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जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने की मांग के मामले पर सुनवाई का मामला CJI के सामने उठाया गया

ये अर्जी शिक्षक जहूर अहमद भट और एक्टिविस्ट खुर्शीद अहमद मलिक ने दाखिल की है. इसमें कहा गया है कि सॉलिसिटर जनरल द्वारा जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के आश्वासन के बावजूद अनुच्छेद 370 मामले में फैसले के बाद पिछले 11 महीनों में केंद्र सरकार ने इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया है.

जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने की मांग के मामले पर सुनवाई का मामला CJI के सामने उठाया गया

CJI जस्टिस बीआर गवई के सामने मामले को उठाते हुए वकील गोपाल शंकर नारायण ने कहा कि इस मामले पर सुनवाई 8 अगस्त को तय है. कोर्ट से यह अनुरोध है कि मामले को सुनवाई के लिए सूची से न हटाया जाए. CJI ने भरोसा दिया कि आठ अगस्त को सुनवाई की जाएगी. खास बात ये है कि आज 5 अगस्त को, अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त किए जाने की छठी वर्षगांठ है. यह अर्जी 'संविधान के अनुच्छेद 370 के संबंध में' दाखिल की गई है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने के फैसले को बरकरार रखा था. उस फैसले में अदालत ने सॉलिसिटर जनरल द्वारा दिए गए इस आश्वासन के मद्देनजर कि राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा. जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 की संवैधानिकता के मुद्दे पर विचार नहीं किया, जिसने जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया था. पीठ ने केवल यह निर्देश दिया था कि "राज्य का दर्जा जल्द से जल्द और यथाशीघ्र बहाल किया जाएगा", बिना कोई समय-सीमा निर्धारित किए.

ये अर्जी शिक्षक जहूर अहमद भट और एक्टिविस्ट खुर्शीद अहमद मलिक ने दाखिल की है. इसमें कहा गया है कि सॉलिसिटर जनरल द्वारा जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल करने के आश्वासन के बावजूद अनुच्छेद 370 मामले में फैसले के बाद पिछले 11 महीनों में केंद्र सरकार ने इस संबंध में कोई कदम नहीं उठाया है. दलील दी गई है कि जम्मू-कश्मीर का राज्य का दर्जा बहाल न करना संघवाद की मूल विशेषता का उल्लंघन है. जम्मू-कश्मीर के राज्य के दर्जे को समयबद्ध तरीके से बहाल न करना संघवाद की अवधारणा का उल्लंघन है, जो भारत के संविधान के मूल ढांचे का एक हिस्सा है. आवेदकों ने कहा कि विधानसभा चुनाव शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुए और यह दर्शाता है कि राज्य का दर्जा बहाल करने में कोई बाधा नहीं है इसलिए, सुरक्षा संबंधी चिंताओं, हिंसा या किसी अन्य गड़बड़ी की कोई बाधा नहीं है जो जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने/बहाली करने में बाधा उत्पन्न करें या उसे रोके, जैसा कि वर्तमान कार्यवाही में भारत संघ द्वारा आश्वासन दिया गया था.

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