(प्रतीकात्मक फोटो)
नई दिल्ली:
सीबीआई ने एक संसदीय समिति से कहा है कि उसने तत्कालीन सरकार से कहा था कि वह बोफोर्स मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय के 2005 के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दे. लोक लेखा समिति (पीएसी) की रक्षा संबंधी एक उप समिति बोफोर्स होवित्जर तोप सौद के बारे में 1986 की कैग रिपोर्ट के कुछ पहलुओं को क्रियान्वित नहीं किये जाने के बारे में गौर कर रही है. समिति ने सीबीआई से पूछा था कि उसने 2005 में दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती क्यों नहीं दी थी. उच्च न्यायालय ने मामले को खारिज कर दिया था.
यह भी पढ़ें: बोफोर्स तोप घोटाला मामला : अक्टूबर के दूसरे हफ्ते में सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई
जानकार सूत्रों के अनुसार ‘‘सीबीआई ने 22 जून 2017 के एक पत्र में अपना मत व्यक्त किया कि एक जांच एजेंसी की तरह उसकी यह राय थी कि 31 मई 2005 के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) दायर करने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए.’’ इसे सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने अनुमति नही दी. इस बीच वकील अजय अग्रवाल ने इस मामले को फिर से खुलवाने के लिए उच्चतम न्यायालय की शरण ली है.
यह भी पढ़ें: बोफोर्स तोप सौदा मामले में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को होगी सुनवाई
सीबीआई ने 22 जनवरी 1990 को भारतीय दंड संहिता तथा भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत ए बी बोफोर्स के तत्कालीन अध्यक्ष माटिर्न आर्दबो, कथित बिचौलिये विन चड्ढा और हिन्दुजा बंधुओं के खिलाफ कथित आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और फर्जीवाड़ा का मामला दर्ज किया था. दिल्ली उच्च न्यायालय ने फरवरी 2005 में भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत तीन हिन्दुजा बंधुओं के खिलाफ मामला खारिज कर दिया था.
VIDEO: फिर खुल सकता है बोफोर्स घोटाला
बोफोर्स सौदे के बारे में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट पर गौर कर रही संसदीय समिति के अधिकतर सदस्यों ने सीबीआई से दिल्ली उच्च न्यायालय के 2005 के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय जाने को कहा.
यह भी पढ़ें: बोफोर्स तोप घोटाला मामला : अक्टूबर के दूसरे हफ्ते में सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई
जानकार सूत्रों के अनुसार ‘‘सीबीआई ने 22 जून 2017 के एक पत्र में अपना मत व्यक्त किया कि एक जांच एजेंसी की तरह उसकी यह राय थी कि 31 मई 2005 के दिल्ली उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ एसएलपी (विशेष अनुमति याचिका) दायर करने को प्राथमिकता दी जानी चाहिए.’’ इसे सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने अनुमति नही दी. इस बीच वकील अजय अग्रवाल ने इस मामले को फिर से खुलवाने के लिए उच्चतम न्यायालय की शरण ली है.
यह भी पढ़ें: बोफोर्स तोप सौदा मामले में दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को होगी सुनवाई
सीबीआई ने 22 जनवरी 1990 को भारतीय दंड संहिता तथा भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत ए बी बोफोर्स के तत्कालीन अध्यक्ष माटिर्न आर्दबो, कथित बिचौलिये विन चड्ढा और हिन्दुजा बंधुओं के खिलाफ कथित आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी और फर्जीवाड़ा का मामला दर्ज किया था. दिल्ली उच्च न्यायालय ने फरवरी 2005 में भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत तीन हिन्दुजा बंधुओं के खिलाफ मामला खारिज कर दिया था.
VIDEO: फिर खुल सकता है बोफोर्स घोटाला
बोफोर्स सौदे के बारे में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की रिपोर्ट पर गौर कर रही संसदीय समिति के अधिकतर सदस्यों ने सीबीआई से दिल्ली उच्च न्यायालय के 2005 के आदेश के खिलाफ उच्चतम न्यायालय जाने को कहा.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं