मुंबई-अहमदाबाद में ‘म्युकोरमाइकोसिस’ अलर्ट, कम इम्यूनिटी वाले मरीज़ों में फैल रही है बीमारी

म्युकोरमाइकोसिस एक रेयर बीमारी है और अब ये कोविड के मरीज़ों में फैल रही है. वजह है कमज़ोर इम्यूनिटी.

मुंबई-अहमदाबाद में ‘म्युकोरमाइकोसिस’ अलर्ट, कम इम्यूनिटी वाले मरीज़ों में फैल रही है बीमारी

प्रतीकात्मक तस्वीर

मुंबई:

कम इम्यूनिटी वाले कमज़ोर कोविड मरीज़ों में ‘म्युकोरमाइकोसिस (Mucormycosis)'नाम का फ़ंगल इंफ़ेक्शन (Fungal Infection) फैल रहा है.अहमदाबाद में दो की मौत भी हुई है. दो की आंखों की रोशनी चली गई है. मुंबई के कोविड अस्पतालों में भी ऐसे मामले दिख रहे हैं. म्युकोरमाइकोसिस एक रेयर बीमारी है और अब ये कोविड के मरीज़ों में फैल रही है. वजह है कमज़ोर इम्यूनिटी. अहमदाबाद के रेटीना एंड ऑक्यूलर ट्रॉमा सर्जन, डॉ पार्थ राणा ने ऐसे पांच मामले देखे हैं. जिनमें दो मरीज़ की जान गई है, और दो की आंखों की रोशनी जा चुकी है. डॉ राणा बताते हैं की पहले जहां ये बीमारी 15-20 में फैलती थी अब 4-5 दिनों में ही मरीज़ गम्भीर स्टेज पर पहुंच रहे हैं. और मौतें हो रही हैं. 

डॉ पार्थ राणा ने बताया,‘'ये जो मामले बढ़ रहे हैं इसमें मॉर्टैलिटी रेट 50% है. 50% केस में मरीज़ की डेथ हो रही है.  जिन मरीज़ों को डायबटीज़ है या स्टेरोईड दिए जाते हैं. उनमें इस फ़ंगल वायरस को खाने के लिए बहुत शुगर मिलती है. तो इनमें बहुत जल्दी ग्रो करने लगते हैं. साथ में इनमें इम्यूनिटी कम होती है इसलिए कोविड के पेशेंट में ये बहुत स्पीड में फैल रही है. सबसे पहले आंख के पीछे, फिर आसपास और फिर ब्रेन में जाती है.  एकबार अगर ये ब्रेन तक जाती है तो हम कुछ ज़्यादा नहीं कर पाते और उसमें ज्यादातर मरीजों की मौत होती है.''

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म्युकोरमाइकोसिस के कई मामले, मुंबई के कोविड अस्पतालों में भी रिपोर्ट हो रहे हैं.  कोविड जंबो हॉस्पिटल के नेत्र-विशेषज्ञ, डॉ जिगना कैसर का कहना है, ‘'म्युकोरमाइकोसिस कोविड के आने के बाद हज़ार में से 20 पेशेंट में देखा है,कोविड से पहले पांच या अधिकतम 7 मरीज देखने को मिलते थे, हज़ार मरीजों में. ये बहुत तेजी से फैलता है, चमड़ी में लगा तो चमड़ी, आंख  में लगा तो रोशनी जाने के बहुत हाई चांसेस हैं. ये हवा में होता है तो मास्क कारगर है, पहने रहिए, जमीन में होता है अगर इंफ़ेक्टेड जगह पर आप हैं, और जमीन से कांटैक्ट है तो लम्बे जूते पहनिए, पूरे कपड़े पहनिए.''

कोविड टास्क फ़ोर्स के डॉ राहुल पंडित कहते हैं, ‘'ये बीमारी शरीर के किसी भी हिस्से में आ सकती है पर सबसे ज़्यादा इसका असर जो है वो नाक, आंखों के आगे पीछे होता है. और फिर ये लाइफ़ थ्रेट्निंग होती है, कोविड के वो मरीज़ जिनको काफ़ी समय से स्टेरोइड मिला हो या पहले ट्रीटमेंट प्रोटकॉल में जिन्होंने टोसिलिज़ुमाब ले रहे थे उनमें ये बीमारी दिख रही है.''

कोविड के वैसे मरीज़ जिनमें इम्यूनिटी यानी रोग से लड़ने की क्षमता बेहद कम हो गई हो, उनमें ये फ़ंगल इंफ़ेक्शन फैल रहा है. यानी कोविड से ठीक होने के बाद वाले कमज़ोर मरीज़ों को भी पूरी सावधानी बरतनी है. 

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