त्रिपुरा में भाजपा सरकार की सहयोगी पार्टी इंडिजनस पीपल्स फ्रंट ऑफ त्रिपुरा (IPFT) ने अलग राज्य "टिपरालैंड" बनाने की मांग करते हुए विपक्ष तिप्रा मोथा के साथ मिलकर 14 नवंबर को नई दिल्ली में संयुक्त जन आंदोलन में हिस्सा लेने का निर्णय लिया है. आईपीएफटी के मुख्य सचिव मंगल देबबर्मा ने प्रेस वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी पार्टी ने संविधान के अनुचछेद 3 के तहत अलग राज्य की मांग के लिए अन्य समान विचारधारा वाले दलों, खासकर तिप्रा मोथा, गैर सरकारी संगठनों और व्यक्तियों के साथ आंदोलन करने का फैसला किया था.
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देबबर्मा ने कहा, "आईपीएफटी ने तय किया है कि वह जंतर मंतर पर होने वाले इस आंदोलन में हिस्सा लेगी. हम पूरी तरह से अलग राज्य टिपरालैंड बनाना चाहते हैं. साल 2009 से हमने अपनी पार्टी का गठन कर इस राज्य की मांग की है और इसके लिए हम जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन भी करते आए हैं. कोविड-19 पैनडेमिक के कारण यह 2019 व 2020 में नहीं हो सका था, लेकिन इस साल हम फिर से धरना प्रदर्शन करने जा रहे हैं.
हालांकि जब देबबर्मा से पूछा गया कि क्या इस धरना प्रदर्शन के साथ साथ यह दोनों पार्टियों के बीच गंठबंधन की भी शुरुआत हो सकती है, तो देबबर्मा ने कहा कि हम केवल विचारधारा के आधार में एक साथ इस प्रदर्शन का हिस्सा बन रहे हैं, यहां कोई गंठबंधन नहीं हो रहा है. उन्होंने कहा, "दोनों पार्टियों की एक ही मांग है, अलग राज्य टिपरालैंड, इसलिए दोनों पार्टियों का एक साथ इस मांग के लिए धरना करना बेहतर होगा."
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उधर भाजपा के वक्ता नबेंदु भट्टाचर्जी ने कहा कि उनकी पार्टी को इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा. उन्होंने कहा, "अगर उन्हें लगता है कि वे दूसरी पार्टी के साथ खुश रहेंगे तो वे जा सकते हैं. जब तक कि उनकी गतिविधियों से राज्य की सरकार व त्रिपुरा के लोगों के काम पर असर नहीं पड़ता, तब तक हमें इससे कोई परेशानी नहीं है."
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