भारत की राजनीति के लिए हमेशा टर्निंग पॉइंट साबित होने वाले उत्तर प्रदेश में बीजेपी (BJP's big win in UP) की लगातार दूसरी बार वापसी कराने वाली रिकॉर्डतोड़ जीत काफी अहम है. लगभग तीन दशक यानी 30 सालों में पहली बार यूपी में कोई पार्टी लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए चुनाव जीतने में कामयाब रही है. यूपी चुनावी लिहाज से बहुत ही अहम राज्य है, एक तरह से इसे राष्ट्रीय राजनीति को दिशा दिखाने वाला राज्य माना जाता है. पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों (Assembly Elections Results 2022) में बीजेपी ने चार में जीत हासिल की है. वहीं, पंजाब में आम आदमी पार्टी की सुनामी भी इन चुनाव नतीजों की एक और दिलचस्प कहानी कहती है.
ये नतीजे दिखाते हैं कि बीजेपी उत्तराखंड को छोड़कर हर राज्य में अपने पक्ष में चल रही हवा में सीट बटोरे. उत्तराखंड में पिछली बार के मुकाबले दो फीसदी से कुछ कम वोट शेयर देखा गया.
कांग्रेस के लिए यहां बिल्कुल उल्टी स्थिति है. उत्तराखंड को छोड़कर कांग्रेस के पक्ष में कहीं हवा नहीं थी. पार्टी ने कम से कम उत्तराखंड में तो सत्ता में वापसी करने की आशा की थी, वापसी नहीं तो कम से कम एक कड़ी टक्कर ही अपेक्षित हो सकती थी. लेकिन 70 विधानसभा सीटों में से महज 18 सीटें ही पार्टी की झोली में आ पाईं. बीजेपी बड़े आराम से बहुमत के आंकड़े (48) से काफी ऊपर रही. कांग्रेस ने बस पंजाब ही नहीं खोया, बाकी राज्यों में भी बिल्कुल साफ हो गई.
यूपी में समाजवादी पार्टी के अलावा दूसरी विपक्षी पार्टियों- कांग्रेस, मायावती की बीएसपी के वोट शेयर में 18 फीसदी की गिरावट आई थी. हालांकि, ये पूरे के पूरे 18 फीसदी एसपी के पास नहीं आया. इसमें से चार फीसदी वोट बीजेपी ले गई और बाकी 14 फीसदी वोट एसपी और उसके गठबंधन के साथियों के पास गया.
अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी, को छोड़कर पूरा विपक्ष धराशायी हो गया, लेकिन वोट विपक्षी पार्टियों के पास नहीं गया.
बीजेपी की सबसे बड़ी जीत पश्चिमी जिलों, उत्तरी पूर्वी जिलों, दोआब और बुंदेलखंड इलाके में हुई, ये इलाके राज्य के सबसे पिछले हुए इलाके हैं. यहां पार्टी की जीत का मार्जिन 12 से 15 फीसदी तक रहा.
और सबसे दिलचस्प बात, कासगंज विधानसभा क्षेत्र ने पिछले 12 चुनावों की ही तरह राज्य की सरकार चुन ली है. कासगंज ने बीजेपी को वोट दिया. 1974 से हो रहे चुनावों में इस क्षेत्र से जो भी जीतता है, राज्य में उसकी ही सरकार बनती है. बीजेपी के पक्ष में इस बार यहां से 52 फीसदी वोट शेयर आए.
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