नाबालिग दोषी उस समय 18 साल से कम उम्र का था...
नई दिल्ली:
दिल्ली गैंगरेप के मामले में नाबालिग दोषी रविवार को रिहा होगा। दिल्ली हाईकोर्ट ने उसकी रिहाई पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। उसे सुधारगृह में 3 साल रखने की सजा पूरी हो गई है। वहीं, महिला आयोग ने इस रिहाई को चुनौती दी है। महिला आयोग चीफ जस्टिस और देश के राष्ट्रपति को इस बाबत लिखेगा।
गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने इस मामले में नाबालिग दोषी की रिहाई का विरोध किया था और कहा था कि पहले वह खुद सुधरने का भरोसा दिलाए। इस फैसले के बाद गैंगरेप पीड़िता के माता-पिता ने कहा, हमें इंसाफ नहीं मिला। हम अपने वकील से बात करके आगे की लड़ाई पर फैसला लेंगे। (इस मामले में अपराधशास्त्री की राय भी पढ़ें)
साबित करें कि वह सुधर चुका है
नाबालिग दोषी अब 20 साल का हो चुका है और जिस समय उसने अपराध किया वह 18 साल से कम उम्र का था। इस मामले में दिल्ली सरकार ने कहा था कि दोषी को कई बार मानसिक परीक्षण से गुजारा गया है और सरकार उसके पुनर्वास के लिए 10 हजार रुपये और सिलाई मशीन देने को तैयार है। इस बीच आई आईबी की रिपोर्ट के मुताबिक, उसे हाईकोर्ट ब्लास्ट के एक दोषी ने जिहाद के लिए तैयार किया है। इस मामले में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने हाईकोर्ट मे याचिका दाखिल कर उसकी रिहाई पर रोक लगाने और मानसिक परीक्षण कराने की मांग थी। स्वामी ने कहा है कि वह साबित करें कि वह सुधर चुका है और समाज के लिए खतरा नहीं है।
केंद्र ने भी की अवधि बढ़ाए जाने की अपील
केंद्र ने नाबालिग दोषी को बाल सुधार गृह में रखे जाने की अवधि बढ़ाए जाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट से अपील की थी। केंद्र ने कहा था कि नाबालिग दोषी की रिहाई के बाद उसके पुनर्वास की योजना में कई आवश्यक बातें नदारद हैं, जिन पर उसकी रिहाई से पूर्व विचार किए जाने की आवश्यकता है।
पीड़िता की मां ने की रिहा न करने की अपील
वहीं पीड़िता की मां ने 16 दिसंबर को अपनी बेटी को साहसिक श्रद्धांजलि देते हुए उसका नाम सार्वजनिक रूप से लिया और कहा कि बलात्कार जैसे घिनौने अपराध करने वाले लोगों को अपने सिर शर्म से झुकाने चाहिए, न कि पीड़ितों या उनके परिवारों को। लड़की की मां आशा के साथ पिता बद्री सिंह पांडेय ने घटना को अंजाम देने वाले छह अपराधियों में से कथित रूप से सबसे नृशंस तरीके से अपराध को अंजाम देने वाले किशोर दोषी को रिहा नहीं किये जाने की मांग की थी और कहा था कि वह शहर के लिए खतरा है। (पूरी खबर यहां पढ़ें)
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गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने इस मामले में नाबालिग दोषी की रिहाई का विरोध किया था और कहा था कि पहले वह खुद सुधरने का भरोसा दिलाए। इस फैसले के बाद गैंगरेप पीड़िता के माता-पिता ने कहा, हमें इंसाफ नहीं मिला। हम अपने वकील से बात करके आगे की लड़ाई पर फैसला लेंगे। (इस मामले में अपराधशास्त्री की राय भी पढ़ें)
साबित करें कि वह सुधर चुका है
नाबालिग दोषी अब 20 साल का हो चुका है और जिस समय उसने अपराध किया वह 18 साल से कम उम्र का था। इस मामले में दिल्ली सरकार ने कहा था कि दोषी को कई बार मानसिक परीक्षण से गुजारा गया है और सरकार उसके पुनर्वास के लिए 10 हजार रुपये और सिलाई मशीन देने को तैयार है। इस बीच आई आईबी की रिपोर्ट के मुताबिक, उसे हाईकोर्ट ब्लास्ट के एक दोषी ने जिहाद के लिए तैयार किया है। इस मामले में बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने हाईकोर्ट मे याचिका दाखिल कर उसकी रिहाई पर रोक लगाने और मानसिक परीक्षण कराने की मांग थी। स्वामी ने कहा है कि वह साबित करें कि वह सुधर चुका है और समाज के लिए खतरा नहीं है।
केंद्र ने भी की अवधि बढ़ाए जाने की अपील
केंद्र ने नाबालिग दोषी को बाल सुधार गृह में रखे जाने की अवधि बढ़ाए जाने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट से अपील की थी। केंद्र ने कहा था कि नाबालिग दोषी की रिहाई के बाद उसके पुनर्वास की योजना में कई आवश्यक बातें नदारद हैं, जिन पर उसकी रिहाई से पूर्व विचार किए जाने की आवश्यकता है।
पीड़िता की मां ने की रिहा न करने की अपील
वहीं पीड़िता की मां ने 16 दिसंबर को अपनी बेटी को साहसिक श्रद्धांजलि देते हुए उसका नाम सार्वजनिक रूप से लिया और कहा कि बलात्कार जैसे घिनौने अपराध करने वाले लोगों को अपने सिर शर्म से झुकाने चाहिए, न कि पीड़ितों या उनके परिवारों को। लड़की की मां आशा के साथ पिता बद्री सिंह पांडेय ने घटना को अंजाम देने वाले छह अपराधियों में से कथित रूप से सबसे नृशंस तरीके से अपराध को अंजाम देने वाले किशोर दोषी को रिहा नहीं किये जाने की मांग की थी और कहा था कि वह शहर के लिए खतरा है। (पूरी खबर यहां पढ़ें)
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