World AIDS Day 2019: एड्स यानी एक्वायर्ड इम्युनोडेफिशिएंसी सिन्ड्रोम एक बीमारी है जो ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस या एचआईवी (HIV) के कारण होती है. एचआईवी संक्रमण (HIV Infection) होने के तुरंत बाद यह एक 'फ्लू' जैसी बीमारी होती है. फ्लू केवल कुछ दिनों तक रहता है और बहुत हल्का होता है इस कारण लोग इसे पहचान नहीं पाते. यह वायरस धीरे-धीरे व्यक्ति की संक्रमण से लड़ने की क्षमता कम कर देता है. जब शरीर की प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) इतनी कम हो जाती है कि वह संक्रमण का विरोध नहीं कर पाता, तो कहा जाता है कि व्यक्ति को एड्स (AIDS) हो गया है. एचआईवी संक्रमण को एड्स तक पहुंचे में 8 से 9 साल लग जाते हैं. एक अध्ययन से पता चलता है कि अगर नवजात शिशुओं को तुरंत उपचार दिया जाता है तो एचआईवी का वायरस उनमें लंबे समय के लिए पूरी तरह निष्क्रिय हो जाता है. यह बात एनपीआर की पिएन हुआंग की रिपोर्ट में कही गई है.
World AIDS Day: क्या वाकई एड्स से बचाता है खतना, यहां जाने पूरा सच, क्या होता है खतना
1 दिसंबर को पूरे विश्व में एड्स दिवस (AIDS Day) मनाया जाता है. एचआईवी/एड्स को लेकर समाज में तरह-तरह की भ्रांतियां फैली हुई हैं. जिसमें आज भी एचआईवी पॉजिटिव मरीजों के साथ छूआछूत और भेदभाव किया जाता है. यहां हम बात करेंगे कि अगर किसी बच्चे को जन्म से एड्स है तो उसे कैसे बचाया जा सकता है, और कैसे HIV को निष्क्रिय किया जा सकता है...
HIV पॉजिटिव शिशुओं की बढ़ाई जा सकती है उम्र
जन्म के तुरंत बाद अगर शिशुओं का HIV से बचने के लिए इलाज किया जाता है, तो ऐसे बच्चों में वायरस के फैलने के फैलने के खतरे को कम किया जा सकता है. जन्म के तुरंत बाद बच्चे को दी जानेवाली दवाएं बच्चे के शरीर को पूरी तरह वायरस की गिरफ्त में नहीं आने देती. ऐसे में वायरस सीमित रहता है बच्चा एड्स जैसी बीमारी से लंबे समय तक बचाया जा सकता है.
एचआईवी संक्रमण से बढ़ जाता है कार्डियक अरेस्ट और हार्ट अटैक का खतरा
HIV से लड़ने वाली डोज बनाने की चुनौती
विशेषज्ञ मानते हैं कि अभी भी एचआईवी पॉजिटिव बच्चों को जन्म के तुरंत बाद दी जानी वाली डोज को बनाने की चुनौती है. क्यों इसके इलाज के लिए जो डोज बनाई जाती है वह काफी ज्यादा हैवी होती हैं जिसे शिशु झेल पाने में असमर्थ होते हैं. अभी भी कई ऐसी चुनौतियां हैं जो एड्स के इलाज को पूरी तरह से कामयाब होने में बाधा बनी हुई हैं. एचआईवी पॉजिटिव होन पर दवाइयों को अगर नियमित तौर पर लिया जाए तो मरीज कई सालों तक सामान्य जीवन जी सकता है, लेकिन जन्म से जिन बच्चों में एचआईवी संक्रमण है उनका तुरंत इलाज किया जाए तो उनमें भी वायरल को निष्क्रिय किया जा सकता है ऐसा अभी अध्ययन कह रहे हैं.
अच्छी खबर! एचआईवी मामलों में 16 फीसदी की गिरावट
बच्चों को एचआईवी से कैसे बचाया जाए इसको लेकर कई अध्ययन हुए हैं. बोत्सवाना में हुए एक ताजा परीक्षण के रिजल्ट के आधार पर विशेषज्ञ इस नतीजे पर पहुंचे हैं कि दवाइयों के असर से जुड़े इस परीक्षण के दौरान दो साल पहले जिन दस एचआईवी पॉजिटिव शिशुओं को उनके जन्म के शुरुआती कुछ घंटों के अंदर ही तीन-ड्रग्स का कॉकटेल दिया गया था, उन बच्चों के शरीर में एचआईवी के वायरस बेहद कम और लगभग निष्क्रिय स्थिति में रहते हैं. एक्सपर्ट्स कहते हैं कि हालांकि वे बच्चे जिन्हें जन्म के शुरूआती कुछ घंटों के बीच ही एचआईवी वायरस को रोकने के लिए डोज दी गई थी, वे पूरी तरह इस वायरस से मुक्त नहीं हुए हैं. लेकिन उन बच्चों में इस वायरस के बढ़ने की दर काफी धीमी हो जाती है. इससे वे बच्चे लंबी और क्वालिटी लाइफ जी सकते हैं.
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