
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
असम में NRC मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उन लोगों को अपने दावे और आपत्ति दर्ज कराने की इजाजत दी है, जिन लोगों के नाम NRC की लिस्ट में नहीं हैं. 25 सितंबर से इसकी शुरुआत होगी. जिन लोगों के नाम एनआरसी की लिस्ट में नहीं है, उनके लिए सुप्रीम कोर्ट ने 60 दिनों का समय दिया है. हालांकि, उनके नाम 10 दस्तावेजों के आधार पर ही.
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो दूसरे 5 दस्तावेज हैं उन पर बाद में विचार करेंगे. हेजेला केंद्र सरकार के हलफ़नामे पर अपना जवाब दाखिल करेंगे और बताएंगे कि 5 अतरिक्त दस्तावेजो में से किसको शामिल किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारा व्यू ये है कि जिनका नाम नहीं है, उनको नाम दर्ज कराने को लेकर आपत्ति दर्ज करने की इजाजत दी जाए. अब 23 अक्तूबर को अगली सुनवाई होगी.
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम उन लोगों को दोबारा मौका नहीं देना चाहते जो पहले कहें कि X उनके दादा हैं. जब वो लिंक नहीं मिलता तो वो कहें कि X नहीं Y उनके दादा हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिन लोगों का नाम NRC में नहीं है, उनके आपत्ति को दर्ज करने की शुरुवात करनी चाहिए. ( कोर्ट ने अभी तक रोक लगाई थी, शुरुवात करने को लेकर).
दरअसल केंद्र और असम सरकार चाहते हैं कि दावे और आपत्तियों के लिए 15 दस्तावेज स्वीकार्य होने चाहिएं, जबकि हजेला ने रिपोर्ट दाखिल कर दस दस्तावेज ही प्रस्तावित किए थे.
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जो दूसरे 5 दस्तावेज हैं उन पर बाद में विचार करेंगे. हेजेला केंद्र सरकार के हलफ़नामे पर अपना जवाब दाखिल करेंगे और बताएंगे कि 5 अतरिक्त दस्तावेजो में से किसको शामिल किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारा व्यू ये है कि जिनका नाम नहीं है, उनको नाम दर्ज कराने को लेकर आपत्ति दर्ज करने की इजाजत दी जाए. अब 23 अक्तूबर को अगली सुनवाई होगी.
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सुप्रीम कोर्ट ने कहा हम उन लोगों को दोबारा मौका नहीं देना चाहते जो पहले कहें कि X उनके दादा हैं. जब वो लिंक नहीं मिलता तो वो कहें कि X नहीं Y उनके दादा हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिन लोगों का नाम NRC में नहीं है, उनके आपत्ति को दर्ज करने की शुरुवात करनी चाहिए. ( कोर्ट ने अभी तक रोक लगाई थी, शुरुवात करने को लेकर).
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केवल 10 ऐसे दस्तावेज हैं, जिनके द्वारा उन्हें शामिल किया जा सकता है.
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 15 में से केवल 10 दस्तावेजों की इजाजत देंगे.
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दूसरा मौका केवल 10 दस्तावेजो पर ही निर्भर करेगा.
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपत्ति को दर्ज करने की सीमा 30 दिन से 60 दिन तक बढ़ाते हैं.
दरअसल केंद्र और असम सरकार चाहते हैं कि दावे और आपत्तियों के लिए 15 दस्तावेज स्वीकार्य होने चाहिएं, जबकि हजेला ने रिपोर्ट दाखिल कर दस दस्तावेज ही प्रस्तावित किए थे.
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