
विश्व दृष्टि दिवस (World Sight Day) हर साल अक्टूबर के दूसरे गुरुवार को मनाया जाता है. आंखें हमारे शरीर का सबसे कीमती हिस्सा हैं. ये न सिर्फ हमें दुनिया देखने में मदद करती हैं, बल्कि हमारी भावनाओं को भी बयां करती हैं. लेकिन, जब आंखों में धुंधलापन आने लगे, चीजें साफ न दिखें और रोशनी कम महसूस हो, तो ये मोतियाबिंद के संकेत हो सकते हैं . आमतौर पर लोग मानते हैं कि मोतियाबिंद सिर्फ बुजुर्गों को होता है, लेकिन हाल की मेडिकल रिपोर्ट्स और विशेषज्ञों की राय बताती है कि ये बीमारी अब बच्चों और युवाओं को भी प्रभावित कर रही है. मोतियाबिंद क्या है और ये किन कारणों से होता है इस बारे में हमने बात की आई7 ग्रुप ऑफ आई हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. राहिल चौधरी से.
ये भी पढ़ें: दुनिया में सबसे ज्यादा कमजोर हैं इस देश के लोगों की आंखें, 90% बच्चों को है आंखों की ये बीमारी
मोतियाबिंद क्या है? (What is Cataract?)
आई7 ग्रुप ऑफ आई हॉस्पिटल के डायरेक्टर डॉ. राहिल चौधरी ने एनडीटीवी को बताया कि मोतियाबिंद का मतलब है आंख के अंदर मौजूद लेंस का धुंधला पड़ जाना. जैसे कैमरे में लेंस होता है, वैसे ही हमारी आंख में भी एक लेंस होता है जो रोशनी को रेटिना तक पहुंचाता है. जब ये लेंस साफ न रहकर सफेद या धुंधला हो जाता है, तो रोशनी अंदर नहीं जा पाती और नजर कमजोर हो जाती है.
5 बड़े कारण जिनसे किसी भी उम्र में हो सकता है मोतियाबिंद
1. उम्र बढ़ना (Ageing)
यह मोतियाबिंद का सबसे आम कारण है. जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, आंख के लेंस में मौजूद प्रोटीन बदलने लगते हैं और लेंस धुंधला हो जाता है. 60 साल की उम्र के बाद मोतियाबिंद की संभावना काफी बढ़ जाती है.
2. जन्मजात या बचपन में संक्रमण (Congenital or Early Infection)
कुछ बच्चों को जन्म के समय ही मोतियाबिंद हो सकता है. इसका कारण हो सकता है मां को गर्भावस्था में कोई संक्रमण होना जैसे रूबेला या टॉक्सोप्लास्मोसिस. न्यूट्रिशन की कमी भी बच्चों की आंखों को कमजोर बना सकती है.
3. आंख में चोट या इलेक्ट्रिक एक्सपोजर (Eye Injury or Electric Shock)
युवाओं में मोतियाबिंद का एक बड़ा कारण आंख में चोट लगना है. अगर आंख पर कोई तेज चीज लग जाए या इलेक्ट्रिक करंट का एक्सपोजर हो जाए, तो लेंस डैमेज हो सकता है. इससे लेंस की पारदर्शिता खत्म हो जाती है और मोतियाबिंद विकसित हो सकता है.
ये भी पढ़ें: बच्चों की आंखों की रोशनी कमजोर होने पर दिखते हैं ये लक्षण, सभी पेरेंट्स को होने चाहिए पता
4. रेडिएशन एक्सपोजर (Radiation Exposure)
जो लोग रेडिएशन वाले वातावरण में काम करते हैं, जैसे एक्स-रे टेक्नीशियन या इंडस्ट्रियल वर्कर्स, उन्हें मोतियाबिंद का खतरा ज्यादा होता है. UV rays का ज्यादा एक्सपोजर भी आंखों को नुकसान पहुंचा सकता है.
5. स्टेरॉइड्स का ज्यादा सेवन (Excessive Use of Steroids)
लंबे समय तक स्टेरॉइड्स लेने से आंखों के लेंस पर असर पड़ता है. यह दवाएं सूजन कम करने के लिए दी जाती हैं, लेकिन इनका साइड इफेक्ट आंखों पर हो सकता है. खासकर अस्थमा या स्किन डिजीज के मरीजों को ध्यान रखना चाहिए.
बच्चों में मोतियाबिंद क्यों हो रहा है? (Why Are Children Developing Cataracts?)
डॉ. राहिल के अनुसार, बच्चों में मोतियाबिंद के पीछे कई कारण हो सकते हैं:
- गर्भावस्था में मां को संक्रमण होना
- पोषण की कमी
- जन्म के समय कोई जेनेटिक डिफेक्ट
- आंख में चोट या किसी दवा का साइड इफेक्ट
- हालांकि 90% मामलों में यह समस्या उम्र के साथ ही आती है, लेकिन अब यह ट्रेंड बदल रहा है.
मोतियाबिंद से कैसे बचाव करें? (How to Pprevent Cataract?)
- आंखों की नियमित जांच कराएं
- UV प्रोटेक्शन वाले चश्मे पहनें
- बैलेंस डाइट लें जिसमें विटामिन A, C और E हो.
- स्टेरॉइड्स का सेवन डॉक्टर की सलाह से ही करें.
- बच्चों की आंखों की हेल्थ पर खास ध्यान दें.
मोतियाबिंद अब सिर्फ बुजुर्गों की बीमारी नहीं रही. बदलती लाइफस्टाइल, खानपान और एक्सपोजर के कारण यह बच्चों और युवाओं को भी प्रभावित कर रही है. समय रहते जागरूकता और सही देखभाल से इस बीमारी से बचा जा सकता है.
दिल की बीमारियां कैसे होंगी दूर, बता रहे जाने-माने पद्मभूषण डॉक्टर TS Kler
(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं