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This Article is From Mar 16, 2011

किसने बनाई पहले आओ-पहले पाओ की नीति : SC

सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से कहा कि वह यह स्पष्ट करे कि पहले आओ-पहले पाओ की नीति ट्राई ने बनायी थी या दूरसंचार विभाग ने।
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New Delhi: उच्चतम न्यायालय ने स्पेक्ट्रम आवंटन के बारे में विरोधाभासी बयान सामने आने के बाद बुधवार को सरकार से कहा कि वह यह स्पष्ट करे कि पहले आओ-पहले पाओ की नीति ट्राई ने बनायी थी या दूरसंचार विभाग ने। न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति एके गांगुली की पीठ ने एटॉर्नी जनरल जीई वाहनवती से गुरुवार तक इस संबंध में स्थिति स्पष्ट करने को कहा क्योंकि इस बारे में भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण :ट्राई: और याचिकाकर्ता सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन की ओर से विरोधाभासी बयान आए हैं। पीठ ने एटॉर्नी जनरल से सवाल किया, पहले आओ-पहले पाओ की नीति दूरसंचार विभाग ने बनाई थी या ट्राई ने? अगर यह नीति ट्राई ने नहीं बनाई थी तो क्या दूरसंचार विभाग ने बनाई थी? यह नीति किस स्तर पर बनी और इसके पीछे तर्क क्या था? पीठ ने उनसे दूरसंचार विभाग के तत्कालीन सचिव के 19 नवंबर 2007 के लिखित वक्तव्य के बारे में भी स्थिति स्पष्ट करने को कहा जिसमें उन्होंने कहा था कि आवंटन के लिए पर्याप्त स्पेक्ट्रम उपलब्ध है, जबकि तब ट्राई यह कह रहा था कि स्पेक्ट्रम दुर्लभ है। पीठ ने इस बात पर भी गौर किया कि ट्राई ने वर्ष 2003 और 2007 के बीच कहा कि स्पेक्ट्रम दुर्लभ है और इसका तर्कसंगत तरीके से इस्तेमाल किया जाना चाहिए लेकिन दूरसंचार विभाग कह रहा था कि हर परिचालनकर्ता के लिए स्पेक्ट्रम पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है।

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