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प्रारंभ में इनकार किए जाने के बावजूद सरकार ने अंततोगत्वा कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले के सिलसिले में सीबीआई को पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता से पूछताछ की अनुमति दे दी है। फिलहाल वह भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग में सदस्य हैं।
गुप्ता की भूमिका की जांच के लिए जांच एजेंसी के आग्रह को पहले सरकार ने इनकार कर दिया था लेकिन सीबीआई के सूत्रों ने कहा कि कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने पूछताछ के लिए एजेंसी को अब मंजूरी दे दी है।
सीबीआई ने बताया था कि पूछताछ जरूरी है क्योंकि वह 2006 से 2009 के बीच सचिव थे लेकिन मंत्रालय ने अनुमति देने से इनकार कर दिया था। इस समय के दौरान घोटाले को लेकर एजेंसी जांच कर रही है।
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय की ओर से अनुमति देने से इनकार करने पर इसको लेकर राजनीति तेज हो गई और भाजपा ने इसे कोयला घोटाले की जांच मामले में अतिक्रमण माना।
भाजपा प्रवक्ता अभिमन्यु ने कहा था, ‘‘जहां तक सीबीआई के काम करने की बात है तो विश्वास का संकट रहा है। इससे पहले सरकार ने इसके काम में हस्तक्षेप का प्रयास किया था जब कानून मंत्री को कोयला घोटाले की स्थिति रिपोर्ट से छेड़छाड़ में लिप्त पाया गया, अब इसने गुप्ता से पूछताछ के लिए सीबीआई को अनुमति देने से इनकार कर दिया।’’
संपर्क करने पर गुप्ता ने कहा कि वह इस मामले में बात नहीं करेंगे। वर्ष 2006 से 2009 के बीच कोयला ब्लॉक आवंटन में कथित अनियमितता के सिलसिले में सीबीआई ने 12 प्राथमिकियां दर्ज की है । इस दौरान 151 कंपनियों को 68 कोयला ब्लॉक के आवंटन हुए थे और इनमें से कुछ की फाइल गायब है।
नवीनतम प्राथमिकी में सीबीआई ने कांग्रेस सांसद नवीन जिंदल और पूर्व कोयला राज्यमंत्री डी नारायण राव सहित स्क्रीनिंग समिति के अज्ञात लोगों का नाम बतौर आरोपी लिया है। कोयला ब्लॉक आवंटन को मंजूरी देने वाली स्क्रीनिंग समिति के अध्यक्ष सामान्यत: कोयला सचिव होते हैं।
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