उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की फाइल फोटो
नई दिल्ली:
केंद्र सरकार द्वारा 500 और 1000 रुपये के नोटों को बंद करने के फैसले को जल्दबाजी भरा करार दे चुके उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 30 नवंबर तक इन पुराने नोटों को चलने देने की अपील की है. सीएम अखिलेश यादव ने इस बाबत प्रधानमंत्री मोदी और वित्तमंत्री अरुण जेटली को चिट्ठी लिखी है.
इस चिट्ठी में उन्होंने कहा है कि अब भी बहुत बड़ी आबादी बीमारियों के इलाज के लिए निजी अस्पतालों पर निर्भर है. ऐसे में 8 नवंबर को अचानक 500 और 1000 के नोटों का चलन बंद किए जाने से खासकर निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम में भर्ती मरीजों और उनके तीमारदारों को भारी दिक्कतें हो रही हैं. कई मरीजों के लिए यह स्थिति जानलेवा भी हो रही है.
उन्होंने पत्र में कहा 'आपसे अनुरोध है कि आप तत्काल हस्तक्षेप करके निजी अस्पतालों, नर्सिंग होम और दवा की दुकानों में 500 और 1000 रुपये के नोटों की स्वीकार्यता कम से कम 30 नवंबर तक बढ़ाने के आदेश दें, ताकि नए नोटों की उपलब्धता की स्थिति सामान्य होने तक गरीबों और आम जनता को कम से कम चिकित्सा एवं उपचार के लिए परेशान ना होना पड़े.'
गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा नोटबंदी के इस फैसले का सपा और बसपा जैसी प्रमुख पार्टियां पहले ही आलोचना कर चुकी हैं. सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने जहां इस मामले में 10 दिनों की राहत की मांग की थी, तो वहीं बसपा प्रमुख मायावती ने इस नोटबंदी को ‘अघोषित आर्थिक आपातकाल’ करार दिया था.
मुलायम ने संवाददाताओं से कहा था, हम नोटबंदी के फैसले के साथ हैं, लेकिन हफ्ते या 10 दिन की राहत मिलनी चाहिए. देश में अराजकता का माहौल चल रहा है.'
वहीं बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने केंद्र सरकार पर 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों की वैधता समाप्त करके देश में 'अघोषित आर्थिक इमर्जेन्सी' जैसा वातावरण पैदा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने ढाई साल के अपने कार्यकाल में अपना 'पूरा बंदोबस्त' करने के बाद जनता में त्राहि-त्राहि मचाने वाला यह कदम उठाया.
(भाषा इनपुट के साथ)
इस चिट्ठी में उन्होंने कहा है कि अब भी बहुत बड़ी आबादी बीमारियों के इलाज के लिए निजी अस्पतालों पर निर्भर है. ऐसे में 8 नवंबर को अचानक 500 और 1000 के नोटों का चलन बंद किए जाने से खासकर निजी अस्पतालों और नर्सिंग होम में भर्ती मरीजों और उनके तीमारदारों को भारी दिक्कतें हो रही हैं. कई मरीजों के लिए यह स्थिति जानलेवा भी हो रही है.
उन्होंने पत्र में कहा 'आपसे अनुरोध है कि आप तत्काल हस्तक्षेप करके निजी अस्पतालों, नर्सिंग होम और दवा की दुकानों में 500 और 1000 रुपये के नोटों की स्वीकार्यता कम से कम 30 नवंबर तक बढ़ाने के आदेश दें, ताकि नए नोटों की उपलब्धता की स्थिति सामान्य होने तक गरीबों और आम जनता को कम से कम चिकित्सा एवं उपचार के लिए परेशान ना होना पड़े.'
गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा नोटबंदी के इस फैसले का सपा और बसपा जैसी प्रमुख पार्टियां पहले ही आलोचना कर चुकी हैं. सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने जहां इस मामले में 10 दिनों की राहत की मांग की थी, तो वहीं बसपा प्रमुख मायावती ने इस नोटबंदी को ‘अघोषित आर्थिक आपातकाल’ करार दिया था.
मुलायम ने संवाददाताओं से कहा था, हम नोटबंदी के फैसले के साथ हैं, लेकिन हफ्ते या 10 दिन की राहत मिलनी चाहिए. देश में अराजकता का माहौल चल रहा है.'
वहीं बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने केंद्र सरकार पर 500 रुपये और 1000 रुपये के नोटों की वैधता समाप्त करके देश में 'अघोषित आर्थिक इमर्जेन्सी' जैसा वातावरण पैदा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने ढाई साल के अपने कार्यकाल में अपना 'पूरा बंदोबस्त' करने के बाद जनता में त्राहि-त्राहि मचाने वाला यह कदम उठाया.
(भाषा इनपुट के साथ)
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