प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ राजधानी दिल्ली में पोस्टर (PM Modi's poster case ) लगाने के मामले में 24 लोगों पर FIR दर्ज करने के मामले में सोमवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई हुई. लेकिन याचिकाकर्ता की ओर से आधी अधूरी जानकारी को लेकर अदालत ने कहा कि सिर्फ अखबार पढ़कर जनहित याचिका ( दाखिल नहीं की जानी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता वकील को एक हफ्ते में FIR और ब्योरा दाखिल करने को कहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता को सिर्फ अखबार पढ़कर ही PIL दाखिल नहीं करनी चाहिए. इस संबंध में कुछ तो ब्योरा दाखिल हो ताकि सुप्रीम कोर्ट मामले में आगे बढ़ सके.
'PM मोदी के खिलाफ लगे पोस्टरों के चलते दर्ज किए गए FIR रद्द करें' : SC में याचिका दाखिल
दरअसल इस मामले में एफआईआर (FIR) दर्ज करने पर दिल्ली पुलिस के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. याचिका में कोरोना को लेकर पीएम मोदी पर पोस्टर लगाने वालों के खिलाफ FIR रद्द करने की मांग की गई है. साथ ही कहा गया है कि पुलिस को निर्देश दिया जाए कि वो वैक्सीन पर सवाल उठाते हुए लगाए गए पोस्टरों या विज्ञापन पर FIR या कार्रवाई ना करे.
याचिका में मांग की गई है कि इन FIR का सारा रिकॉर्ड भी पुलिस से मंगाया जाए. याचिकाकर्ता वकील प्रदीप कुमार यादव ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट पहले ही कह चुका है कि बोलने और अभिव्यक्ति की आजादी से इनकार नहीं किया जा सकता.
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