नई दिल्ली:
गृह मंत्रालय की फ़ॉरनर्स डिविज़न CBI की जांच के घेरे में है क्योंकि कई फ़ाइलें मिल नहीं रहीं। इससे पहले इंटर्नल सिक्योरिटी डिविज़न से इशरत की फ़ाइल ग़ायब हो गयी थी।
उधर आनंद जोशी अपनी पत्नी को चिट्ठी लिखकर अपने घर से गायब हो गए हैं। लेकिन अपने इस अंडर सेक्रेटरी की ये ख़बर गृह मंत्रालय के पास नहीं है। गृह राज्य मंत्री किरेन रिजीजू ने कहा, "हमें अभी पता नहीं है लेकिन इसके बारे में जानकारी हाइकु करेंगे।"
लेकिन मामला गंभीर है इसलिए गृह मंत्रालय के फ़ॉरनर्स डिविज़न में सभी फ़ाइलों का ऑडिट चल रहा है। आशंका है कि कई फ़ाइलों से सीक्रेट नोट्स ग़ायब हैं। माना जा रहा है की NGOs से जुड़ी संवेदनशील जनकरियां जो मंत्रालय ने इकट्ठा की थी वो उन NGOs तक पहुंच चुकी है।
एनडीटीवी इंडिया को मिली जानकारी के मुताबिक़ गृह मंत्रालय का प्रशासनिक विभाग फ़ाइलों तो कैसे रूट किया जाता है, उनके मुतलीक नए नियम भी बना रहा है। उधर FCRA के सभी अफ़सर CBI की जांच के दयारे में आ चुके हैं।
गृह मंत्रालय के मुताबिक़ जोशी ने नवंबर 2015 में क़रीब 60 NGOs को नोटिस भेजे थे। इन नोटिसों के ज़रिए उन सभी NGOs से सफ़ाई मांगी जा रही थी। ये सभी विदेशी मदद से चलने वाले NGOs हैं जिन्हें बाहर से पैसा आता था। लेकिन सवाल है कि क्या अंडर सेक्रेटेरी अपने आप से इस तरह की करवाई कर सकता है। क्योंकि नोटिस भेजने के लिए वरिष्ठ अधिकारी की मंजूरी ज़रूरी होती है। CBI अब FCRA में काम करने वाले सभी अफ़सरों से पूछताछ करेगी।
आनंद जोशी की पत्नी भी आरोप सीधे एडिशनल सेक्रेटेरी बीके प्रसाद पर लगा रही है। उधर बीके प्रसाद ने अपनी सफ़ाई में एनडीटीवी को बताया, क्योंकि उन्होंने CBI को शिकायत दी थी और एफआईआर में उनका नाम है इसलिए उन्हें निशाना बनाया जा रहा है।
वैसे ये पहली बार नहीं जब FCRA डिविज़न में गड़बड़ी सामने आयी हो। इससे पहले चीनी नेताओं को वीज़ा देने के मसले पर भी भारत की ख़ूब किरकिरी हुई है, वो भी इसी विभाग के कारण। ऐसे में सवाल लाज़मी है कि आख़िर चल क्या रहा है गृह मंत्रालय में।
उधर आनंद जोशी अपनी पत्नी को चिट्ठी लिखकर अपने घर से गायब हो गए हैं। लेकिन अपने इस अंडर सेक्रेटरी की ये ख़बर गृह मंत्रालय के पास नहीं है। गृह राज्य मंत्री किरेन रिजीजू ने कहा, "हमें अभी पता नहीं है लेकिन इसके बारे में जानकारी हाइकु करेंगे।"
लेकिन मामला गंभीर है इसलिए गृह मंत्रालय के फ़ॉरनर्स डिविज़न में सभी फ़ाइलों का ऑडिट चल रहा है। आशंका है कि कई फ़ाइलों से सीक्रेट नोट्स ग़ायब हैं। माना जा रहा है की NGOs से जुड़ी संवेदनशील जनकरियां जो मंत्रालय ने इकट्ठा की थी वो उन NGOs तक पहुंच चुकी है।
एनडीटीवी इंडिया को मिली जानकारी के मुताबिक़ गृह मंत्रालय का प्रशासनिक विभाग फ़ाइलों तो कैसे रूट किया जाता है, उनके मुतलीक नए नियम भी बना रहा है। उधर FCRA के सभी अफ़सर CBI की जांच के दयारे में आ चुके हैं।
गृह मंत्रालय के मुताबिक़ जोशी ने नवंबर 2015 में क़रीब 60 NGOs को नोटिस भेजे थे। इन नोटिसों के ज़रिए उन सभी NGOs से सफ़ाई मांगी जा रही थी। ये सभी विदेशी मदद से चलने वाले NGOs हैं जिन्हें बाहर से पैसा आता था। लेकिन सवाल है कि क्या अंडर सेक्रेटेरी अपने आप से इस तरह की करवाई कर सकता है। क्योंकि नोटिस भेजने के लिए वरिष्ठ अधिकारी की मंजूरी ज़रूरी होती है। CBI अब FCRA में काम करने वाले सभी अफ़सरों से पूछताछ करेगी।
आनंद जोशी की पत्नी भी आरोप सीधे एडिशनल सेक्रेटेरी बीके प्रसाद पर लगा रही है। उधर बीके प्रसाद ने अपनी सफ़ाई में एनडीटीवी को बताया, क्योंकि उन्होंने CBI को शिकायत दी थी और एफआईआर में उनका नाम है इसलिए उन्हें निशाना बनाया जा रहा है।
वैसे ये पहली बार नहीं जब FCRA डिविज़न में गड़बड़ी सामने आयी हो। इससे पहले चीनी नेताओं को वीज़ा देने के मसले पर भी भारत की ख़ूब किरकिरी हुई है, वो भी इसी विभाग के कारण। ऐसे में सवाल लाज़मी है कि आख़िर चल क्या रहा है गृह मंत्रालय में।
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