दिल्ली पुलिस आयुक्त भीम सेन बस्सी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
दिल्ली पुलिस आयुक्त भीम सेन बस्सी का नाम केंद्रीय सूचना आयोग में सूचना आयुक्त के पद के दावेदारों से हटा दिया गया है। सूत्रों के मुताबिक सरकार, बस्सी का नाम वापिस लेने के लिए तैयार हो गई है। यही नहीं गुजरात हाईकोर्ट के जज त्रिपाठी जिन्हें सरकार का समर्थन हासिल था, उनका नाम भी पीछे खींच लिया गया है। सूचना आयुक्त के रूप में चुने गए नाम में बिमला जुल्का, सूचना एवं प्रसारण के सिन्हा और अमिताव भट्टाचार्य हैं।
कहा जा रहा था कि बस्सी को इस महीने के अंत में सेवानिवृत्त होना है और वह सूचना आयुक्त के पद के लिए आवेदकों में से एक थे। दिल्ली पुलिस के मुखिया के रूप में बस्सी को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से ख़ासी टक्कर झेलनी पड़ी है। केजरीवाल ने बस्सी पर बीजेपी का एजेंट होने का आरोप लगाया है और कहा है कि वह केंद्र का आदेश पर दिल्ली सरकार को कमज़ोर करने के काम में लगे हुए हैं।
पुलिस की भूमिका पर सवाल
यही नहीं, पिछले कुछ दिन पहले उठे जेएनयू विवाद में भी बस्सी की अगुवाई में दिल्ली पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं। ऐसा आरोप लगाया जा रहा है कि कोर्ट में जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की पेशी के दौरान हुई हिंसक वारदातों में पुलिस का हस्तक्षेप नदारद था। गौरतलब है कि बस्सी, केंद्रीय सूचना आयोग में सूचना आयुक्त के पद के लिए दावेदारों में से एक थे।
सरकारी सूत्रों ने बताया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चयन समिति की बैठक में केंद्रीय सूचना आयोग में सूचना आयुक्तों के तीन रिक्त पदों के लिए नामों पर फैसला लिया जाएगा। बस्सी 1977 बैच के केंद्र शासित क्षेत्र कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं। बस्सी ने पिछले साल सितंबर में सरकार द्वारा जारी विज्ञापन के आधार पर सूचना आयुक्त और केंद्रीय सूचना आयुक्त दोनों पदों के लिए आवेदन किया था।
कहा जा रहा था कि बस्सी को इस महीने के अंत में सेवानिवृत्त होना है और वह सूचना आयुक्त के पद के लिए आवेदकों में से एक थे। दिल्ली पुलिस के मुखिया के रूप में बस्सी को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से ख़ासी टक्कर झेलनी पड़ी है। केजरीवाल ने बस्सी पर बीजेपी का एजेंट होने का आरोप लगाया है और कहा है कि वह केंद्र का आदेश पर दिल्ली सरकार को कमज़ोर करने के काम में लगे हुए हैं।
पुलिस की भूमिका पर सवाल
यही नहीं, पिछले कुछ दिन पहले उठे जेएनयू विवाद में भी बस्सी की अगुवाई में दिल्ली पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाए जा रहे हैं। ऐसा आरोप लगाया जा रहा है कि कोर्ट में जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की पेशी के दौरान हुई हिंसक वारदातों में पुलिस का हस्तक्षेप नदारद था। गौरतलब है कि बस्सी, केंद्रीय सूचना आयोग में सूचना आयुक्त के पद के लिए दावेदारों में से एक थे।
सरकारी सूत्रों ने बताया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चयन समिति की बैठक में केंद्रीय सूचना आयोग में सूचना आयुक्तों के तीन रिक्त पदों के लिए नामों पर फैसला लिया जाएगा। बस्सी 1977 बैच के केंद्र शासित क्षेत्र कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं। बस्सी ने पिछले साल सितंबर में सरकार द्वारा जारी विज्ञापन के आधार पर सूचना आयुक्त और केंद्रीय सूचना आयुक्त दोनों पदों के लिए आवेदन किया था।
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