MP-MLA से जुड़े मामलों में कोई एक्शन नहीं लेतीं जांच एजेंसियां : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस मामले में देशभर के हाईकोर्ट से कहा कि वे पूर्व और वर्तमान सांसदों/विधायकों (Tainted present and former MLAs, MPs)के खिलाफ वर्षों से लंबित मामलों के त्वरित निपटारे के लिए एक्शन प्लान प्रस्तुत करें.

MP-MLA से जुड़े मामलों में कोई एक्शन नहीं लेतीं जांच एजेंसियां : सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने देशभर के हाईकोर्ट से मामलों के त्‍वरित निपटारों के लिए एक्‍शन प्‍लान मांगा है

खास बातें

  • हाईकोर्ट से मामलों के त्‍वरित निपटारों के लिए प्‍लान मांगा
  • 'माननीयों' पर लंबित मामले जल्‍द निपटाने के लिए दी गई है अर्जी
  • केंद्र ने कहा, सुनवाई तेज करने के आदेश का स्‍वागत करेंगे
नई दिल्ली:

वर्तमान और पूर्व विधायक/ सांसदों के खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों को स्पेशल कोर्ट में जल्द निपटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इस मामले में देशभर के हाईकोर्ट से कहा कि वे पूर्व और वर्तमान सांसदों/विधायकों (Tainted present and former MLAs, MPs)के खिलाफ वर्षों से लंबित मामलों के त्वरित निपटारे के लिए एक्शन प्लान प्रस्तुत करें. अदालत ने कहा कि जांच एजेंसियां ​​FIR दर्ज करती हैं और फिर कुछ नहीं करती. यहां तक कि कुछ मामलों में पुलिस वारंट पर भी अमल नहीं करती.एमिकस क्यूरी द्वारा पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि एक मुख्यमंत्री के खिलाफ लगभग 15 भ्रष्टाचार के मामले और कुछ मनी लॉंडरिंग के मामले लंबित हैं. केंद्र सरकार (Central Government) ने कहा कि कि वह भ्रष्टाचार के आरोपों और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों का सामना कर रहे सांसदों/ विधायकों के खिलाफ सुनवाई तेज करने के किसी भी आदेश का स्वागत करता है. इन मामलों को समयबद्ध तरीके से निपटाया जाना चाहिए अगर सांसदों/ विधायकों के खिलाफ मामलों पर सालों से रोक है, तो संबंधित अदालतों को एक महीने के भीतर फैसला करना होगा.

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.एमिकस क्यूरी विजय हंसारिया ने SC को बताया कि 350 मामलों पर उच्च न्यायालयों द्वारा रोक है. उच्च न्यायालयों को एक महीने में रोक हटाने को कहा जाए. बड़ी समस्या गवाहों के नहीं आने की है, वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से इसे हल किया जा सकता है. ज्यादातर अदालतों का कहना है कि उनके पास इंटरनेट की सुविधा और बुनियादी ढांचा नहीं है. एमिकस क्यूरीने सुझाव दिया कि हाईकोर्ट को एक वर्ष के भीतर सांसदों/ विधायकों के खिलाफ मामलों को निपटाने के लिए खाका प्रस्तुत करने के लिए कहा जा सकता है. उन्होंने सांसदों/ विधायकों (वर्तमान और पूर्व) के खिलाफ अदालत में 175 भ्रष्टाचार के मामलों को भी बताया. उनके खिलाफ लंबित 4400 मामलों में 350 मामले हाईकोर्ट के हैं. शीर्ष अदालत ने कहा कि वह एक विस्तृत आदेश पारित करेगा और सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट में अपलोड करेग. जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हृषिकेश रॉय की बेंच ने सुनवाई की.

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केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि SC सासंदों व विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों में मुकदमों की सुनवाई के लिए समय सीमा तय कर सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यों में लंबित मामलों पर सीबीआई रिपोर्ट दाखिल करने के लिए सीबीआई को निर्देश देने की एमिकस क्यूरी की याचिका पर कुछ निर्देश पारित करेगा. पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने दागी विधायकों/ सांसदों को जीवनभर चुनाव लड़ने से रोकने की अर्जी पर केंद्र सरकार से 6 हफ्ते में जवाब मांगा था. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह चौंकाने वाली बात है कि सांसदों, विधायकों के‌ खिलाफ देश में 4000 से भी ज्यादा मामले लंबित हैं.जस्टिस एनवी  रमना ने पूछा कि सबसे पुराना लंबित मामला कौन सा है, इस पर एमाइकस क्‍यूरी ने बताया कि सबसे पुराना मामला 1983 में पंजाब का है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब के वकील पर नाराजगी से कहा कि इतने लंबे समय से मामला क्यों लंबित है,1983 से मामला लंबित है और आप लोगों को पता नहीं, आखिर कौन इसके लिए जिम्मेदार होगा. इस पर पंजाब सरकार के वकील ने कहा जानकारी करके और एक रिपोर्ट दाखिल करूंगा. SC ने कहा कि अभियोग चलाने वालों की नाकामी है कि मामले इतने समय तक लंबित हो रहे हैं

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रिपोर्ट में एमिकस ने कहा है कि सांसदों/ विधायकों ( वर्तमान और पूर्व) के खिलाफ विभिन्न अदालतों में कुल 4442 मामले लंबित हैं जिनमें सांसद और विधायकों के लिए विशेष अदालत भी शामिल हैं. हाईकोर्ट में लंबित 2556 मामलों में वर्तमान आरोपी व्यक्ति वर्तमान विधायक व सांसद हैं. यूपी इस सूची में सबसे ऊपर है उत्तर प्रदेश में 1217 मामले लंबित हैं, जिनमें से 446 मामलों में वर्तमान विधायक/ सासंद आरोपी हैं. वर्तमान विधायक/ सासंदों में से 35 और पूर्व विधायक/ सांसद में से 81 पर जघन्य अपराधों का आरोप है, जिसमें आजीवन कारावास की सजा है. उच्च न्यायालयों द्वारा दिए गए स्टे के कारण 85 मामलों में ट्रायल रुक गया है. वर्तमान मामले में जारी निर्देशों के संदर्भ में इलाहाबाद में एक विशेष अदालत का गठन किया गया था.विशेष अदालत 12 जिलों से संबंधित मामलों का ट्रायल कर रही है. बिहार में 73 मामले हैं जो आजीवन कारावास के साथ दंडनीय अपराध से संबंधित है, जिसमें से 30 मामले वर्तमान विधायक/सांसदों के खिलाफ और 43 पूर्व विधायक/ सांसदों के खिलाफ हैं. 

महाराष्ट्र में 330 मामले लंबित हैं, जिनमें से 222 में वर्तमान विधायक/ सांसदों आरोपी हैं, 31 मामले आजीवन कारावास के साथ दंडनीय अपराध से संबंधित हैं, जिसमें से 17 मामले वर्तमान विधायक/ सांसदों  के खिलाफ और 14 पूर्व  विधायक/ सासंदों  के खिलाफ हैं. उड़ीसा में, 331 मामले हैं, जिनमें से 220 मामलों में वर्तमान विधायक/ सांसद आरोपी हैं, जिनमें से 32 मामले आजीवन कारावास और 10 विधायकों के खिलाफ सज़ा और पूर्व विधायकों के खिलाफ 22 मामले हैं.मध्य प्रदेश में 184 मामले हैं, जिनमें से 125 मामलों में वर्तमान विधायक/सांसद आरोपी हैं, 31 मामले ऐसे हैं जो आजीवन कारावास से दंडनीय हैं, जिनमें से 12 मामले वर्तमान विधायक/सांसदों  के खिलाफ और 19 पूर्व वर्तमान विधायक/ सांसदों  के खिलाफ हैं. आंध्र प्रदेश में, 106 मामले हैं और सभी एक विशेष अदालत, विजयवाड़ा के समक्ष लंबित हैं. 85 मामलों में वर्तमान विधायक/ सांसद हैं. पश्चिम बंगाल में, कुल 131 मामले लंबित हैं, जिनमें से 101 मामलों में वर्तमान विधायक/सांसद आरोपी हैं.कर्नाटक में 53 मामले आजीवन कारावास के साथ दंडनीय अपराधों से संबंधित हैं, जिनमें से 27 मामले वर्तमान विधायक/सांसदों के खिलाफ और 26 पूर्व वर्तमान विधायक/ सांसदों के खिलाफ हैं.केरल में, 333 मामले हैं, जिनमें से 310 मामलों में वर्तमान विधायक/ सांसद आरोपी हैं.असम में, 35 मामले लंबित हैं, जिनमें से 25 मामलों में वर्तमान विधायक/ सांसद आरोपी हैं, जिनमें से 12 मामले आजीवन कारावास के साथ दंडनीय अपराध से संबंधित हैं, जिनमें से 8 मामले वर्तमान विधायक/ सांसद के खिलाफ हैं.

इसी क्रम में दिल्ली में, सत्र अदालत (25) और मजिस्ट्रियल स्तर (62) में से प्रत्येक में दो विशेष न्यायालयों के समक्ष 87 मामले लंबित हैं.इन मामलों में 118 विधायक (87 वर्तमान विधायक/ सांसद और 31 पूर्व वर्तमान विधायक/सांसद) आरोपी हैं. पंजाब में, 35 मामले हैं, जिनमें से 21 मामलों में वर्तमान विधायक/ सांसद शामिल हैं. झारखंड में 142 मामले हैं, जिनमें से 86 मामलों में वर्तमान विधायक/सांसद आरोपी हैं. तेलंगाना में,118 मामले हैं और 107 वर्तमान विधायक/lसांसद आरोपी हैं. हैदराबाद में एक विशेष अदालत के समक्ष ये सभी मामले लंबित हैं.राजस्थान में, 49 मामले लंबित हैं, जिनमें से 17 वर्तमान विधायक/सांसद आरोपी हैं. 4 मामले ऐसे हैं जो आजीवन कारावास के साथ दंडनीय अपराधों से संबंधित हैं और ये सभी पूर्व वर्तमान विधायक/ सासंदों पर हैं.छत्तीसगढ़ में, 21 मामले लंबित हैं, जिनमें से 13 मामलों में वर्तमान विधायक/सांसद आरोपी हैं.उत्तराखंड में 20 मामले हैं और 16 मामलों में वर्तमान विधायक/ सांसद अभियुक्त हैं.गोवा में, कुल 12 मामले हैं, जिनमें से 10 मामलों में वर्तमान विधायक/सांसद आरोपी हैं.मणिपुर में 15 मामले हैं जिनमें से 10 मामलों में वर्तमान विधायक/सांसद आरोपी हैं.मिजोरम में, तीन वर्तमान विधायक/ सांसद के खिलाफ 4 मामले हैं, जिनमें से दो उम्रकैद और दो अन्य 10 साल की कैद के साथ दंडनीय हैं.

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