सुषमा स्वराज के निधन के साथ ही दिल्ली ने एक साल से कम समय में खोए अपने तीन पूर्व मुख्यमंत्री

पूर्व विदेश मंत्री और बीजेपी की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज का मंगलवार को निधन हो गया. उनके निधन के साथ ही दिल्ली ने पिछले एक साल से कम समय के अंतराल में अपने तीन पूर्व मुख्यमंत्री खो दिए हैं.

सुषमा स्वराज के निधन के साथ ही दिल्ली ने एक साल से कम समय में खोए अपने तीन पूर्व मुख्यमंत्री

पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का निधन

खास बातें

  • पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का निधन
  • दिल्ली ने एक साल से कम समय के भीतर अपने तीन पूर्व मुख्यमंत्री खोए
  • इसी साल जुलाई में हुआ था शीला दीक्षित का निधन
नई दिल्ली:

पूर्व विदेश मंत्री और बीजेपी की वरिष्ठ नेता  सुषमा स्वराज  का मंगलवार को निधन हो गया. उनके निधन के साथ ही दिल्ली ने पिछले एक साल से कम समय के अंतराल में अपने तीन पूर्व मुख्यमंत्री खो दिए हैं. बता दें कि सुषमा स्वराज अक्टूबर से दिसंबर 1998 तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रही थीं. मंगलवार की रात हृदय गति रूक जाने से उनका निधन हो गया. वहीं, दिल्ली की तीन बार मुख्यमंत्री रहीं  शीला दीक्षित  का इस साल जुलाई में हृदय गति रूक जाने से निधन हो गया था. वर्ष 1993 से 1996 तक दिल्ली के मुख्यमंत्री रहे  मदन लाल खुराना  का निधन पिछले साल अक्टूबर में हो गया था. इस तरह दिल्ली ने एक साल से भी कम समय के अंतराल में अपने तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों को खो दिया.

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सुषमा स्वराज का राजनीतिक सफर
सुषमा स्वराज ने 25 साल की उम्र में हरियाणा की अंबाला सीट से पहला चुनाव लड़ा था. वो सबसे कम उम्र में विधायक बनीं. इसके साथ ही वो देवीलाल सरकार में मंत्री भी बनीं. सुषमा स्वराज साल 1979 में हरियाणा में जनता पार्टी की अध्यक्ष भी रहीं. वो 1987 से 1990 तक हरियाणा सरकार में मंत्री भी रहीं. साल 1990 में पहली बार राज्यसभा की सदस्य चुनी गईं थीं. सुषमा स्वराज साल 1996 में पहली बार दक्षिणी दिल्ली से लोकसभा चुनाव चुनाव जीतीं और 13 दिन की सरकार में सूचना प्रसारण मंत्री बनीं. 1998 में वो दूसरी बार दक्षिणी दिल्ली से लोकसभा सांसद बनीं और फिर से सूचना प्रसारण मंत्री बनीं. सुषमा स्वराज 1998 में दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री भी बनीं. पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज साल 1999 में सोनिया गांधी के खिलाफ बेल्लारी से चुनाव हारीं. वो वर्ष 2000 में दूसरी बार राज्यसभा के लिए चुनीं गईं और 2000-2004 तक केंद्र सरकार में मंत्री रहीं. सुषमा स्वराज 2006 में तीसरी बार राज्यसभा के लिए चुनी गईं. साल 2009 में विदिशा से लोकसभा चुनाव जीतीं और लोकसभा में विपक्ष की उपनेता बनीं. 26 मई, 2014 को केंद्र सरकार में विदेश मंत्री बनीं. सुषमा स्वराज ने 2019 में स्वास्थ्य कारणों से नहीं लोकसभा चुनाव नहीं लड़ा.


शीला दीक्षित का राजनीतिक सफर
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित इस साल जुलाई में निधन हो गया था. शीला दीक्षित साल 1984 से 1989 तक  उत्तर प्रदेश के कन्नौज से लोकसभा सदस्य रहीं. उन्होंने 1986 से 1989 के दौरान केंद्रीय मंत्री के रूप में काम किया और दो विभागों राज्यमंत्री पीएमओ और राज्यमंत्री संसदीय कार्य मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली थी. शीला दीक्षित वर्ष 1998 में दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं और करीब 15 साल तक दिल्ली की मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया. साल 2015 में आम आदमी पार्टी के हाथों दिल्ली में करारी हार मिलने के बाद शीला दीक्षित ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. बता दें कि वर्ष 2014 में उन्हें केरल का राज्यपाल भी नियुक्त किया गया था, लेकिन कुछ महीनों बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा था.

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मदन लाल खुराना का राजनीतिक सफर
दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री मदन लाल खुराना का निधन पिछले साल अक्टूबर में हुआ था. मदन लाल खुराना साल 1959 में पहली बार छात्र राजनीति में सक्रिय हुए और उन्हें इलाहाबाद यूनिवर्सिटी का जनरल सेक्रेटरी चुना गया. इसके बाद वह 1960 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जनरल सेक्रेटरी चुने गए. राजनीति में प्रवेश करने से पहले मदन लाख खुराना दिल्ली विश्वविद्यालय के पीजीडीएवी कॉलेज में बतौर शिक्षक अपनी सेवाएं दे रहे थे.मदन लाल खुराना ने विजय कुमार मल्होत्रा व अन्य के साथ मिलकर दिल्ली में जनसंघ के केंद्र की स्थापना की थी. जिसे आगे चलकर बीजेपी के रूप में जाना गया. पार्टी के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निभाने और कर्मठता की वजह से मदनलाल खुराना को दिल्ली का शेर भी कहा जाता था. मदनलाल खुराना 1993 में दिल्ली के मुख्यमंत्री बने और 1996 में इस्तीफा देने तक इस पद पर रहे. मदनलाल खुराना अपने राजनीतिक करियर के ऊंचाई पर रहते हुए अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रहे. इसके अलावा उन्होंने राजस्थान के राज्यपाल के रूप में अभी अपनी सेवाएं दी. वह 14 जनवरी से 28 अक्टूबर 2004 तक राजस्थान के राज्यपाल रहे. इसके बाद उन्होंने एक बार फिर राजनीति में सक्रिय रूप से शामिल होने के लिए इस पद से इस्तीफा दे दिया था.  (इनपुट भाषा)

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