सांस ली है. हालांकि उससे अभी पूछताछ जारी है कि वो माहिम से शिर्डी कैसे और क्यों पहुंच  गया?

(साथ में सलाम काज़ी का इनपुट)

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