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This Article is From Oct 19, 2019

Ayodhya Case: निर्मोही अखाड़े ने भी सुप्रीम कोर्ट में मोल्डिंग ऑफ रिलीफ के लिए नोट दाखिल किया, कही यह बात...

अखाड़े ने अपने नोट में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रहने और मुस्लिम पक्ष की ओर से वहां कोई निर्माण ना करने के इरादे जता दिए जाने के बाद कोर्ट मुस्लिम पक्ष को निर्देश देने की बात भी कही है.

Ayodhya Case: निर्मोही अखाड़े ने भी सुप्रीम कोर्ट में मोल्डिंग ऑफ रिलीफ के लिए नोट दाखिल किया, कही यह बात...
सुप्रीम कोर्ट में निर्मोही अखाड़े ने दाखिल किया नोट
नई दिल्ली:

अयोध्या मामले में निर्मोही अखाड़े ने सुप्रीम कोर्ट में मोल्डिंग ऑफ रिलीफ के लिए नोट दाखिल किया है. इस नोट में अखाड़े की तरफ से रामलला या किसी भी हिन्दू पक्षकार के पक्ष में डिग्री होने पर अपने सेवायत अधिकार के बरकार रखे जाने की बात कही गई है. साथ ही कहा गया है कि विवादित भूमि पर मंदि बनाने के साथ ही रामलला की सेवा पूजा और व्यस्था की जिम्मेदारी का अधिकार हो. अखाड़े ने अपने नोट में इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला बरकरार रहने और मुस्लिम पक्ष की ओर से वहां कोई निर्माण ना करने के इरादे जता दिए जाने के बाद कोर्ट मुस्लिम पक्ष को निर्देश देने की बात भी कही है. ताकि वो अपने हिस्से की भूमि अखाड़े को लंबी अवधि के पट्टे पर दे ताकि वहां रामलला का भव्य मन्दिर बन सके. इस सूरत में कोर्ट मुस्लिम पक्ष को 77 एकड़ अधिग्रहित भूमि से बाहर मस्जिद के लिए समुचित भूमि उपलब्ध कराने का आदेश सरकार को दे.

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बता दें कि इस पूरे विवाद के बीच रामलला विराजमान की ओर से भी लिखित जवाब दाखिल किया गया है. रामलला ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सारा क्षेत्र राम मंदिर के लिए उसे दिया जाए. साथ ही निर्मोही अखाड़ा या मुस्लिम पार्टियों को जमीन का कोई हिस्सा नहीं मिलना चाहिए. उधर, राम जन्मभूमि पुनरुद्धार समिति ने भी सुप्रीम कोर्ट में जवाब दाखिल किया है. समिति ने कहा कि विवादित जमीन पर मंदिर ही बने. साथ ही मंदिर प्रशासन के लिए एक ट्रस्ट के गठन करने की बात कही गई है. वहीं, मुस्लिम पक्ष ने भी मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर सुप्रीम कोर्ट में सील बंद नोट दाखिल किया है. सूत्रों के मुताबिक मुस्लिम पक्ष ने कहा कि उन्हें वही राहत चाहिए जो उन्होंने बहस के दौरान कही थी. बता दें कि राजीव धवन ने बहस के दौरान कहा था कि उन्हें विध्वंस से पहले की बाबरी मस्जिद चाहिए. इन सब के बीच हिन्दू महासभा ने मोल्ड़िंग ऑफ रिलीफ़ पर सुप्रीम कोर्ट में लिखित जवाब दिया है. महासभा ने कहा कि राम मंदिर के निर्माण पर पूरे मंदिर की व्यवस्था के लिए सुप्रीम कोर्ट एक ट्रस्ट बनाए. 

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गौरतलब है कि कुछ दिन पहले सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील ने कहा था कि अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित पैनल ने जो रास्ता सुझाया है वह हिंदू-मुसलमान दोनों के लिए 'जीत' वाला रास्ता है यानी सभी पक्षों के लिए अच्छा है. हालांकि वकील शाहिद रिजवी ने इस प्लान का खुलासा करने से इनकार कर दिया था. उन्होंने कहा था कि जो प्लान मध्यस्थता समिति ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपा है उसे यहा नहीं बताया जा सकता है. यह एक सबके लिए सकारात्मक है, हिंदू-मुस्लिम दोनों खुश होंगे. जब उनसे जोर देकर पूछा गया कि क्या इससे दोनों पक्ष सहमत होंगे, तो उनका कहना था, यह हिंदू और मुस्लिम दोनों पक्षों के लिए 'विन-विन' वाला समझौता है'. वहीं सूत्रों की मानें तो सुन्नी वक्फ बोर्ड ने विवादित जमीन से दावा छोड़ने की बात कही है और इसको इस बात पर भी कोई आपत्ति नहीं होगी कि सरकार जमीन लेकर राम मंदिर बनाने के लिए सौंप दे. एनडीटीवी ने बुधवार को ही यह रिपोर्ट दी थी कि मध्यस्थता पैनल की रिपोर्ट यह बातें लिखी गई हैं. 

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वहीं सूत्रों का यह भी कहना है कि इसके बदले में सुन्नी वक्फ बोर्ड ने विवादित जमीन पर दावा छोड़ने के साथ ही प्रस्ताव भी रखा है कि अयोध्या में बाकी मस्जिदों का सरकार पुनरुद्धार कराए, मस्जिद बनाने के लिए कहीं और जमीन मुहैया कराई जाए. पैनल की यह रिपोर्ट 134 साल पुराने इस विवाद को सुलझाने में अहम कड़ी साबित हो सकती है. मध्यस्थता पैनल में सुप्रीम कोर्ट रिटायर जज एफएम कलीफुल्ला, श्री श्रीरविशंकर और वरिष्ठ वकील श्री राम पंचू शामिल हैं. अयोध्या मामले में बुधवार को सुनवाई पूरी हो चुकी है और सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच अब इस पर 17 नवंबर से पहले फैसला सुना सकती है क्योंकि इसी दिन प्रधान न्यायाधीन रंजन गोगोई रिटायर हो रहे हैं. 

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