जम्मू-कश्मीर में सीमा से सटे इस गांव में 15 अगस्त की सुबह पहली बार बिजली होगी

12,000 परिवारों वाले केरन गांव में शाम को 6 से 9 बजे के बीच डीजल जनरेटर सेट के माध्यम से केवल तीन घंटे बिजली मिलती थी.

जम्मू-कश्मीर में सीमा से सटे इस गांव में 15 अगस्त की सुबह पहली बार बिजली होगी

नियंत्रण रेखा से सटे गांव केरन में अब पूरे दिन लोगों को बिजली मिल सकेगी.

नई दिल्ली:

आज़ादी के बाद पहली बार उत्तरी कश्मीर में नियंत्रण रेखा (LoC) से सटा आखिरी गांव लाल किले से प्रधानमंत्री के 15 अगस्त के भाषण को लाइव देख पाएगा. पिछले लगभग 73 साल से 12,000 परिवारों वाले केरन गांव में शाम को 6 से 9 बजे के बीच डीजल जनरेटर सेट के माध्यम से केवल तीन घंटे बिजली मिलती थी. यह पहली बार होगा, जब स्वतंत्रता दिवस पर इस गांव में सुबह से ही बिजली होगी.

कुपवाड़ा के जिला कलेक्टर अंशुल गर्ग ने NDTV को बताया कि "पिछले एक साल से हमने इस सीमा क्षेत्र के विद्युतीकरण के काम को मिशन मोड पर रखा था और अब हमने अपना लक्ष्य पूरा कर लिया है."

विद्युतीकरण एकमात्र परियोजना नहीं है जिसे स्थानीय प्रशासन ने लिया है. यहां की सड़कों में भी सुधार किया जा रहा है. किशन गंगा नदी के तट पर स्थित केरन जम्मू और कश्मीर के कुपवाड़ा जिले से हर साल लगभग छह महीने कट जाता है. यहां तेज सर्दी होती है. 2013 बैच के युवा अधिकारी गर्ग ने कहा, "इस साल, बीआरओ (सीमा सड़क संगठन) ने सर्दियों से पहले मैकडैमाइज़्ड सड़कों को पूरा करने का काम किया है."

कुपवाड़ा पाकिस्तान के साथ नियंत्रण रेखा के 170 किमी हिस्से से सटा है और यह घुसपैठ मार्गों के लिए जाना जाता है. इसमें पांच विधानसभा क्षेत्र और 356 पंचायतें हैं. जम्मू और कश्मीर प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "इस क्षेत्र के सभी चुनावों में मतदान सबसे ज्यादा होता है."

गृह मंत्रालय के अनुसार पिछले एक साल में न केवल सीमावर्ती जिले बल्कि नव-नामित केंद्र शासित प्रदेश में काफी विकास हुआ है. सरकार का दावा है कि जम्मू-कश्मीर इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट फाइनेंस कॉरपोरेशन (JKIDFC) की एक दशक से बंद परियोजनाओं को पुनर्जीवित किया गया है. गृह मंत्रालय के अनुसार, 5,979 करोड़ रुपये की 2,273 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिसमें से 506 परियोजनाएं पूरी हो चुकी हैं और 963 मार्च 2021 तक पूरी हो जाएंगी.

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शीतल नंदा, सचिव (ग्रामीण विकास- जम्मू कश्मीर) ने कहा, "केंद्र ने 14 वें वित्त आयोग के अनुदान के रूप में 1400 करोड़ रुपये जारी किए हैं, जो तीन साल से अधिक समय से रुके हुए थे." उनके अनुसार, मध्याह्न भोजन योजना के तहत केंद्र द्वारा 65 करोड़ रुपये मंजूर किए गए हैं. "किसी भी विवाद से बचने के लिए सरपंचों और स्कूल के प्रमुखों के नाम पर अब संयुक्त खाते बनाए गए हैं." गृह मंत्रालय का कहना है कि ग्राम प्रधानों या सरपंचों ने भी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम या मनरेगा योजना के लिए भुगतान करना शुरू कर दिया है, जिसके तहत केंद्र द्वारा 1,000 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं.

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सरकार ने 100 नए पंचायत कार्यालयों के निर्माण और अन्य 100 की मरम्मत की योजना को भी मंजूरी दी है, जिनमें से कई आतंकवादी बुरहान वानी की हत्या के बाद राज्य में भड़की हिंसा में नष्ट हो गए थे.